न मिलती मौसम की जानकारी, न ही चिकित्सा का इंतजाम

पैराग्लाइडिंग व‌र्ल्ड कप के बाद बिलिंग की जिस टेक आफ साइट को दुनिया की नंबर एक साइट बनाने के दावे किए जाते हैं उसकी हकीकत बेहद खराब है। दुनियाभर में इस साइट का जिस ढंग से प्रचार किया जा रहा है उसके मुकाबले यहां पायलटों के लिए कोई सुविधा नहीं है। पायलटों को न तो मौसम की जानकारी उपलब्ध करवाने का कोई प्रावधान है और न ही टेक आफ साइट व लैंडिग साइट में चिकित्सा व रेस्क्यू टीम का प्रबंध किया जा सका है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 05:00 PM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 05:00 PM (IST)
न मिलती मौसम की जानकारी, न ही चिकित्सा का इंतजाम
न मिलती मौसम की जानकारी, न ही चिकित्सा का इंतजाम

पैराग्लाइडिंग व‌र्ल्ड कप के बाद बिलिंग की जिस टेक आफ साइट को दुनिया की नंबर एक साइट बनाने के दावे किए जाते हैं, उसकी हकीकत बेहद खराब है। दुनियाभर में इस साइट का जिस ढंग से प्रचार किया जा रहा है, उसके मुकाबले यहां पायलटों के लिए कोई सुविधा नहीं है। पायलटों को न तो मौसम की जानकारी उपलब्ध करवाने का कोई प्रावधान है और न ही टेक आफ साइट व लैंडिग साइट में चिकित्सा व रेस्क्यू टीम का प्रबंध किया जा सका है।

रोजाना पायलट अपने ही रिस्क पर उड़ानें भरते हैं। यहां मौसम की जानकारी के अभाव में अक्सर हादसे होते रहते हैं। प्रतियोगिताओं के नाम पर बिलिंग से बीड़ तक करोड़ों रुपये अब तक सुविधाओं के नाम पर फूंक दिए गए हैं, लेकिन जिन पायलटों के सहारे बिलिग दुनिया में चमकी है, उनकी सुविधा के लिए कोई इंतजाम नहीं हैं। बिलिंग में होने वाली पैराग्लाइडिग प्रतियोगिता के दौरान ही यहां रेस्क्यू, चिकित्सा टीमों व हेलीकाप्टर की व्यवस्था होती है। इसके अलावा अन्य समय यहां से हजारों पर्यटक टेंडम फ्लाइंग करते हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है।

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एक कर्मचारी के सहारे बीड़-बिलिग

बीड़-बिलिग घाटी में पर्यटन गतिविधियों सहित स्पेशल एरिया डेवलपमेंट अथारिटी की जिम्मेदारी केवल एक कर्मचारी के सहारे है। यही कर्मचारी यह सारी व्यवस्था देखता है। यहां उड़ानें भरने से लेकर लैंडिग तक की देखरेख के लिए करीब पांच कर्मचारी होना जरूरी है।

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पर्यटन विभाग नहीं रखता कोई सरोकार

बीड़-बिलिग घाटी में रोजाना हजारों पर्यटक पहुंचते हैं। बावजूद इसके पर्यटन विभाग की यहां पर कोई गतिविधि या उपस्थिति नजर नहीं आती है। वैसे तो बिलिग रोड में एक पर्यटन सूचना केंद्र है लेकिन यह भी बिना कर्मचारियों के बंद रहता है। केवल यहां होने वाली पैराग्लाइडिग प्रतियोगिता के दौरान ही पर्यटन विभाग को घाटी की याद आती है।

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बिलिंग में व‌र्ल्ड कप व प्री व‌र्ल्ड कप के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं लेकिन सुविधाएं अब भी नहीं हैं। सरकार को यहां रेस्क्यू टीम व चिकित्सा टीम हर समय उपलब्ध करवानी चाहिए।

-सतीश अबरोल, अध्यक्ष बिलिग वैली एयरो स्पो‌र्ट्स सोसायटी

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पायलटों को तुरंत मौसम खराब होने की जानकारी मिल पाए, इसके लिए यहां पर व्यवस्था करवाई जा रही है। तुरंत चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने का भी प्रबंध किया जाएगा।

-सलीम आजम, एसडीएम, बैजनाथ।

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टेक आफ प्वाइंट में गंदगी का अंबार

सैकड़ों लोगों को रोजगार देने वाली बिलिग घाटी में स्थित पैराग्लाइडिग के टेक आफ प्वाइंट में गंदगी का अंबार है। बीड़ लैंडिग साइट के आसपास भी कचरा बिखरा रहता है। टेक आफ साइट बिलिग में लाखों की लागत से वन विभाग की ओर से पायलटों की सुरक्षा के लिए लगाई गई हरे रंग की मैट गोबर से भर चुकी है। बिलिंग में रोजाना 500 से अधिक पायलट उड़ानें भर रहे हैं।

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खराब मौसम में भी हो रही उड़ानें

बिलिग घाटी में कुछ हादसे होने के बावजूद पायलट खराब मौसम में भी उड़ानें भर रहे हैं। ऐसे में यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। मौसम खराब होने के कारण यहां पहले भी कई हादसे हो चुके हैं। इसके अलावा बीड़-बिलिग रोड में पर्यटकों को ले जा रहे कुछ चालक काफी तेज गति से वाहन चला रहे हैं, लेकिन ऐसे वाहन चालकों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

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बिलिंग में सफाई के लिए कोई स्थायी कर्मचारी नहीं है लेकिन बीच-बीच में हम सफाई करवाते हैं। हालांकि कचरे के निष्पादन के लिए कोई साइट नहीं होने से दिक्कत आ रही है।

-रणविजय, सुपरवाइजर, साडा, पैराग्लाइडिग।

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वन विभाग ने यहां मेट बिछाई है ताकि टेक आफ साइट सुरक्षित हो और सुंदर लगे। यहां व्यवस्था बनाना साडा की जिम्मेदारी है। इसके लिए कुछ दिन पहले साडा की बैठक में भी सफाई कर्मचारी को लेकर चर्चा हुई है।

नीतिन पाटिल, वन मंडल अधिकारी, पालमपुर

-प्रस्तुति : मुनीष दीक्षित, बैजनाथ

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