अब सुरक्षित होगा हवाई सफर, एयरक्रॉफ्ट में आई दरारों की मैन्युल नहीं सॉफ्टवेयर के जरिये होगी मरम्मत
Aircraft Repair Work By Software एयरक्रॉफ्ट के पैनल में आने वाली दरारों (क्रैक्स) की मरम्मत के लिए देश की सेना व एयरलाइंस कंपनियों को विदेशी तकनीक पर निर्भर नहीं रहना होगा।
मंडी, हंसराज सैनी। एयरक्रॉफ्ट के पैनल में आने वाली दरारों (क्रैक्स) की मरम्मत के लिए देश की सेना व एयरलाइंस कंपनियों को विदेशी तकनीक पर निर्भर नहीं रहना होगा। दरार भरने में अब न क्षमता से अधिक और न ही क्षमता से कम पदार्थ का प्रयोग होगा। लड़ाकू व अन्य विमानों के एल्युमिनियम पैनल की दरारें भरने का काम स्वदेशी तकनीक से होगा। दरार की मरम्मत में कितना पदार्थ लगेगा, यह आदमी नहीं बल्कि सॉफ्टवेयर तय करेगा। इससे मैटीरियल की बर्बादी भी नहीं होगी। मरम्मत कार्य में भी कम खर्च आएगा।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी के शोधकर्ताओं ने सॉफ्टवेयर ईजाद किया है। सॉफ्टवेयर के बाद अब कंपोजिट पदार्थ का निर्माण होगा। कंपोजिट पदार्थ एयरक्रॉफ्ट के एल्युमिनियम पैनल में आने वाली दरारों को जोडऩे का काम करेगा। दरारें भरने में कौन सा पदार्थ उपयुक्त होगा, यह भी सॉफ्टवेयर ही तय करेगा। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के एरोनॉटिक्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट बोर्ड (एआरएंडडीबी) विंग ने आइआइटी मंडी को सॉफ्टवेयर एवं कम्पोजिट पदार्थ तैयार करने का जिम्मा सौंपा है।
लड़ाकू व अन्य विमानों के एल्युमिनियम पैनल में हवा के तेज दबाव व पक्षियों के टकराने से दरारें आना आम है। मेन्युल रिपेयर में समय की खपत ज्यादा होती है। इससे बचने के लिए कई बार तो एयरलाइंस कंपनियां दरारों की मरम्मत में वाइंडिंग वायर व सेलोटेप तक का इस्तेमाल कर लेती हैं। देश में इस तरह के मामले कई बार सामने आ चुके हैं। इससे यात्रियों की सुरक्षा को लेकर हमेशा खतरा बना रहता है। मेन्युल रिपेयर में पैचवर्क की गुणवत्ता पर भी संदेह बना रहता है। घर्षण की समस्या बनी रहती थी। करीब 14.50 लाख के इस प्रोजेक्ट पर आइआइटी मंडी के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के सहायक प्रोफेसर डॉ. हिमांशु पाठक के नेतृत्व में सॉफ्टवेयर तैयार करने का काम साल भर पहले शुरू हुआ था।
सेना व एयरलाइंस कंपनियों के एयरक्रॉफ्ट के एल्युमीनियम पैनल में हवा के दबाव व कई अन्य कारणों से दरारें आती हैं। उनकी मरम्मत का कार्य अब तक मेन्युल तरीके से हो रहा है। सॉफ्टवेयर से अब दरारों की मरम्मत, मैटीरियल का सही चयन करना आसान होगा। -डॉ. हिमांशु पाठक सहायक प्रोफेसर, स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग आइआइटी मंडी।