एनपीएस कर्मियों को उसी तरह पेंशन मिले जैसे नेता ले रहे, मृत कर्मी के परिवार को पुरानी पेंशन न दी आंदोलन

NPS Employees पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष प्रवीण शर्मा व राज्य प्रधान सचिव एलडी चौहान ने हर राजनीतिक दल से पूछा कि जब पेंशन कर्मचारियों से छीन ली तो फिर छीनने वाले नेता शपथ भर लेने के ताउम्र किस अधिकार से लाखों रुपये लेते हैं।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Sun, 11 Apr 2021 02:44 PM (IST) Updated:Sun, 11 Apr 2021 02:44 PM (IST)
एनपीएस कर्मियों को उसी तरह पेंशन मिले जैसे नेता ले रहे, मृत कर्मी के परिवार को पुरानी पेंशन न दी आंदोलन
पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

पालमपुर, संवाद सहयोगी। NPS Employees, पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष प्रवीण शर्मा व राज्य प्रधान सचिव एलडी चौहान ने हर राजनीतिक दल से पूछा कि जब पेंशन कर्मचारियों से छीन ली तो फिर छीनने वाले नेता शपथ भर लेने के ताउम्र किस अधिकार से लाखों रुपये लेते हैं। संयुक्त मोर्चा पदाधिकारियों ने कहा पेंशन हर कर्मी के बुढ़ापे की लाठी थी। जिसे अंग्रेज लोग ही लागू कर गए थे। संविधान में भी इसका प्रावधान था,  लेकिन 2003 में इस व्यवस्था को देश को विकसित करने वाली सरकार ने बंद कर दिया।

प्रदेश अध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने कहा ऐसे में लोकतंत्र की सही परिभाषा बताई जाए, क्योंकि लोकतंत्र का मतलब हर व्यक्ति देश का हिस्सा है। लेकिन हकों को छीन कर तो लगता है कि इस देश में नेतातंत्र है, जहां कभी भी लोगों के मौलिक अधिकारों को छीन लिया जाता है। एनपीएस के तहत रिटायर कर्मी दो वक्त की रोटी के मोहताज हैं। लेकिन सरकार को एनपीएस कर्मियों की व्यथा नहीं सुनाई देती।

केंद्र की अधिसूचनाओं को भी एनपीएस कर्मियों पर लागू नहीं किया जा रहा। प्रदेश में बहुत से एनपीएस कर्मी हादसों में मर गए। सरकार ने उन्हें पुरानी पेंशन नहीं दी, जबकि यह सुविधा केंद्रीय कर्मचारियों को 2009 से मिलती है। कहा नेता वही अच्छा होता है, जो निष्पक्ष कार्य करे और देश की प्रजा के हित में कार्य करे। हम यह कदापि नहीं कहते कि नेताओं को रिटायरमेंट के बाद लाखों की पेंशन क्यों मिलती है बल्कि हम तो यह पूछते है कि जिस पेंशन का हक संविधान में नेताओं के लिए लिखित नहीं हैं उसे किस प्रकार से लेते हैं। किस संविधान के तहत कर्मचारियों से पेंशन का हक छीन लिया जो कि वर्तमान संविधान में लिखित था।

मोर्चा पदाधिकारियों ने कहा कि वर्तमान सरकार पुरानी पेंशन बहाल नहीं करना चाहती और विपक्ष भी एनपीएस कर्मियों के हित में नहीं बोलता। हम चाहते हैं कि सरकार के नुमाइंदे उन घरों में जरूर जाएं, जहां रिटायर पेंशन से वंचित कर्मी रहते हैं। मात्र 800 रुपये की पेंशन मिलती हैं और उनके बच्चे बेरोजगार हैं। विडंबना है कि इन रिटायर कर्मियों से सरकार ने वर्षों अनुबंध पर भी कार्य लिया है। उन्‍होंने चेतावनी दी कि सरकार एनपीएस कर्मियों को वही पेंशन मिले, जो रिटायरमेंट के बाद नेता लेते हैं और एनपीएस कर्मियों के लिए केंद्र की अधिसूचना, प्रदेश सरकार लागू करे व नौकरी के दौरान हर मृत कर्मी के परिवार को पुरानी पेंशन दी जाए। अन्यथा मजबूरन मोर्चा को आंदोलन करना पड़ेगा।

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