तीर्थन घाटी में सड़क सुविधा की दरकार, लोग मरीज को पालकी में पहुंचा रहे अस्‍पताल

जिला कुल्लू के दुर्गम क्षेत्रों में आज भी कई गांव सड़क सुविधा से वंचित है। ऐसे में इन गांव में अगर कोई बीमार हो जाए तो उसे पालकी या कुर्सी पर उठाकर मुख्य सड़क मार्ग तक पहुंचाना पड़ता है।

By Richa RanaEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 12:07 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 12:07 PM (IST)
तीर्थन घाटी में सड़क सुविधा की दरकार, लोग मरीज को पालकी में पहुंचा रहे अस्‍पताल
जिला कुल्लू के दुर्गम क्षेत्रों में आज भी कई गांव सड़क सुविधा से वंचित है।

गुशैणी, जेएनएन। जिला कुल्लू के दुर्गम क्षेत्रों में आज भी कई गांव सड़क सुविधा से वंचित हैं। ऐसे में इन गांव में अगर कोई बीमार हो जाए तो उसे पालकी या कुर्सी पर उठाकर मुख्य सड़क मार्ग तक पहुंचाना पड़ता है। ऐसा ही मामला बुधवार को तीर्थन घाटी के ग्राम पंचायत पेखड़ी के नाहीं गांव में पेश आया।

यहां पर 72 वर्षीय महिला रामदेई पिछले कुछ दिन पूर्व बीमार हो गई। इसके बाद परिजनों ने महिला को आईजीएमसी शिमला ले जाया जहां पर चिकित्सकों ने पत्थरी होना बताया। इसके बाद महिला का आपरेशन हुआ इसके दूसरे सप्ताह मंगलवार को महिला के टाकें में दिक्कत पेश आई और महिला चलने फिरने में असमर्थ थी। परिजनों ने महिला को अस्पताल ले जाने के लिए कुर्सी पर उठाकर तीन किलोमीटर पैदल पेखड़ी सड़क मार्ग तक पहुंचाया। इसके बाद महिला को क्षेत्रीय असप्ताल कुल्लू लाया जहां पर महिला का उपचार चल रहा है।

हैरानी की बात है कि आज भी कुल्लू जिला में कई गांव ऐसे हैं जहां पर सड़क सुविधा तो दूर हल्की सी बीमारी के लिए डिस्पेंसरी तक नहीं है। भले ही प्रदेश सरकार बड़े बड़े दावे करती हो लेकिन हकीकत कुछ और ही व्यां करती है। स्थानीय निवासी भेलू राम ने बताया कि पिछले सप्ताह गांव के एक युवक सचिन को अचानक सर में दर्द हुआ और जितने में परिजनों ने युवक को अस्पताल लाया तो रास्ते में ही युवक ने दम तोड़ दिया। अगर सड़क सुविधा होती तो युवक को बचाया जा सकता था। बंजार क्षेत्र में ही सबसे अधिक गांव है जहां पर सड़क सुविधा नहीं है। ऐसे में यहां के लोग अभी भी पुराने समय का जीवन यापन कर रहे हैं। ग्रामीणों ने मांग की है हमारे लिए सड़क सुविधा के लिए जो टेंडर लगाए हैं उसका कार्य जल्द आरंभ किया जाना चाहिए।

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