Panchayat Pradhan: पंचायत फौजदारी मामलों की सुनवाई कर सकती है पर कैद की सजा नहीं सुना सकती

Panchayat Pradhan Power फौजदारी मामले दीवानी मामलों से बिल्कुल भिन्न होते हैं। दीवानी मामले पैसों या जमीन जायदाद के लेनदेन से संबंधित होते हैं। इसके अलावा फौजदारी मामलों में शारीरिक या मानसिक या आर्थिक नुकसान मुख्य रहता है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Wed, 30 Dec 2020 09:43 AM (IST) Updated:Wed, 30 Dec 2020 09:43 AM (IST)
Panchayat Pradhan: पंचायत फौजदारी मामलों की सुनवाई कर सकती है पर कैद की सजा नहीं सुना सकती
हिमाचल में पंचायतों को भारतीय दंडावली में से कुछ फौजदारी मामलों की सुनवाई करने का अधिकार दिया गया है।

जसवां परागपुर, साहिल ठाकुर। फौजदारी मामले दीवानी मामलों से बिल्कुल भिन्न होते हैं। दीवानी मामले पैसों या जमीन जायदाद के लेनदेन से संबंधित होते हैं, जबकि फौजदारी मामलों में शारीरिक या मानसिक या आर्थिक नुकसान मुख्य रहता है। इसलिए फौजदारी मामलों के लिए अदालतों में जुर्माना या जेल या फिर दोनों भी हो सकते हैं। हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम, 1994 के अनुसार हिमाचल में पंचायतों को भारतीय दंडावली में से कुछ फौजदारी मामलों की सुनवाई करने का अधिकार दिया गया है। इसमें एक बात ध्यान रखने योग्य है कि पंचायत इन मामलों की सुनवाई तो कर सकती है, मगर अदालत के बराबर न तो जुर्माना कर सकती है और न ही कैद की सजा सुना सकती है।

पंचायत ज्यादा से ज्यादा इन मामलों के लिए 100 रुपये तक का जुर्माना कर सकती है। इसके साथ ही अगर किसी मामले में पंचायत को लगता है कि वह तो केवल 100 रुपये तक का जुर्माना कर सकती है, जबकि मामला ऐसा है कि उसे ज्यादा जुर्माना होना चाहिए तो पंचायत मामले की गंभीरता को देखते हुए इस मुुक़द्दमे को फौजदारी अदालत में भिजवा सकती है।

भारतीय दंड संहिता को कुछ धाराओं को सुुनने का अधिकार ग्राम पंचायत को दिया गया है जिसका विवरण हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम अनुसूचि-3 में दिया गया है। भारतीय दंड संहिता की धारा 160 के अंतर्गत अपराध के लिए यह जरूरी है कि उसमें हमला हुआ हो तथा शांति भंग हुई हो। केवल लड़ना या गाली देना जिसमेंं एक दूसरे पर चोट न की गई हो, इस धारा केेे अंतर्गत नहीं आता। हंगामा होने के लिए एक दूसरे के बीच लड़ाई होनी चाहिए, इस प्रकार की लड़ाई नहीं कि एक पक्ष हमला करता है और दूसराा पक्ष नहींं करता या उसका मुक़ाबला नहींं करता है।

हंगामे के लिए झगड़ा दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच में होना चाहिए। यह साबित हो कि झगड़े से लोगों में दहशत फैली या डर है। किसी द्वारा शिकायत करने पर या जानकारी मिलने पर ग्राम पंचायत धारा 160 के अधीन कार्रवाई करते हुए ज्यादा सेे ज्यादा 100 रुपये तक का जुर्माना लगा सकती है।

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