सुल्याली में पंचकर्म पद्धति का नहीं हो रहा इस्तेमाल

संवाद सहयोगी जसूर आयुर्वेद एवं पंचकर्म पद्धति को प्रदेश के आयुर्वेद विभाग की ओर से करोड़ो

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 07:59 PM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 07:59 PM (IST)
सुल्याली में पंचकर्म पद्धति 
का नहीं हो रहा इस्तेमाल
सुल्याली में पंचकर्म पद्धति का नहीं हो रहा इस्तेमाल

संवाद सहयोगी, जसूर : आयुर्वेद एवं पंचकर्म पद्धति को प्रदेश के आयुर्वेद विभाग की ओर से करोड़ों का बजट हर साल उपलब्ध करवाया जा रहा है, ताकि आयुर्वेदिक स्वास्थ्य योजनाओं की कारगर चिकित्सा पद्धति का लाभ आम लोगों तक पहुंच सके। लेकिन धरातल पर योजनाओं का कितना क्रियान्वयन होता है इसका उदहारण आयुर्वेदिक अस्पताल सुल्याली है जहां लाखों के उपकरण बिना प्रयोग के कारण जंग लगने को हैं। अस्पताल में पंचकर्म चिकित्सा पद्धति के विशेषज्ञ होने के बावजूद भी गत दो वर्ष से पंचकर्मा चिकित्सा पद्धति का लाभ क्षेत्र के लोगों को नहीं मिल पाया।

हालांकि पिछले दिनों मीडिया में यह मुद्दा उठने के बाद जिला प्रबंधन ने इस अस्पताल में जल्द ही आयुर्वेद पंचकर्म चिकित्सा पद्धति से मरीजों के इलाज की बात कही थी, लेकिन कई माह बीत जाने पर भी इस पद्धति से लोगों का इलाज शुरू नहीं हो सका है।

पंचकर्म चिकित्सा पद्धति से कमर दर्द, अनिद्रा, तनाव, पक्षाघात जैसी कई गंभीर बीमारियों का इलाज संभव है। अगर यह पद्धति उक्त अस्पताल में शुरू हो गई होती तो इस पद्धति से इलाज कराने के लिए लोगों को डेढ़ सौ से 200 किलोमीटर दूर धर्मशाला व पपरोला में जाकर इस पद्धति से अपना इलाज करवाना पड़ रहा है। वहीं अगर यह सुविधा यहां होती तो लोग इस पद्धति से यहां पास में ही फायदा उठा सकते थे। सुल्याली आयुर्वेदिक अस्पताल प्रबंधन इस पद्धति के शुरू न होने का कारण पंचकर्म के दक्ष स्टाफ की कमी बता रहा है। वहीं जिला अस्पताल धर्मशाला सहित जिला कांगड़ा के कई अन्य आयुर्वेदिक अस्पतालों में इस चिकित्सा पद्धति से मरीजों का इलाज किया जा रहा है जबकि वहां पर पंचकर्म विशेषज्ञ भी मौजूद नहीं है। वहीं 10 बिस्तर स्तरीय अस्पताल में इस पद्धति से लोगों का इलाज न हो पाना अस्पताल प्रबंधन कार्य कुशलता दर्शाता है। स्थानीय प्रबुद्ध लोगों का भी कहना है कि अस्पताल में पंचकर्म विशेषज्ञ होने के बावजूद भी इन उपकरणों को प्रयोग में क्यों नहीं लाया जा रहा।

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पंचकर्म चिकित्सा पद्धति से मरीजों का इलाज होना चाहिए। इस संदर्भ में अस्पताल प्रबंधन से बात की जाएगी।

-अर्पणा चावला, जिला परिषद सदस्य।

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मैंने हाल ही में कार्यभार संभाला है। इस संदर्भ में जानकारी प्राप्त करके जल्द ही सुल्याली में पंचकर्म चिकित्सा पद्धति शुरू करवाई जाएगी।

-विनय सिंह, निदेशक आयुर्वेदिक हिमाचल प्रदेश।

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