बादल फटने से आई बाढ़ में बह गया पुल तो मंत्री ने पेड़ के सहारे नदी पार कर जाना ग्रामीणों का हाल
Minister Cross River On Sleeper हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला लाहुल स्पीति में बीते दिनों बादल फटने के बाद आई बाढ़ से भारी नुकसान हुआ है। स्थानीय विधायक एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री डाक्टर रामलाल मार्कंडेय पुल व सड़कें बह जाने के बाद ग्रामीणों का हाल जानने पहुंचे।
केलंग, जागरण संवाददाता। Minister Cross River On Sleeper, हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला लाहुल स्पीति में बीते दिनों बादल फटने के बाद आई बाढ़ से भारी नुकसान हुआ है। स्थानीय विधायक एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री डाक्टर रामलाल मार्कंडेय पुल व सड़कें बह जाने के बाद ग्रामीणों का हाल जानने पहुंचे। मंत्री चांगुट गांव पहुंचे तो हालात देखकर हैरान रह गए। गांव को जाने वाला पुल बह गया है। दो घर बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। मंत्री ने उफनती नदी को पेड़ के सहारे पार किया। ग्रामीणों ने पेड़ का बड़ा स्लीपर नदी के आर पार रख दिया, जिसे पार कर मंत्री गांव में पहुंचे व लोगों का दुख दर्द जाना। बाढ़ से हुआ नुकसान देखकर मंत्री खुद मायूस हो गए।
लाहुल की पटन घाटी सहित मयाड़ घाटी को बाढ़ से भारी नुकसान हुआ है। मयाड़ घाटी का चांगुट गांव बुरी तरह प्रभावित हुआ है। किसानों की फसलों से लदी जमीन बाढ़ की चपेट में आ गई है। दो रात पहाड़ी में गुजारने वाले ग्रामीणों ने अपना दर्द साझा किए तो हर कोई हैरान रह गया। कहर बनकर टूटी बाढ़ ने चांगुट के ग्रामीणों को तोड़कर रख दिया है। फसल के साथ बाढ़ में बह गई जमीन ने ग्रामीणों को भविष्य को लेकर चिंता में डाल दिया है।
मंत्री डाक्टर रामलाल मार्कंडेय ने कहा मायड़ घाटी में जाकर बाढ से प्रभावित हुए सभी गांव का दौरा किया और नुकसान का जायजा लिया। बाढ़ के कारण मायड़ घाटी में सड़क, फसल व लोगों की जमीनों का बहुत नुकसान हुआ है। विश्वास दिलाता हूं कि सभी को हर संभव सहायता दी जाएगी। इस मुश्किल घड़ी में प्रदेश सरकार आप सब के साथ है।
छह दिन बाद गांव लौटे चांगुट के लोग, सब बहा ले गई बाढ़
केलंग। बादल फटने से मंगलवार की रात नाले में आई बाढ़ से घरबार छोड़कर भागे चांगुट गांव के लोग रविवार को वापस आए। इस दौरान आपबीती सुनाते हुए उन्होंने बताया कि इंटरनेट की व्यवस्था न होने से वे घाटी के बाहर से मदद भी नहीं मांग पाए। मंगलवार की रात को उन्होंने घर छोड़कर जंगल की गुफा में शरण ली। दूसरे दिन भी नाले में पानी कम नहीं हुआ और उन्हें वहीं रहना पड़ा। तीसरे दिन वीरवार को पड़ोस के गांव के लोग उनकी मदद के लिए पहुंचे। अब जब वह घर लौटे तो बाढ़ की चपेट में आने से नष्ट हुए खेतों को देख हताश हो गए। ग्रामीण पलजोर, दीपक, टशी, रिगजिन डोलमा व सोनम बुटी ने बताया कि उनके फसल से भरे सारे खेत बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। साल की सारी कमाई तो खत्म हो ही गई भविष्य में खेत जोतने को जगह भी नहीं रही है। ग्रामीणों ने सरकार से आग्रह किया कि उनकी हालत की भी सुध लें और जल्द से जल्द उन्हें राहत पहुंचाएं।