डाडासीबा में बदहाली पर आंसू बहा रहा ऐतिहासिक तालाब
ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण के लिए सरकारें दावे करती हैं पर वास्तविकता इससे कोसों दूर हैं। डाडासीबा में सरकार की अनदेखी से ऐतिहासिक तालाब पानी की बूंद बूंद के लिए तरस रहा है। लीकेज के कारण तालाब सूख चुका है।
डाडासीबा, कमलजीत। ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण के लिए सरकारें दावे करती हैं पर वास्तविकता इससे कोसों दूर हैं। डाडासीबा में सरकार की अनदेखी से ऐतिहासिक तालाब पानी की बूंद बूंद के लिए तरस रहा है। लीकेज के कारण तालाब सूख चुका है और इसके अंदर लोगों ने कचरा भरना या फेंकना शुरू कर दिया है।
स्थानीय दुकानदार अजय कुमार, प्रवीण मेहता, विजय सोनी, अजय सोनी, कुलभूषण डोगरा, हैप्पी ठाकुर व राजकुमार सुनील कुमार कहना है कि यह तालाब किसी समय डाडासीबा रियासत की मुख्य पहचान थी , लेकिन अब यह धूमिल होती जा रही है। ग्रामीणों के अनुसार कई बार राजनेताओं ने इसकी मरम्मत के लिए लाखों के बजट की घोषणा की, लेकिन नतीजा आज तक शून्य हैं।
उन्होंने सरकार से मांग की है कि तालाब का जीणोद्धार कर इसे पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाए। इस तालाब के लिए डाडासीबा खड्ड से पानी कुल के माध्यम से आता था। कुल करीब एक किलोमीटर लंबी थी, लेकिन इसके बंद होने से अब पानी नहीं पहुंच पाता है। प्रशासन भी इस दिशा में कोई कदम नहीं उठा रहा है।
इस तालाब का निर्माण 1831 में हुआ था। इस ऐतिहासिक तालाब का निर्माण 1831 में डाडासीबा रियासत के तत्कालीन राजा श्याम सिंह ने करवाया था।
उस समय रियासत के कई क्षेत्रों में पेयजल की उचित सुविधा नहीं होती थी। डाडासीबा बाजार के मध्य में तालाब के निर्माण का उद्देश्य यहां रहने वाले और आने जाने वाले लोगों को पेयजल सुविधा देना था। राजा साहिब ने बाजार में 30 मीटर लंबा तालाब बनाया था लेकिन अब यह सूख गया है। कहने को प्रशासन की ओर से मरम्मत करवाई गई है लेकिन रिसाव के कारण पानी नहीं टिक पाता है रिसाव रोकने में प्रशासन के हाथ खड़े हो गए हैं।
यह राजाओं के समय का ऐतिहासिक तालाब है सरकार की अनदेखी के कारण यह अपना अस्तित्व खोने के कगार पर हैं।
वहीं स्थानीय दुकानदार अजय कुमार ने कहा कि कुछ साल पहले यह तालाब पानी से लबालब भरा रहता था और दूर-दूर से लोग धार्मिक आस्था के कारण यहां मछलियों को खाद्य पदार्थ डालते थे। मगर अब यह सूख चुका है वहीं प्रवीण मेहता का कहना है कि तालाब डाडासीबा बाजार के मध्य में स्थित है। किसी समय अपनी खूबसूरती के लिए यह जाना जाता था पर कुछ सालों से यह अपनी सुंदरता खो चुका है इसे बचाने के प्रयास होने चाहिए।
वहीं डाडासीबा उप-प्रधान पंडित परमेश्वरी दास ने कहा कि इस तालाब पर लगभग 35 से 40 लाख रुपये की लागत लगनी है वहीं इतना बजट स्थानीय विधायक या संसद ही दे सकते हैं वहीं पंचायत ने इसकी दो बार सफाई भी करवा दी है। वहीं बीडीओ परागपुर कंवर सिंह इस कार्य को मनरेगा के तहत करवाया जाता है और यदि तालाब में पानी नहीं ठहरता है तो नई तकनीक द्वारा इसकी मरम्मत करवाई जाएगी।