हिमाचल में फिलहाल ब्लैक फंगस का कोई मामला नहीं, स्वास्थ्य विभाग तैयार, जानिए लक्षण और बचाव का तरीका
Black Fungus in Himachal कोरोना की दूसरी लहर में कोरोना संक्रमित मरीजों में म्यूकर मायकोसिस (ब्लैक फंगस) होने का खतरा भी बढ़ रहा है। देश के कई राज्यों में कोरोना संक्रमित मरीज ब्लैक फंगस से भी ग्रसित पाए गए हैं।
धर्मशाला, मुनीष गारिया। Black Fungus in Himachal, कोरोना की दूसरी लहर में कोरोना संक्रमित मरीजों में म्यूकर मायकोसिस (ब्लैक फंगस) होने का खतरा भी बढ़ रहा है। देश के कई राज्यों में कोरोना संक्रमित मरीज ब्लैक फंगस से भी ग्रसित पाए गए हैं। इसके विपरीत ब्लैक फंगस से निपटने के लिए जिला कांगड़ा का स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से तैयार है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी कांगड़ा डा. गुरदर्शन गुप्ता ने कहा जिला कांगड़ा ही नहीं पूरी हिमाचल में अभी तक ब्लैक फंगस का कोई मामला नहीं आया है। इसके बावजूद हम लोग इससे निपटने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कोरोना पॉजिटिव लोगों में भी अगर ब्लैक फंगस पाया जाता है तो उसे अलग रखने की जरूरत नहीं होती है। उन्हें केवल एंटी फंगस के डोज देनी पड़ती है। यह डोज सामान्य से अधिक देनी होती है। जिला कांगड़ा में अभी एंटी फंगस की डोज काफी मात्रा में है।
यहां बता दें कि ब्लैक फंगस किसी मरीज में संक्रमण सिर्फ एक त्वचा से शुरू होता है, लेकिन यह शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है। उपचार के दौरान धब्बे हटाने के लिए सर्जरी की जाती है। कुछ मरीजों के ऊपरी जबड़े या कभी-कभी आंख निकालनी पड़ जाती है। इलाज में एंटी-फंगल थेरेपी का चार से छह सप्ताह का कोर्स भी शामिल हो सकता है। चूंकि यह शरीर के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित करता है, इसलिए इसके उपचार के लिए फीजिशियन के अलावा, न्यूरोलॉजिस्ट, ईएनटी विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ, दंत चिकित्सक, सर्जन की टीम जरूरी है।
इन कारणों से हो रहा ब्लैक फंगस
अनियंत्रित मधुमेह स्टेरॉयड लेने के कारण इम्यूनोसप्रेशन कोरोना संक्रमण अधिक होने के कारण अधिक समय आइसीयू में रहना।यह एहतियात जरूरी
धूल भरी जगह पर जाने से बचें और मास्क लगाएं। खेतों या बागवानी में मिट्टी या खाद का काम करते समय शरीर को जूते, ग्लव्स से पूरी तरह ढककर रखें। स्क्रब बाथ के जरिये सफाई पर पूरा ध्यान दें।
ये हैं ब्लैक फंगस के लक्षण
कोरोना मरीज ऐसे बच सकते हैं ब्लैक फंगस से खून में शुगर की ज्यादा कमी नहीं होने दें तथा हाइपरग्लाइसेमिया) से बचें। कोरोना से ठीक हुए लोग ब्लड ग्लूकोज पर नजर रखें। स्टेरॉयड के इस्तेमाल में समय और डोज का पूरा ध्यान रखें। एंटीबायोटिक और एंटीफंगल दवाओं का इस्तेमाल डॉक्टर के परामर्श से ही करें।