पानी से खेल..मौत से मेल
नदी-नालों में लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं होती है। छोटी सी गलती जिंदगी पर भारी पड़ सक
नदी-नालों में लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं होती है। छोटी सी गलती जिंदगी पर भारी पड़ सकती है। नदी-नालों में खेल-खेल में की गई गलतियां मौत से मेल करवा देती हैं। इसके बावजूद लोगों में रोमांच का जुनून इस कदर हावी होता है कि वे यह सब भूल जाते हैं कि सुरक्षा के लिए क्या-क्या जरूरी है। लापरवाही भरा रोमांच का जुनून कांगड़ा जिले के युवाओं पर भी भारी पड़ रहा है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है कि जिले में जून अंत से लेकर अब तक 11 लोग नदी-नालों की चपेट में आकर मौत के आगोश में समा चुके हैं। नदी-नालों में डूबने से होने वाली मौत के लिए लोग ही जिम्मेदार होते हैं।
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01 माह में 11 लोगों की डूबने से मौत
25 जून से अब तक के आंकड़ों की बात की जाए तो जिले में नदी व नालों में 11 लोगों की डूबने से मौत हुई है। मरने वालों में पंजाबी गायक मनप्रीत सिंह भी शामिल थे। फिसलकर वह नाले में गिर गए थे और डूबने से उनकी मौत हो गई थी। इसके अलावा नगरोटा बगवां क्षेत्र के चाहड़ी गांव की 10 वर्षीय बच्ची नेहा और दियाल फतेहपुर के 10 वर्षीय अर्पित की भी डूबने से मौत हुई थी।
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रोमांच के लिए लापरवाही करते हुई मौतें
आठ जुलाई को शाहपुर के डढंब गांव का युवक केशव, जिसे तैरना नहीं आता था, फिर भी खबरू झरने के पानी में उतर गया और डूबने से उसकी मौत हो गई थी। पांच जुलाई को मंड भोगर्वां के मुकेश व अमित ब्यास नदी के गहरे पानी में नहाने के लिए उतरे थे और डूबने से उनकी मौत हो गई थी। उनके शव दूसरे दिन निकाले गए थे।
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डूबने व बहने से अब तक हुई मौतें
-28 जून : नगरोटा बगवां के तहत ठानपुरी में मंगोलपुरी दिल्ली का युवक सौरभ कूहल में डूबा।
-27 जून : इंदौरा क्षेत्र में अरनी विवि के समीप ब्यास नदी में स्थानीय युवक सोहन कुमार डूबा।
-5 जुलाई : ब्यास नदी में डूबे मंड भोगर्वां के मुकेश व अमित।
-8 जुलाई : खबरू झरने में डढंब का युवक केशव।
-12 जुलाई : नगरोटा बगवां के तहत चाहड़ी गांव में नाले में बहने से 10 वर्षीय नेहा की मौत।
-12 जुलाई : समीरपुर में मांझी खड्ड में बहा व्यक्ति।
-13 जुलाई : करेरी क्षेत्र में नाले में बहा पंजाबी गायक मनप्रीत।
-14 जुलाई : खनियारा क्षेत्र में मांझी खड्ड में डूबी फतेहपुर की महिला।
-21 जुलाई : मांझी खड्ड में शील्ला में डूबा खनियारा का व्यक्ति।
-23 जुलाई : पौंग बांध में डूबा दियाल फतेहपुर का 10 वर्षीय अर्पित।
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आशियाने भी बहा ले गए नदी-नाले
12 जुलाई को जिला कांगड़ा में हुई मूसलधार बारिश से उफनते नदी-नालों ने कई लोगों की जिंदगी लील ली थी। साथ ही कई आशियाने मिट्टी में मिल गए थे। धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र के तहत चैतडू गांव में मांझी खड्ड के बहाव में छह मकान बह गए थे। इसके अलावा और भी नुकसान हुआ था।
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प्रशासनिक कार्यप्रणाली में भी लाना होगा बदलाव
प्रशासनिक प्रबंधों की बात की जाए तो जिला प्रशासन को बरसात के सीजन में अपनी कार्यप्रणाली में बदलाव करना पड़ेगा। प्रशासन की ओर से हर साल एहतियात के तौर पर आदेश तो जारी किए जाते हैं, लेकिन उन पर व्यावहारिक कार्य नहीं होते हैं। कहने को तो नदी-नालों व झरनों के किनारे चेतावनी बोर्ड स्थापित कर दिए जाते हैं, लेकिन बाद में कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों में पुलिस की गश्त नहीं करवाई जाती है।
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अक्सर यहां होती हैं डूबने से मौतें
-ब्यास नदी, चक्की खड्ड, कालेश्वर रक्कड़, मांझी खड्ड, बनेर खड्ड, इक्कू खड्ड व खौली खड्ड।
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प्रशासन को सुझाव
-नदी-नालों के किनारे चेतावनी बोर्ड लगाने चाहिए।
-चेतावनी बोर्ड लगाने के साथ-साथ ऐसे क्षेत्रों में पुलिस की नियमित गश्त की जानी चाहिए।
-चेतावनी बोर्डों का रखरखाव करना चाहिए।
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ये बरतें सावधानियां
-ट्रेकिग के लिए जाने से पहले उस स्थान की पूरी जानकारी ले लें।
-बिना प्रशिक्षित गाइड के ट्रैकिग के लिए न जाएं।
-खासकर बरसात के मौसम में नदी-नालों में न जाएं।
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बरसात को देखते हुए प्रशासन ने एडवाजरी की है। इसके साथ ही पुलिस प्रशासन व एसडीएम को भी कहा गया है कि अपने-अपने क्षेत्रों के नदी, नालों व संवेदनशील क्षेत्रों में चेतावनी बोर्ड लगाएं। हर थाना प्रभारियों को नदी-नालों की ओर गश्त करने व करवाने के लिए भी कहा गया है। लोगों को भी जान की कीमत समझनी चाहिए।
-डा. निपुण जिदल, उपायुक्त कांगड़ा प्रस्तुति : मुनीष गारिया, धर्मशाला