आखिर सुरंग ही नहीं, पहाड़, पर्यावरण और पर्यटक सब अपना है लेकिन..

प्रशासन को इसमें पहल करनी होगी कि कोई ऐसी व्यवस्था भी की जाए कि जितने वाहन आसानी से जा सकें उतने ही स्वीकृत किए जाएं। आखिर सुरंग ही नहीं पहाड़ पर्यावरण और पर्यटक सब हिमाचल का ही तो है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Thu, 07 Jan 2021 09:42 AM (IST) Updated:Thu, 07 Jan 2021 09:42 AM (IST)
आखिर सुरंग ही नहीं, पहाड़, पर्यावरण और पर्यटक सब अपना है लेकिन..
हिमाचल प्रदेश के पर्यटन स्‍थल में बर्फबारी का लुत्फ लेते पर्यटक। फाइल

कांगड़ा, नवनीत शर्मा। लोकार्पण के बाद से ही अटल सुरंग रोहतांग एक बड़े पर्यटक मंजिल के तौर पर उभरी है, क्योंकि हर दिन हजारों वाहन यहां से गुजर रहे हैं। यह प्रदेश के पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू के उस पत्र की पंक्तियों का भाव है जो उन्होंने लाहुल-स्पीति और कुल्लू के पुलिस अधीक्षकों को लिखा है। पत्र में कहा गया है कि कई पर्यटक नियमों का उल्लंघन करते हैं जिन्हें रोकना पुलिस का काम है, लेकिन पुलिस ऐसा नियमानुसार ही करे। यह पत्र ऐसे समय में आया है, जब कुल्लू के पुलिस अधीक्षक एक वीडियो सामने आने के बाद जांच गठित कर चुके हैं। वीडियो में क्या था? बस यही कि सुरंग के अंदर एक व्यक्ति को मुर्गा बनाया गया है और पुलिस वाले के हाथ में डंडा है।

मीडिया के लिए यह मामला हिमाचल पुलिस के अत्याचार के रूप में फैल गया। सवाल यह है कि हरियाणा के जिस चालक को पीड़ित बताया जा रहा है, वह माफी किस बात की मांग रहा है? बहरहाल, यह तो जांच में सामने आएगा। लेकिन जिस प्रदेश के पुलिस कर्मचारियों के साथ अक्सर दबंग किस्म के पर्यटकों को झगड़ा करते देखा जाता रहा है, जो अपनी विनम्रता के लिए जाने जाते हैं, ऐसा क्या हुआ है कि वह कानून से आगे जाकर उद्दंडों को दंडित करने पर आ गए? जहां से थाना 25 किमी दूर है, वहां शून्य से भी कम तापमान में ड्यूटी कर रहे पुलिसकर्मी का तापमान क्यों बढ़ गया, जांच इस पक्ष पर भी प्रकाश डाले।

एक तथ्य यह भी है कि इसी दौरान 300 पर्यटकों को पुलिस कर्मचारी सुरक्षित स्थानों के लिए निकाल रहे थे। बर्फ के बीच पुलिस के लिए यह एक दिन का काम नहीं है। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई पर्यटक यहां आते हैं। रोहतांग सुरंग पर्यटक मंजिल बनी है, इस बात की पुष्टि यहीं से होती है कि गर्मी में यानी 15-16 जून को 1,400 वाहन आए थे तो लगा था कि यह पर्यटन सीजन यौवन पर है। लेकिन इस बार 31 दिसंबर को 5,400 से अधिक वाहन आए। सोचा जा सकता है मई-जून में क्या होगा।

पुलिस हो या कोई भी विभाग, वह एक पक्ष को ठीक कर सकता है, जहां कई पक्ष ठीक होने या ठीक किए जाने के तलबगार हों, वहां अकेली पुलिस क्या कर लेगी? अटल सुरंग अगर हाथी है तो उसके लिए सुविधाओं के दरवाजे भी बड़े चाहिए। पर्यटक आएंगे, उन्हें आना चाहिए और वे आते रहें तो हिमाचल प्रदेश की आíथक सेहत के लिए अच्छा है। लेकिन उन्हें कैसे आना है, वे आएं तो क्या न करें, यह बताना भी प्रशासन और शासन का फर्ज है। हो यह रहा है कि जितनी भव्यता और दिव्यता रोहतांग सुरंग की है, उस स्तर की ही स्थानीय व्यवस्था भी हो, यह सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है। मनाली की पाìकग क्षमता लगभग 2,500 वाहन है। होटलों का ग्राउंड फ्लोर कायदे से पाìकग होना चाहिए। ऐसा नियम है। लेकिन पाìकग की समस्या आम है। पर्यटक अपनी गाड़ी लेकर सुरंग तक पहुंच जाते हैं और बीच में वाहन रोक कर बर्फ या वादियों का भ्रमण शुरू कर देते हैं। रास्ता इतना चौड़ा है नहीं कि सैकड़ों वाहन सड़क पर खड़े हों और यातायात सुचारू रहे। इसी कारण जाम लगता है। जब पर्यटकों से कहा जाता है कि प्रशासन की गाड़ियों में बैठ कर वापस चलें तो वे अपनी महंगी गाड़ियां बर्फ में छोड़ कर आना नहीं चाहते। अंतत: सारी जिम्मेदारी पुलिस पर आती है। रास्ता भी साफ करवाए, पर्यटकों को भी निकाले और उनकी गाड़ियां भी बचाए। साथ ही अटल सुरंग को पर्यटकों के हुड़दंग से बचाए।

ये तमाम पक्ष धरातल के पक्ष हैं, अभी इसमें लाहुल-स्पीति की संस्कृति में नकारात्मक हस्तक्षेप का पक्ष अलग है। एक तो मनाली में पाìकग जैसे आधारभूत प्रबंधन का होना अनिवार्य है। पर्यटकों को स्वहित में यह समझना चाहिए कि वे पहाड़ या सुरंग तक स्थानीय टैक्सी में जाएं, बजाय अपने वाहनों को लेकर जाने के। पर्यटकों के वाहन भी टकराने से बचेंगे, पहाड़ पर जाम भी नहीं लगेगा, फंसने की स्थिति में उन्हें स्थानीय वाहन आराम से ले आएंगे। मनाली में पाìकग की व्यवस्था इसलिए भी होनी चाहिए, क्योंकि हर गाड़ी से 300 रुपये ग्रीन टैक्स लिया जाता है। अब तक 65 करोड़ रुपये ग्रीन टैक्स से आए हैं। वे पाìकग में ही दिख जाएं तो पर्यावरण, रोहतांग सुरंग और पहाड़ पर बड़ी कृपा होगी।

[राज्य संपादक, हिमाचल प्रदेश]

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