गाड़ी धोने में अब बर्बाद नहीं होगा ज्‍यादा पानी, समय और पैसे की भी होगी बचत, पोर्टेबल इक्विपमेंट किया तैयार

Car Washing गाडिय़ां धोने के लिए अब पानी की बर्बादी नहीं होगी। साथ ही पैसे और समय की बचत भी हो सकेगी। हिमाचल स्थित शूलिनी विश्वविद्यालय सोलन के प्रोफेसर अभिलाष पठानिया ने पोर्टेबल व्हीकल वाशिंग इक्विपमेंट तैयार किया है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Wed, 24 Feb 2021 02:44 PM (IST) Updated:Wed, 24 Feb 2021 02:52 PM (IST)
गाड़ी धोने में अब बर्बाद नहीं होगा ज्‍यादा पानी, समय और पैसे की भी होगी बचत, पोर्टेबल इक्विपमेंट किया तैयार
शूलिनी विश्वविद्यालय सोलन के प्रोफेसर अभिलाष पठानिया ने पोर्टेबल व्हीकल वाशिंग इक्विपमेंट तैयार किया है।

सोलन, सुनील शर्मा। गाडिय़ां धोने के लिए अब पानी की बर्बादी नहीं होगी। साथ ही पैसे और समय की बचत भी हो सकेगी। हिमाचल स्थित शूलिनी विश्वविद्यालय सोलन के प्रोफेसर अभिलाष पठानिया ने पोर्टेबल व्हीकल वाशिंग इक्विपमेंट तैयार किया है। इस उपकरण से 35 लीटर पानी से एक गाड़ी (कार) को धोया जा सकेगा। अब एक गाड़ी को धोने में करीब 250 लीटर पानी लगता है। यह ऐसा उपकरण है जो गाड़ी में रखकर साथ लेकर भी चल सकते हैं और सुविधा के अनुसार किसी भी स्थान पर गाड़ी धो सकेंगे। विश्वविद्यालय ने दिसंबर 2020 में पेटेंट दर्ज करवा दिया है। उपकरण मई 2021 तक बाजार में उतारा जा सकता है। इसको लेकर अभी किसी कंपनी से करार नहीं हुआ है।

ऐसे काम करेगा उपकरण

इस उपकरण में टैंक, एक छोटा पंप, छोटी मोटर, नायलॉन ब्रश और छोटी बैटरी लगाई जाएगी। सबसे पहले टैंक में पानी भरना होगा। टैंक में 30 लीटर और पांच लीटर के दो हिस्से होंगे। पहले पांच लीटर वाले टैंक में सर्फ मिलाकर गाड़ी पर डालेंगे। उसके बाद 30 लीटर पानी से गाड़ी को चकाचक कर सकेंगे। यह उपकरण गाड़ी की बैटरी से काम करेगा। नायलॉन के ब्रश व पानी को हाथों और बटन से चलाया जा सकेगा। इसी तरह ब्रश से गाड़ी के अंदर का फीट मैट व डैश बोर्ड साफ किया जाएगा।

छह से दस हजार तक होगी कीमत

पोर्टेबल व्हीकल वाशिंग इक्विपमेंट की शुरुआती कीमत छह से दस हजार रुपये तक पड़ेगी। हालांकि जब इसका उत्पादन ज्यादा होगा तो कीमत और कम होने की संभावना है। इसे तैयार करने में तीन महीने का समय लगा है। इस पर करीब 20 हजार रुपये खर्च हुए। प्रोफेसर व छात्रों ने इस प्रोजेक्ट पर संयुक्त रूप से कार्य किया। इसके सैंपल मॉडल तैयार किए जा रहे हैं।

पानी बचाना मकसद

प्रोफेसर मैकेनिकल इंजीनियरिंग शूलिनी विश्वविद्यालय सोलन अभिलाष पठानिया का कहना है इस प्रोजेक्ट को तैयार करने के पीछे का मकसद पानी बचाना है। रोजाना बहुत सारा पानी गाडिय़ां धोने में बर्बाद हो जाता हैै। अब कई गुणा कम पानी लगेगा। कोई व्यक्ति रोजाना भी गाड़ी धोना चाहता है तो आसान होगा। जरूरत के मुताबिक इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा।

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