राजा के तालाब के कब बहुरेंगे दिन, ऐतिहासिक तालाब में कभी होती थीं मछलियां आज सिर्फ गंदगी

प्राकृतिक जल स्रोतों के सरंक्षण पर सरकारें लाखों रुपये आंखें बंद करके खर्च कर रही हैं। सच्चाई यही की तालाबों में जल सरक्षंण कम देखने को मिलता और गंदगी की भरमार कहीं अधिक। ऐतिहासिक तालाब आज गंदगी से लबालब भरे पड़े हैं।

By Richa RanaEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 11:17 AM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 11:17 AM (IST)
राजा के तालाब के कब बहुरेंगे दिन, ऐतिहासिक तालाब में कभी होती थीं मछलियां आज सिर्फ गंदगी
तालाब में जल सरक्षंण कम देखने को मिलता और गंदगी की भरमार कहीं अधिक।

राजा का तालाब, संवाद सूत्र। प्राकृतिक जल स्रोतों के सरंक्षण पर सरकारें लाखों रुपये आंखें बंद करके खर्च कर रही हैं। सच्चाई यही की तालाबों में जल सरक्षंण कम देखने को मिलता और गंदगी की भरमार कहीं अधिक। तालाबों की जमीनों पर लगातार अवैध अतिक्रमण होने की वजह से उनके संकरा होते आकार को आज बचाने की कहीं अधिक जरूरत है। तालाबों पर हो रहे अवैध कब्जों की मिसलें तो जरूर बनाई गई, मगर उन पर कार्रवाई कौन करे आज बड़ा सवाल है। ऐतिहासिक तालाब आज गंदगी से लबालब भरे पड़े हैं।

ऐतिहासिक तालाब में गंदगी

कस्बा राजा का तालाब में स्थित ऐतिहासिक तालाब की हालत भी आजकल कुछ इस कदर बनी हुई है। कभी खिलते कमल के फूलों से लह लहाने बाले इस तालाब में आज गंदगी की भरमार है। खरपतवार के पौधों ने तालाब के बीच अपना अधिपत्य जमा रखा है।ऐसे में इस तालाब की सफाई किए जाने के लिए शायद सरकार के पास बजट का अभाव है। प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण इस ऐतिहासिक तालाब में पूर्व वर्षो में बड़ी मछलियां होती थी। तालाब जब पानी से भरा होता तो अक्सर बड़ी मछलियां रोमांचित करती थी। जनता यह नजारा देखने के लिए तालाब के पास दौड़े चली आती थी।

ऐतिहासिक तालाब का जीर्णोद्धार किए जाने के लिए सरकार ने कई बार बजट जरूर दिया,मगर शायद तालाब का कायाकल्प किए जाने के लिए वह नाकाफी नहीं था।सन 2003 में नेरना पंचायत ने इस तालाब को एक ठेकेदार को मछली पालन के लिए दिया था।कुछ महीनों तदोपरांत इस तालाब की मछलियां मरना शुरू हो गई और चारों तरफ बदबू फैल गई थी। ठेकेदार ने मजदूरों से इस तालाब की सफाई करवाई थी। मगर उसके बाद इस तालाब में मछली पालन करने की किसी ने हिम्मत नहीं दिखाई है।

तालाब में उगने वाले पत्तों का इस्तेमाल पहले लोग धाम का भोजन खाने के लिए उपयोग लाते थे। आज हालात इस कदर बन चुके की ऐसे पत्ते कम और खरपतवार के पौधों ने इस तालाब पर डेरा जमाया हुआ है। तालाब के अंदर एक पेय नामक जड़ हुआ करती थी जिसका उपयोग लोग सब्जी और आचार बनाने में किया करते थे। सरकार ने पूर्व बर्षो में इस ऐतिहासिक तालाब की मर्यादा बनाए रखने के लिए इसके इर्द,गिर्द लोहे की ग्रिल,पार्किंग बनाई और बैठने के लिए विश्राम गृह भी बनाया था। तालाब की ऐसी दुर्दशा देखकर आखिर कौन फिर ऐसे स्थानों में बैठना पसंद करेगा। वहीं, नेरना पंचायत उप प्रधान राज कुमार से इस बाबत बात करने की कोशिश की गईं, मग़र उनकी तरफ से कोई संतोषजनक उतर नहीं मिल पाया।

 राजा का तालाब में तेज बारिश से सिद्धपुर घाड़ को जाने बाला पुल क्षतिग्रस्त

राजा का तालाब: मंगलावर सुबह हुई रिमझिम बारिश के चलते सिद्धपुर घाड़ को जाने बाला पुल क्षतिग्रस्त हो गया। हालात ऐसे बने की पुल के किनारों की जमीन धंसने की वजह से वाहनों की आवाजाही फ़िलहाल बंद की दी गई है।लोगों को अब वाया मेरा फाटक से होकर जवाली जाना पड़ रहा है।लोक निर्माण विभाग ज्वाली अधिशाषी अभियंता अरुण वशिष्ट ने आज मौके पर पहुंच कर क्षतिग्र्रस्त पुल का जायजा लिया।लोक निर्माण विभाग अधिषासी अभियंता अरुण वशिष्ठ का कहना कि सिद्धघाड़ पुल के किनारे की फिलिंग धंस गई है और पुल बिल्कुल सुरक्षित है।इस पुल की जल्द मरम्मत किए जाने का काम शुरू कर दिया गया जल्दी ही इसे आवाजाही के लिए खोल दिया जाएगा।

संवाद सहयोगी, पालमपुर : सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से मनाए जा रहे सेवा सप्ताह के पांचवें दिन मंगलवार को वरिष्ठ नागरिक सम्मान दिवस का आयोजन किया गया। इसमे 90 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को सम्मानित किया गया और उनसे पौधारोपण भी करवाया गया। तहसील कल्याण अधिकार मंजुल ठाकुर ने 115 वर्षीय व्योवृद्ध महिला क्रोधू देवी पत्नी स्व. धुज राम गांव सुरडी डाकघर बन्दला के घर जाकर उनको सम्मानित किया गया तथा उनके हाथों से आंवले का पौधा लगवाया। इसके अतिरिक्त श्री सैरू राम (90 वर्ष), श्री मदलू राम (90वर्ष), श्री मुंशी राम (99 वर्ष) आदि वरिष्ठ नागरिकों को भी सम्मानित किया गया। उन्होंने बताया की इसी तरह के कार्यक्रम अन्य सभी पंचायतों में भी आयोजित किए गए ।

chat bot
आपका साथी