मुख्यमंंत्री खेत संरक्षण योजना बनी वरदान, 4669 हेक्टेयर बंजर भूमि पर लहलहाई फसल
हिमाचल प्रदेश में 4669 हेक्टेयर बंजर भूमि में फसलें लहलहा रही हैं। किसानों ने इन जमीन को इसलिए छोड़ दिया था क्योंकि यहां जंगली जानवरों की समस्या ज्यादा थी। लेकिन अब इन खेतों में फसलों की हरियाली छा गई है।
शिमला, राज्य ब्यूरो। हिमाचल प्रदेश में 4669 हेक्टेयर बंजर भूमि में फसलें लहलहा रही हैं। किसानों ने इन जमीन को इसलिए छोड़ दिया था, क्योंकि यहां जंगली जानवरों की समस्या ज्यादा थी। लेकिन अब इन खेतों में फसलों की हरियाली छा गई है। ऐसा मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना से संभव हुआ है। इस योजना में 5535 किसानों सफलता की कहानी लिखी है।
प्रदेश सरकार की खेत संरक्षण योजना सीमांत, लघु व मध्यम वर्ग के किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। बेसहारा व जंगली जानवरों के उत्पात से खेती से किनारा कर रहे किसान फिर से खेतों की ओर रुख कर रहे हैं। सोलर फेंसिंग से फसलों की सुरक्षा हो गई है। सरकार अब तक इस योजना पर 175 करोड़ 38 लाख रुपये खर्च कर चुकी है। सरकार ने किसानों से इस योजना का लाभ उठाने के लिए आगे आने की अपील की है।
क्या है योजना
इस योजना के अंतर्गत किसानों को सौर ऊर्जा चालित बाड़ लगाने के लिए अनुदान यानी सब्सिडी दी जा रही है। व्यक्तिगत स्तर पर सौर ऊर्जा बाड़ लगाने के लिए 80 फीसद और समूह आधारित बाड़ के लिए 85 फीसद अनुदान का प्रविधान है। बाड़ को सौर ऊर्जा से संचारित किया जा रहा है। बाड़ में विद्युत प्रवाह से बेसहारा पशुओं, जंगली जानवरों को दूर रखने में मदद मिल रही है। प्रदेश सरकार ने किसानों की मांग को देखते हुए कांटेदार तार अथवा चेनङ्क्षलक बाड़ लगाने के लिए 50 फीसद उपदान और कम्पोजिट बाड़ लगाने के लिए 70 फीसद उपदान का भी प्रविधान किया है।
ऐसे करें आवेदन
मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना का लाभ उठाने के लिए किसान व्यक्तिगत तौर पर अथवा किसान समूह के रूप में नजदीक के कृषि प्रसार अधिकारी, कृषि विकास अधिकारी अथवा विषयवाद विशेषज्ञ (एसएमएस) के माध्यम से कृषि उपनिदेशक के समक्ष आवेदन कर सकते हैं। विभाग के वृत्त, विकास खंड एवं जिला स्तरीय कार्यालयों में आवेदन फार्म उपलब्ध रहते हैं। आवेदन के साथ उन्हें अपनी भूमि से संबंधित राजस्व दस्तावेज संलग्न करने होंगे।
कितने किसान हैं प्रदेश में
हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान है। कृषि विभाग के अनुसार प्रदेश के लगभग 90 फीसद लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं और 70 फीसद लोग सीधे तौर पर कृषि पर निर्भर हैं। राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि व इससे जुड़े क्षेत्रों का योगदान लगभग 13.62 फीसद है। प्रदेश में लगभग 9.97 लाख किसान परिवार हैं तथा 9.44 लाख हेक्टेयर भूमि पर काश्त होती है। यहां औसतन जोत का आकार लगभग 0.95 हेक्टेयर है। प्रदेश में 88.86 प्रतिशत किसान सीमांत, लघु वर्ग के हैं, जिनके पास बोई जाने वाली भूमि का लगभग 55.93 फीसद भाग है। 10.84 प्रतिशत किसान मध्यम श्रेणी के हैं और 0.30 फीसद किसान ही बड़े किसानों की श्रेणी में आते हैं।