ढसौली की बुजुर्ग माया देवी का घर टूटने की कगार पर, सरकार से मांगी मदद
जवाली विधानसभा के तहत पंचायत ढसौली की निवासी माया देवी 70 वर्ष लाचार अवस्था में जिंदगी जीने को मजबूर है। ढसौली निवासी माया देवी के घर में केंद्र व हिमाचल सरकार द्वारा चलाई गई कोई भी योजना आज दिन तक नहीं पहुंच पाई है।
भरमाड़, संवाद सूत्र। जवाली विधानसभा के तहत पंचायत ढसौली की निवासी माया देवी 70 वर्ष में लाचार अवस्था में जिंदगी जीने को मजबूर है। ढसौली निवासी माया देवी के घर में केंद्र व हिमाचल सरकार द्वारा चलाई गई कोई भी योजना आज दिन तक नहीं पहुंच पाई है। माया देवी का घर टूट चुका है, बस गिरने की कगार पर है। रात को जीने के लिए चांद की रोशनी की काफी है।
हिमाचल सरकार की तरफ से गरीबी उन्मूलन के तहत मिलने वाली कोई भी योजना नहीं मिली। बुढ़ापे का कोई भी सहारा न होने के कारण ग्रामवासी कभी कबार खाने पीने के राशन का प्रबंध कर देते हैं, माया देवी ने कहा कि आज दिन तक किसी भी सरकार या पंचायत की तरफ से कोई भी आर्थिक सहायता नहीं दी गई है। हर राजनीतिक दल ने वोट बैंक की राजनीति की है। एक तरफ सरकार व प्रशासन गरीब लाचार लोगों की आर्थिक सहायता करने के बड़े-बड़े दावे भी करता है। दूसरी तरफ जमीनी हकीकत कुछ और है अब देखना यह है कि क्या समय रहते माया देवी को सरकार की तरफ से कोई आर्थिक सहायता मिल पाती है या नहीं यह सोचने की बात है। माया देवी के परिवार में दो लड़कियां और एक बेटा था। दोनों लड़कियों की शादी हो चुकी है और बेटे की मौत हो गई है उसका पति भी मर चुका है।
यह बोले पंचायत सचिव
पंचायत सचिव जतिंदर कुमार ने कह कि आवास योजना के तहत एक फाइल तैयार करके एसडीएम ज्वाली के अॉफिस में भेजी है। अगर एसडीएम साहिब अगर माया देवी का मकान स्वीकृत करते हैं तो जल्द ही माया देवी के मकान का काम शूरू कर दिया जायेगा।
यह बोले बीडीओ
बीडीओ फतेहपुर से राज कुमार से पुछा गया तो उन्होंने बताया कि मुझे इस बारे कोई भी जानकारी नहीं है। इसकी जांच की जायेगी कि अभी तक माया देवी का मकान आवास योजना के तहत क्यों नहीं बना। अगर पीएम आवास योजना के तहत सूची में नाम होगा तो सबसे पहले माया देवी का ही मकान बनाया जाएगा।
यह बोले पंचायत प्रधान
पंचायत प्रधान राकेश कुमार ने बताया की मैंने खुद इनकी सारी फाइल तैयार करवाई है। खुद पटवारी को लेकर मौका दिखाया। जिसके उपरांत सारी प्रक्रिया पूरी की और अब फाइल एसडीएम ऑफिस जवाली को भेजी जा रही है और जब उनसे पूछा गया की बीपीएल मुक्त पंचायत करने का कारण क्या था तो उन्होंने बताया कि यह पिछली पंचायत की न समझी थी जिन्होंने पंचायत को बीपीएल मुक्त कर दिया था पर अब जो लोग बीपीएल के कोटे से निकाल दिए गए थे उनको दोबारा से डालने की प्रक्रिया लगभग संपूर्ण हो चुकी हैं।