एनपीएस में सरकारी हिस्सेदारी को वेतन में जोड़ने का विरोध
संवाद सहयोगी पालमपुर पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा हिमाचल प्रदेश ने सरकार की ओर से नियोक्ता
संवाद सहयोगी, पालमपुर : पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा हिमाचल प्रदेश ने सरकार की ओर से नियोक्ता के रूप में मिलने वाले अंशदान को आयकर के दायरे में लाने का विरोध जताया है। संयुक्त मोर्चा का कहना है कि यह पेंशन विहीन कर्मचारियों के साथ एक नया अत्याचार है। प्रदेशाध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने कहा कि पहले सरकारों ने कर्मचारियों की पेंशन निजी हाथों में सौंप दी और एनपीएस के नाम पर फंड काटना शुरू कर दिया। ना मात्र पेंशन के लिए सरकार भी 10 फीसद अंशदान देने लगी, जो अब बढ़कर 14 फीसद हो गया है। उन्होंने कहा कि ताज्जुब है कि सरकार की ओर से देय अंशदान इससे पहले कभी भी कर्मचारी के वार्षिक वेतन में जोड़ा नहीं जाता था, लेकिन अब नियोक्ता की ओर से देय भाग को आयकर के दायरे में लाया जा रहा है, जो उचित नहीं है, क्योंकि सरकार की ओर से देय हिस्सा कर्मचारी को सेवाकाल व सेवानिवृत्ति के बाद भी नहीं मिलता है। प्रवीण शर्मा ने कहा कि जो चीज नहीं मिलती है, उसे कर्मचारी के वेतन में कैसे जोड़ा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि सरकारें एनपीएस कर्मचारियों की पीड़ा कम करने के बजाय नई शर्ते लगाकर अत्याचार को बढ़ा रही हैं। संयुक्त मोर्चा ने सरकार की ओर से देय अंशदान को कर्मचारी की सालाना आय में न जोड़ने का तर्क देते हुए बताया कि यह अंशदान कर्मचारी के गुजरने के बाद एनएसडीएल कंपनी के पास ही रहता है। ऐसे में आयकर के लिए इसे कर्मचारी की आय में जोड़ना गलत है। मोर्चा के राज्य महामंत्री एलडी चौहान, प्रेस सचिव दीप ठाकुर, वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर शर्मा, जिला बिलासपुर अध्यक्ष सुमन, सलाहकार भारत भूषण, कमल किशोर, दिनेश शर्मा, कार्यालय सचिव महादेव सिंह रंधावा, जिला कांगड़ा मुख्य सलाहकार अशोक राणा व अन्य ने सरकारी हिस्से को कर्मचारी की आय में जोड़ने का विरोध किया है।