अब IGMC शिमला में कोहनी से खुलेंगे नल, संक्रमण का घटेगा खतरा

शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज एवं अस्पताल (आइजीएमसी) में वीरवार दोपहर बाद हास्पिटल इनफेक्शन कंट्रोल कमेटी की बैठक हुई। बैठक में हास्पिटल इनफेक्शन के नियंत्रण के लिए कई मुद्दों पर चर्चा की गई और जरूरी निर्णय लिए गए।

By Virender KumarEdited By: Publish:Thu, 02 Dec 2021 06:15 PM (IST) Updated:Thu, 02 Dec 2021 06:15 PM (IST)
अब IGMC शिमला में कोहनी से खुलेंगे नल, संक्रमण का घटेगा खतरा
अब IGMC शिमला में कोहनी से नल खुलेंगे जिससे संक्रमण का खतरा घटेगा। जागरण आर्काइव

शिमला, जागरण संवाददाता। शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज एवं अस्पताल (आइजीएमसी) में वीरवार दोपहर बाद हास्पिटल इनफेक्शन कंट्रोल कमेटी की बैठक हुई। बैठक में हास्पिटल इनफेक्शन के नियंत्रण के लिए कई मुद्दों पर चर्चा की गई और जरूरी निर्णय लिए गए। अस्पताल में उपकरणों को स्टरलाइज (शोधित) करने के लिए केमिकल इंडिकेटर और बायोलाजिकल इंडिकेटर इस्तेमाल किए जाएंगे, ताकि उपकरण बेहतरीन गुणवत्ता के साथ स्टरलाइज हो सकें।

अस्पताल में विभिन्न आपरेशन थिएटर, लैब, ओपीडी और वार्डों में एल्बो आपरेटेड (कोहनी से चलने वाले) नल लगाए जाएंगे, ताकि अस्पताल स्टाफ बार-बार हाथ से नल न खोले और संक्रमण फैलने की आशंका न रहे। इसके अलावा नियमित तौर पर अस्पताल में जगह-जगह से इंफेक्शन जांचने के लिए सैंपल लिए जाएंगे।

साथ ही अस्पताल में मरीजों को खाना परोसने और खाना बनाने वाले स्टाफ का नियमित चेकअप किया जाएगा, ताकि मरीजों में संक्रमण फैलने का डर न रहे। इसी संदर्भ में अस्पताल में आगामी समय से तैनात किए जाने वाले इंटर्नस, पीजी व अन्य स्टाफ को बायोमेडिकल वेस्ट के निस्तारण संबंधी ट्रेङ्क्षनग दी जाएगी। अस्पताल में लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट प्रणाली विकसित की जाएगी। इसमें विभिन्न ब्लड सैंपल और यूरीन सैंपल को जांच के बाद नष्ट करने के लिए पहले स्टरलाइज किया जाएगा।

अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डा. जनकराज ने बताया कि मरीजों के साथ अस्पताल स्टाफ को संक्रमण से बचाए रखने के लिए यह कमेटी गठित की गई है। अस्पताल में नियमित तौर पर संक्रमण को लेकर बैठकें आयोजित होती रहती हैं। अस्पताल स्टाफ को समय-समय पर संक्रमण से खुद को बचाए रखने को लेकर प्रशिक्षण के साथ जागरूक किया जाता है। आइजीएमसी में रोजाना 700 से 800 मरीज विभिन्न वार्डों में अलग-अलग बीमारियों के उपचार के लिए दाखिल रहते हैं। साथ ही अलग-अलग ओपीडी में रोजाना 2000 से 3000 मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। सैकड़ों स्वास्थ्य कर्मी उनके इलाज के लिए तैनात रहते हैं। ऐसे में कई बार संक्रमण फैलने की आशंका रहती है। बैठक में आइजीएमसी के प्रधानाचार्य डा. सुरेंद्र ङ्क्षसह सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।

chat bot
आपका साथी