मारंडा में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने की गुरुवंदना

गुरुपूर्णिमा पर संघ की मारंडा शाखा की ओर से शाखा समय पर सुबह 6 बजे गुरुवंदना व गुरुपूजन किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में भगवा ध्वज को ही गुरु माना गया है। कार्यक्रम में डा. सुरजीत ने बताया कि भगवा ध्वज अनंत काल से हमारे राष्ट्र का ध्वज है।

By Richa RanaEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 03:14 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 03:14 PM (IST)
मारंडा में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने की गुरुवंदना
गुरुपूर्णिमा पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने गुरुवंदना की

मारंडा, संवाद सूत्र। गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य पर संघ की मारंडा शाखा की ओर से शाखा समय पर सुबह 6 बजे गुरुवंदना व गुरुपूजन किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में भगवा ध्वज को ही गुरु माना गया है। कार्यक्रम में जिला कुटुम्ब प्रबोधन प्रमुख डा. सुरजीत ने बताया कि "भगवा ध्वज" अनंत काल से हमारे राष्ट्र का ध्वज है। परम पूज्यनीय डा. केशव बलिराम हेडगेवार ने 1925 में जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हुई तो परम पवित्र भगवा ध्वज को अपना गुरू मानने के पीछे यही कारण था कि वे शताब्दियों से सिंचित सभ्यता और संस्कृति के बल से हिन्दू राष्ट्र को जीवंत करना चाहते थे। भगवे ध्वज में सूर्य का तेज समाया हुआ है। यह भगवा रंग त्याग, शौर्य, आध्यात्मिकता का प्रतीक है।

भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा सारथ्य किये गए अर्जुन के रथ पर भगवा ध्वज ही विराजमान था। भगवा ध्वज रामकृष्ण, दक्षिण के चोल राजाओं, सम्राट कृष्णदेव राय, छत्रपति शिवाजी, गुरु गोविंद सिंह और महाराजा रणजीत सिंह की पराक्रमी परम्परा और सदा विजयी भाव का सर्वश्रेष्ठ प्रतीक है । इसमें यदि सम्राट हर्ष और विक्रमादित्य का प्रजा वत्सल राज्य अभिव्यक्त होता है तो व्यास, दधीचि और समर्थ गुरु रामदास से लेकर स्वामी रामतीर्थ, स्वामी दयानंद, महर्षि अरविंद, रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद तक का वह आध्यात्मिक तेज भी प्रकट होता है, जिसने राष्ट्र और धर्म को संयुक्त किया तथा आदिशंकर की वाणी से यह घोषित करवाया कि राष्ट्र को जोड़ते हुए ही धर्म प्रतिष्ठित हो सकता है।

भगवा ध्वज का निर्माण संघ ने नहीं किया। संघ ने तो उसी परम पवित्र भगवा ध्वज को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकार किया है जो कि हजारों वर्षाें से राष्ट्र और धर्म का ध्वज था। भगवा ध्वज के पीछे इतिहास है। परंपरा है। वह हिंदू संस्कृति का द्योतक है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का निर्माण हिन्दू धर्म, हिन्दू संस्कृति और हिन्दू राष्ट्र की रक्षा के निमित्त हुआ है। जो जो वस्तुएँ इस संस्कृति की प्रतीक है, उसकी संघ रक्षा करेगा। भगवा ध्वज हिंदू धर्म और हिन्दू राष्ट्र का प्रतीक होने के कारण उसे राष्ट्र ध्वज मानना संघ का परम् कर्तव्य है। हम किसी व्यक्ति की पूजा नहीं करते, क्योंकि हम किसी भी व्यक्ति के बारे में यह विश्वास नहीं दिला सकते कि वह अपने मार्ग पर अटल ही रहेगा । केवल तत्व ही अटल पद पर आरुढ़ रहा करते है, अथवा ध्वज अटल है। कार्यक्रम में जिला संघचालक डा. जगतार गुलेरिया, मुख्यशिक्षक प्रशांत, कमल सूद, अजय सूद, विवेक, ऋतिक, कुशाग्र आदि मारंडा शाखा के स्वयंसेवक उपस्थित रहे।

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