ब्लास्टिंग से बारूद के ढेर बने पहाड़, सिरमौर में कई जगह हो रहा भूस्खलन

पूरे प्रदेश सहित सिरमौर जिला में एक दशक से पहाड़ दरकने की घटनाएं लगातार बढ़ी हैं। इसका एक कारण पहाड़ों को काटकर अवैज्ञानिक तरीके से सड़कें बनाना भी है। जिला में कुछ वर्षों में एनएच सहित कई मुख्य मार्गों का निर्माण हुआ है।

By Neeraj Kumar AzadEdited By: Publish:Tue, 07 Sep 2021 08:59 PM (IST) Updated:Tue, 07 Sep 2021 08:59 PM (IST)
ब्लास्टिंग से बारूद के ढेर बने पहाड़, सिरमौर में कई जगह हो रहा भूस्खलन
पांवटा-शिलाई-हाटकोटी सड़क पर बार बार भूस्खलन हो रहा है । जागरण

नाहन, राजन पुंडीर। पूरे प्रदेश सहित सिरमौर जिला में एक दशक से पहाड़ दरकने की घटनाएं लगातार बढ़ी हैं। इसका एक कारण पहाड़ों को काटकर अवैज्ञानिक तरीके से सड़कें बनाना भी है। जिला में कुछ वर्षों में एनएच सहित कई मुख्य मार्गों का निर्माण हुआ है। इनका निर्माण करने के लिए पहाड़ी काटने के साथ ब्लास्टिंग भी की जाती है। इससे पहाड़ी का एक हिस्सा कट जाता है, जबकि दूसरा खोखला हो जाता है। पांच-छह साल बाद बारिश व धूप के बाद यहां भूस्खलन शुरू हो जाता है।

यही कारण है कि नाहन-सराहां-कुमारहट्टी-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग 907ए, पांवटा-शिलाई-हाटकोटी राष्ट्रीय राजमार्ग 707 और नाहन-श्रीरेणुकाजी-हरिपुरधार मार्ग पर अकसर भूस्खलन होता है। कुछ वर्षों के दौरान ही एनएच 907ए और एनएच 707 पर कर्व व ब्लैक स्पाट कङ्क्षटग और एनएच का निर्माण हुआ है। इसके साथ ही जिला सिरमौर के संगड़ाह उपमंडल व कमराऊ-बड़वास क्षेत्र में एक दशक पहले तक चूना पत्थर की कई खान होती थीं। हालांकि अब कुछ खान बंद हैं, लेकिन खोदाई से पहाड़ खोखले हो चुके हैं।

इस वर्ष 30 जुलाई को बड़वास में पांवटा-शिलाई-हाटकोटी एनएच का 150 मीटर का हिस्सा खनन के कारण ही दरक गया था। नाहन-सराहां-कुमारहट्टी एनएच पर एक दशक पूर्व जब निर्माण कार्य हुआ था तो भारी ब्लास्टिंग की गई थी और पहाड़ी पर दरारें पड़ गई थीं। अब पहाड़ धीरे-धीरे बारिश व तेज धूप से दरक रहे हैं। प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन की ओर से विशेषज्ञों को बुलाया जाता है, लेकिन विशेषज्ञों की दी गई रिपोर्ट फाइलों में दबकर रह जाती है।

पांवटा साहिब-शिलाई-हाटकोटी एनएच क्षतिग्रस्त होना बड़वास में मार्ग की नीचे की तरफ चूना पत्थर खान में खनन का नतीजा है। चूना पत्थर की खान में भारी मात्रा में खनन किया था, जिसके चलते पहाड़ का हिस्सा दरक गया तथा हाईवे बंद हो गया।

-मनोज कुमार निदेशक इंजीनियङ्क्षरग भूविज्ञान, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण चंडीगढ़।

भूस्खलन की घटनाएं बढऩे के बाद भूवैज्ञानिक विभाग को पत्र लिखा था। जल्द ही भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग चंडीगढ़ व दिल्ली की टीम जिला का दौरा कर रिपोर्ट बनाएगी। रिपोर्ट में सड़कों के निर्माण में किस तरह से कटिंग करनी है, यह जानकारी भी होगी। रिपोर्ट के आधार पर काम किया जाएगा।

-रामकुमार गौतम, उपायुक्त सिरमौर।

पहाड़ क्यों दरक रहे हैं, इस बात का उस क्षेत्र में जाकर अध्ययन करने से ही पता लगता है। पहली नजर में ऐसा ही माना जा सकता है कि अवैज्ञानिक तरीके से पहाड़ों की कङ्क्षटग व अन्य कार्य करने से ऐसी घटनाएं हो रही हैं।

-सुरेश भारद्वाज, वरिष्ठ भूवैज्ञानिक एवं जिला खनन अधिकारी सिरमौर।

प्रकृति के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। पेड़-पौधों की कमी व अवैज्ञानिक तरीके से किया जा रहे निर्माण कार्यों के कारण हिमाचल प्रदेश में पहाड़ दरकने की घटनाएं हो रही हैं। पहाड़ों को बचाने के लिए अधिक से अधिक पौधे लगाने होंगे।

-डा. सुरेश जोशी, अध्यक्ष पर्यावरण समिति नाहन।

इन स्थानों पर रहता है खतरा

-पांवटा-शिलाई-हाटकोटी एनएच पर बड़वास।

-नाहन-हरिपुरधार मार्ग पर दनोई।

-नाहन-शिमला एनएच पर शानडी मंदिर।

-पांवटा-कालाअंब एनएच पर शंभुवाला।

-शिलाई।

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