अब दवाएं बनाने के लिए आसानी से मिलेगा कच्‍चा माल, सोलन में हर्बल मंडी तैयार, किसानों की आय भी बढ़ेगी

Herbal Market Solan हर्बल उत्पादों की खेती करने वाले किसानों को अब अपनी फसल बेचने के लिए अन्‍य राज्यों का रुख नहीं करना पड़ेगा। जिला सोलन के बनलगी में एपीएमसी की ओर से प्रदेश सरकार के सहयोग से हर्बल मंडी का निर्माण कार्य लगभग पूरा कर लिया गया है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 06:21 AM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 07:36 AM (IST)
अब दवाएं बनाने के लिए आसानी से मिलेगा कच्‍चा माल, सोलन में हर्बल मंडी तैयार, किसानों की आय भी बढ़ेगी
जिला सोलन के बनलगी में एपीएमसी की ओर से हर्बल मंडी का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है।

सोलन, विनोद कुमार। Herbal Market Solan, हिमाचल प्रदेश में हर्बल उत्पादों की खेती करने वाले किसानों को अब अपनी फसल बेचने के लिए अन्‍य राज्यों का रुख नहीं करना पड़ेगा। जिला सोलन के बनलगी में एपीएमसी की ओर से प्रदेश सरकार के सहयोग से हर्बल मंडी का निर्माण कार्य लगभग पूरा कर लिया गया है। अब जल्द ही इस मंडी में किसान हर्बल उत्पादों को बेच पाएंगे। इस मंडी के निर्माण से जहां प्रदेश के हर्बल उत्पादकों को बाजार मिलेगा। वहीं आयुर्वेदिक दवा बनाने वाली कंपनियों को भी प्रदेश में ही कच्चा माल उपलब्ध हो जाएगा।

प्रदेश के किसानों द्वारा अपने खेतों में कई प्रकार के हर्बल उत्पाद पैदा किए जाते है। वहीं प्रदेश के जंगलों में भी बेशकीमती जड़ी बूटियां पैदा होती हैं। इन उत्पादों को स्थानीय स्तर पर बाजार मिलने से जहां एक ओर इनका उत्पादन बढ़ेगा। वहीं दूसरी ओर किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होगी व कई लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।

पहाड़ी राज्य हिमाचल में पैदा होने वाली जड़ी बूटी व्यर्थ नहीं होगी, ब्लकि उससे कई रोगों के इलाज के लिए आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने में मदद मिलेगी। प्रदेश में आंवला, बहेड़ा, अश्वगंधा, हरड़, सतबरी सहित अन्य कई हर्बल उत्पादों का उत्पादन होता है। वहीं प्रदेश के जंगलों में भी बेशकीमती जड़ी बूटियां पाई जाती हैं, जिसका उपयोग कई गंभीर बीमारियों के लिए तैयार होने वाली आयुर्वेदिक दवाइयों में होता है।

आर्युवेद विभाग के विशेषज्ञों की माने तो प्रत्येक आयुर्वेदिक उत्पाद के निर्माण में किसी न किसी हर्ब का प्रयोग होता है। प्रदेश में हर्बल उत्पादों के उत्पादन की भी अपार संभावनाएं है। प्रदेश के जिला किन्नौर, लाहुल-स्‍पीति, शिमला, सिरमौर, चंबा, सोलन जिलों में किसानों द्वारा हर्बल उत्पादों का अब तक छोटे स्तर में उत्पाद होता है, यदि इन उत्पादों को उचित बाजार मिल जाए व सरकार का भी थोड़ा सहयोग हो तो उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।

वहीं कुछ हर्बल उत्पाद प्रदेश के गर्म इलाकों में भी पैदा होते हैं। प्रदेश के उंचाई वाले क्षेत्रों जैसे किन्नौर में तो कई प्रकार की बेशकीमती जड़ी बूटियां पाई जाती हैं। प्रदेश सरकार के एक्ट के तहत जंगल में पाई जाने वाली कुछ जड़ी बूटियों के व्यापार पर प्रतिबंध भी है।

बनलगी में पुरानी मंडी को रिपेयर करके बनाई गई हर्बल मंडी

एपीएमसी सोलन द्वारा बनलगी में पुरानी सब्जी मंडी को रिपेयर करके नई मंडी बनाई गई है। इसमें करीब ढाई से तीन लाख रुपये खर्च हुए हैं। एपीएमसी की माने तो हर्बल मंडी में अभी छह दुकानें बनी हैं। इनको आक्शन करने का कार्य भी कर लिया गया है। वहीं आढ़तियों को लाइसेंस भी जारी कर दिए गए हैं। एक माह के बाद यहां हर्बल उत्पादों का कारोबार शुरू होने की संभावना है। इसके अलावा मंडी में एपीएमसी द्वारा किसानों के सुविधाएं उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है।

जल्‍द शुरू होगा कारोबार

कृषि उपज मंडी समिति सोलन के सचिव रविंद्र शर्मा का कहना है कि सोलन के बनलगी में प्रदेश की पहली हर्बल मंडी का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो गया है। उन्होंने बताया जल्द ही यहां कारोबार शुरू कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि पुरानी मंडी को रिपेयर करके नई मंडी में बदला गया है। सब्जी मंडी काफी समय से बद पड़ी हुई थी।

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