सदवां की रचिता बनेगी डॉक्टर, आठ से दस घंटे करती थी पढ़ाई

नूरपुर विकास खंड के तहत सदवां गांव की रचिता ने बिना कोचिंग एमबीबीएस में प्रवेश लेकर क्षेत्र का नाम रोशन किया है। रचिता के पिता डॉ. दिलवर सिंह भी इएनटी विशेषज्ञ चिकित्सक है व वर्तमान में वह सिविल अस्पताल नूरपुर में प्रभारी के रूप में कार्यरत हैं।

By Richa RanaEdited By: Publish:Wed, 02 Dec 2020 01:05 PM (IST) Updated:Wed, 02 Dec 2020 01:05 PM (IST)
सदवां की रचिता बनेगी डॉक्टर,  आठ से दस घंटे करती थी पढ़ाई
सदवां गांव की रचिता ने बिना कोचिंग एमबीबीएस में प्रवेश लेकर क्षेत्र का नाम रोशन किया है।

नूरपुर, जागरण संवाददाता। नूरपुर विकास खंड के तहत सदवां गांव की रचिता ने बिना कोचिंग एमबीबीएस में प्रवेश लेकर क्षेत्र का नाम रोशन किया है। रचिता की इस सफलता से इलाके में खुशी है।

रचिता के पिता डॉ. दिलवर सिंह भी इएनटी विशेषज्ञ चिकित्सक है व वर्तमान में वह सिविल अस्पताल नूरपुर में प्रभारी के रूप में कार्यरत हैं। रचिता अपने पिता की तरह चिकित्सक बन कर लोगों की सेवा करना चाहती है। रचिता ने पठानकोट से जमा दो कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण करके बिना किसी कोचिंग के अपने पहले प्रयास में एमबीबीएस की सीट हासिल की है। रचिता को गर्वनमेंट मेडिकल कॉलेज नेरचौंक (मंडी) में दाखिला मिला है।

रचिता ने सफलता का सारा श्रेय परमात्मा के साथ अपने परिवार व शिक्षकों को दिया है। उन्होंने बताया कि वह आठ से 10 घंटे पढ़ती थी व कड़ी मेहनत कर उन्होंने लक्ष्य हासिल किया है। वहीं, रचिता के पिता डॉ. दिलवर सिंह ने बताया कि पहले प्रयास में ही बिना कोचिंग एमबीबीएस की सीट हासिल कर रचिता ने परिवार के साथ इलाके का नाम रोशन किया है, उन्होंने कहा कि पूरे परिवार को रचिता की सफलता पर गर्व है।

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