शिमला में धंसते रिज को बचाने के लिए अब नगर निगम खुद लगाएगा अस्थाई डंगा
धंसते रिज को बचाने के लिए नगर निगम अब खुद डंगा लगाएगा। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत लगने वाले डंगे की ड्राइंग फॉरेस्ट क्लीयरेंस सहित कई अन्य तरह की औपचारिक्ताओं में फंसा हुआ है। नगर निगम ने रविवार को इसके लिए काम शुरू कर दिया है।
शिमला, जागरण संवाददाता। धंसते रिज को बचाने के लिए नगर निगम अब खुद अस्थाई तौर पर डंगा लगाएगा। इसका कार्य स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत लगने वाले डंगे की ड्राइंग, फॉरेस्ट क्लीयरेंस सहित कई अन्य तरह की औपचारिक्ताओं में फंसा हुआ है। जब तक यह औपचारिक्ताएं पूरी नहीं हो जाती तब तक यह डंगा रिज को बचा कर रखेगा। नगर निगम ने रविवार को इसके लिए काम शुरू कर दिया है। डंगा लगाने के लिए पत्थर फैंक दिए हैं।
सोमवार से खुदाई के बाद डंगा लगाने का काम शुरू कर दिया जाएगा। अभी तक धंसे हुए हिस्से में टीन की चादरे लगाई हुई है ताकि बारिश में पानी का रिसाव न हो। इसे भी हटा दिया जाएगा। डंगा लगाने के बाद यहां पर रेलिंग लगाई जाएगी ताकि रिज की सुंदरता बरकरार रहे। पिछले दो सप्ताह से हो रही बारिश से इसके धंसने की आशंका बढ़ गई थी। कई जगह से पत्थर भी निकल रहे थे। नगर निगम के एक्सीयन राजेश ठाकुर ने बताया कि बरसात में नुकसान न हो इसके लिए निगम खुद इसकी मुरम्मत कर रहा है, जबकि ये कार्य लोकनिर्माण विभाग का है स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत इसका कार्य आने वाले दिनों में किया जाएगा।
पिछले डेढ साल से लटका है स्थायी डंगे का काम
धंसते रिज मैदान को बचाने के लिए कवायद पिछले काफी समय से चल रही है। सरकार ने स्थायी सामाधान के लिए आईआईटी रूडकी के विशेषज्ञों की मदद लेने का निर्णय लिया है। लोक निर्माण विभाग ने इसका स्ट्रक्चरल डिजाइन तैयार कर आइआइटी रुड़की को भेजा है। डंगा लगाने के लिए कई अन्य तरह की औपचारिक्ताएं है। यह पूरी होने के बाद इसका टैंडर लगेगा।
कोरोना के चलते पिछले डेढ साल से इस काम में देरी हो रही है। लोक निर्माण विभाग के अनुसार रिज पर 70 मीटर लंबा डंगा लगाया जाएगा। इसकी चौड़ाई 10 मीटर होगी। इससे रिज की चौड़ाई करीब 33 फीट बढ़ जाएगी। यह डंगा पदमदेव परिसर से लेकर टाउनहाल तक लगाया जाएगा। डंगे की ऊंचाई इतनी ज्यादा होगी कि इसमें तीन मंजिलें बन जाएंगी। शिमला में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के कोर ग्रीन एरिया निर्माण पर प्रतिबंध के चलते भवन नहीं बनाया जा सकता, इसलिए इस पूरे स्ट्रक्चर को खाली रखा जाएगा। भविष्य में यदि रोक हटती है तो इसमें तीन मंजिला व्यावसायिक भवन का निर्माण हो सकता है। 2011 से लगातार धंस रहा रिज वर्ष 2008 में रिज का एक हिस्सा धंसा था। वर्ष 2011 से रिज मैदान का एक हिस्सा लगातार धंसता जा रहा है। औपचारिकता के नाम पर पैचवर्क ही किया जाता है। पिछले साल टाउनहाल के सामने वाला हिस्सा पूरी तरह बैठ गया था।
पानी की निकासी करने की दी है सलाह
आईआईटी रुड़की ने डंगा लगाने के साथ पानी की निकासी के लिए बेहतर इंतजाम करने का सुझाव दिया है। इसमें तर्क दिया गया है कि इसके बगैर किसी भी तरह से मजबूती देना मुश्किल हो जाएगा। आईआईटी की विशेषज्ञ टीम मार्च में शिमला के दौरे पर आई थी। टीम ने धंसते रिज मैदान की मिट्टी व रॉक स्ट्राटा की जांच की थी।