20 साल बाद भी ठीक नहीं हो पाया ज्वालामुखी मंदिर न्यास का संगीतमयी फव्वारा
धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 24 साल पहले शक्तिपीठ ज्वालामुखी में मंदिर ट्रस्ट की तरफ से बनाया गया संगीतमयी फव्वारा 20 साल के बाद भी ठीक नहीं हो पाया है। राजनीतिक नेताओं की इच्छाशक्ति के अभाव में इसे ठीक करवाने की जहमत नहीं उठाई गई है।
ज्वालामुखी, प्रवीण कुमार शर्मा। धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 24 साल पहले शक्तिपीठ ज्वालामुखी में मंदिर ट्रस्ट की तरफ से बनाया गया संगीतमयी फव्वारा 20 साल के बाद भी ठीक नहीं हो पाया है। मंदिर प्रशासन की बेरूखी तथा राजनीतिक नेताओं की इच्छाशक्ति के अभाव में इसे ठीक करवाने की जहमत नहीं उठाई गई है।
हालात ऐसे हैं कि बार बार मंदिर ट्रस्ट की बैठकों में फव्वारे को ठीक करवाने के प्रस्ताव तो पारित किए जाते हैं लेकिन उन पर जरा भी काम नहीं होता। ज्वालामुखी में संगीतमयी फ़ब्बारा लगाने का विचार उस समय के मंदिर ट्रस्ट को तब आया था जब मसूरी के अधिकारिक टूर पर गए न्यास सदस्यों ने वहां पर इस तरह का संगीतमयी फव्वारा देखा था। न्यास सदस्यों ने टूर से वापिसी के तुरंत बाद मंदिर प्रशासन को इसे लगाने के लिए प्रस्ताव रखा। जिसके बाद इसे मसूरी के ही इंजीनियरों की मदद से स्थापित किया गया।
प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने 1996 में इस संगीतमयी फ़ब्बारे का उद्घाटन किया था।संगीतमयी फव्वारा लगने के बाद ज्वालामुखी मंदिर में माथा टेकने आने वाले श्रद्धालुओं समेत स्थानीय लोग भी इसका लुत्फ उठाने के लिए उमड़ते थे। विडंबना है कि लाखों रुपये खर्च करने के बाद बनाया गया संगीतमयी फव्वारा केवल चार साल बाद ही तकनीकी खराबी के कारण चलना बंद हो गया। जिसे 20 साल बाद भी यह कहकर ठीक नहीं किया जा रहा है कि फ़ब्बारे को ठीक करने के लिए इंजीनियर नहीं मिल रहे हैं।जबकि राज्य से बाहर कई स्थानों पर इस तरह के संगीतमयी फव्वारे बर्षों से सही ढंग से काम कर रहे हैं। जाहिर है तकनीकी खराबी के कारण उनको दुरूस्त भी किया जाता होगा।
क्या हैं हालात
संगीतमयी फव्वारे को ठीक करवाने के हवाई दावों की पोल उस स्थान पर स्वयं खुल रही है जहां इसे लगाया गया है। चारों तरफ गंदगी के साथ हर जगह घास देखा जा सकता है। जब तक संगीतमयी फव्वारा सही नहीं होता उस स्थान को लोगों के बैठने लायक बनाया जा सकता है। लेकिन यह जगह आवारा जानवरों की सैरगाह बनी हुई है। लाखों से लगाई गई लाइटें भी खराब पड़ीं हैं जबकि बैठने वाले स्थानों पर चार-चार फीट तक घास उगी हुई है।
क्या कहते हैं मन्दिर न्यास सदस्य
मंदिर न्यास सदस्य जितेंद्र पाल दत्ता ने संगीतमयी फव्वारे को ठीक ना करवाने को लेकर मंदिर प्रशासन पर लापरवाही का ठीकरा फोड़ा है। उन्होंने कहा यह दुखद व शर्मनाक है। मंदिर प्रशासन को ट्रस्ट ने बाकायदा प्रस्ताव पारित कर जल्दी काम करवाने का आग्रह किया था।लेकिन प्रस्ताव कहां रह जाते हैं पता नहीं। न्यास के पास वित्तीय शक्तियां नहीं होती हैं,यह कार्य प्राशासन का है।लेकिन कहां गड़बड़ है जबाब प्राशासन ही दे।
ज्वालामुखी के न्यास सदस्य प्रशांत ने कहा कि फ़व्बारे को ठीक करवाने की जिम्मेवारी प्राशासन की है।लेकिन जितनी बातें होतीं हैं उतना काम नहीं होता। 24 साल पहले लगाया गया फव्वारा 20 साल से खराब है।