ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने किया सीएसआइआर-आइएचबीटी का दौरा
ग्रामीण विकासपंचायतीराज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने वीरवार को सीएसआइआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थानपालमपुर का दौरा किया। इस अवसर पर मंत्री वीरेंद्र कंवर ने संस्थान के शोध कार्यों एवं प्रक्षेत्र गतिविधियों का अवलोकन किया तथा वैज्ञानिकों से चर्चा की। संस्थाने ने युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने में अपना सक्रिय योगदान देगा।
पालमपुर, संवाद सहयाेगी। ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने वीरवार को सीएसआइआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान,पालमपुर का दौरा किया। इस अवसर पर मंत्री वीरेंद्र कंवर ने संस्थान के शोध कार्यों एवं प्रक्षेत्र गतिविधियों का अवलोकन किया तथा वैज्ञानिकों से चर्चा की। उन्होंने संस्थान के कार्यों एवं उपलब्धियों की सराहना की तथा आशा व्यक्त की कि संस्थान राज्य में ग्रामीण विकास के साथ किसानों की आय बढ़ाने तथा उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में अपना सक्रिय योगदान देगा।
उन्होंने संस्थान को राज्य सरकार की ओर से पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन भी दिया। इससे पूर्व संस्थान के निदेशक डा. संजय कुमार ने मंत्री का स्वागत करते हुए संस्थान की शोध एवं प्रौद्योगिकी विकास से संबंधित उपलब्धियों, खास कर हींग और केसर जैसी बहुमूल्य फसलों के बारे में जानकारी दी। अपने प्रस्तुतिकरण में उन्होंने बताया संस्थान समय-समय पर प्रदेश के लाहौल और स्पीति जिला में हींग तथा चंबा, कुल्लू और मंडी जिलों में केसर की खेती के लिए किसानों को रोपण सामग्री उपलब्ध करवाता रहा है।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने बताया कि पुष्प खेती एवं शहद उत्पादन के क्षेत्र में संस्थान एक अग्रणी भूमिका निभा रहा है। इस क्षेत्र में हजारों किसानों, बागवानों एवं उद्यमियों को जोड़ा गया है। साथ ही व्यवसायिक रूप से महत्वपूर्ण ‘मसाला फसलों की खेती के कार्यक्रम’ भी संस्थान ने शुरू किए हैं। उन्होंने बताया कि इस सफलता से न केवल युवाओं को रोजगार मिलेगा, अपितु किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। जिससे ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प को सिद्ध करने में सहायता मिलेगी।
संस्थान, हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में जंगली गेंदे, दमस्क गुलाब, नींबू घास, सुगंधबाला आदि जैसे सुगंधित फसलों की खेती और प्रसंस्करण द्वारा किसानों की आय बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है जिससे किसान परंपरागत फसलों की अपेक्षा अधिक आय प्राप्त करके आत्मनिर्भता की ओर बढ़ रहे हैं। इसके अतिरिक्त संस्थान ने पोषण के लिए आयरन, प्रोटीन और फाइबर युक्त उत्पादों को भी विकसित किया है। स्वास्थ्यवर्धक विटामिन-डी से भरपूर सिटाके मशरुम की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है तथा उनसे बनाए गए उत्पादों को भी आम जनता एवं एमएसएमई के माध्यम से औद्योगिक इकाइयों तक पहुंचाया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि शिटाके मशरूम, समृद्ध खाद और कट-फ्लावर उत्पादन के क्षेत्र में नौ एमएसएमई क्लस्टर भी विकसित किए गए हैं। हमने ठंडे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रात की मिट्टी और जैविक अपशिष्ट क्षरण के लिए प्रौद्योगिकी भी विकसित की है जिससे हजारों लाभार्थियों को मदद मिल रही है। इस असवर पर हिमाचल प्रदेश सरकार से डा. अजय कुमार शर्मा, सचिव, कृषि विभाग राकेश कंवर, विशेष सचिव, (कृषि), नरेश ठाकुर, निदेशक कृषि विभाग, डा. अजमेर सिंह डोगरा निदेशक पशुपालन विभाग तथा डा. राजेश्वर चंदेल कार्यक्रम निदेशक प्राकृतिक खेती भी उपस्थित थे तथा उन्होंने भी संस्थान के निदेशक एवं वैज्ञानिकों से परस्पर विचार-विमर्श किया।