राजोल के ओडरी गांव के लिए सड़क बनी सपना
संवाद सूत्र कोटला राजोल पंचायत के ओडरी गांव के बाशिदें आजादी के सात दशक बीतने के बाद
संवाद सूत्र, कोटला : राजोल पंचायत के ओडरी गांव के बाशिदें आजादी के सात दशक बीतने के बाद भी गुलामी की जिदगी जीने को मजबूर हैं। आलम यह है कि गांव के लिए कोई भी रास्ता नहीं है। ओडरी गांव के बाशिदें पूर्व प्रधान केडी हिमाचली, महेंद्र सिंह, रघुवीर सिंह, सरवन कुमार, राजेंद्र, केवल, अनिल कुमार, पंकज, बबलू, कमलेश कुमारी, जोगिदर कुमार ने कहा कि उनके गांव में गद्दी समुदाय के करीबन 14-15 परिवार बसते हैं। उनके गांव को जाने के लिए कोई भी रास्ता नहीं है। उनके बच्चे तो झाड़ियों को पकड़कर स्कूल पहुंचते हैं तथा बुजुर्गो का तो बाजारों में पहुंचना सपना बनकर रह गया है। जब भी गांव में कोई भी बीमार हो जाता है तो मरीज को पालकी में डालकर या कंधे पर उठाकर करीबन डेढ़ किलोमीटर का सफर तय करके राजोल तक मुख्य मार्ग में पहुंचाना पड़ता है, उसके बाद एंबुलेंस की सुविधा नसीब होती है।
उन्होंने कहा कि बच्चों को अनुही या राजोल स्कूल में पढ़ने के लिए डाला जाता है, लेकिन बरसात में खड्ड आने से बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं। गांववासियों ने कहा कि पहले कांग्रेस कार्यकाल में सड़क के निर्माण की मांग की जाती रही, लेकिन आश्वासन से आगे बात नहीं बढ़ सकी।
चुनाव नजदीक आते हैं तो राजनेता उनके घरों तक वोट मांगने आ जाते हैं। उस समय राजनेताओं द्वारा आश्वासन दिए जाते हैं कि अगर जीत हासिल हुई तो प्राथमिकता से उनके घरों को पक्का रास्ता बनवाया जाएगा, लेकिन जीत मिलने के बाद उनके घरों की याद तक नहीं आती है। गांववासियों ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व विधायक अर्जुन सिंह से मांग की है कि पंचायत के चुनावों से पहले उनके घरों को पक्का रास्ता बनवाया जाए और अगर रास्ता नहीं बनवाया गया तो वह पंचायत चुनाव सहित विस चुनाव का बहिष्कार करेंगे। उधर, लोक निर्माण विभाग कोटला के एसडीओ राजेश कुमार ने कहा कि ओडरी गांव के लिए रास्ता निर्माण के लिए विभाग के पास पांच लाख रुपये का बजट आया है, लेकिन रास्ते के बीच में वन विभाग की जमीन पड़ती है, जिसके चलते कार्य शुरू नहीं हो पाया है। फोरेस्ट क्लीयरेंस मिलते ही रास्ते निर्माण का कार्य शुरू करवा दिया जाएगा।