रोमांच पर भारी लापरवाही की चुप्पी

मुनीष दीक्षित बीड़ पैराग्लाइडिग के लिए विश्व प्रसिद्ध बीड़ बिलिग घाटी दो दशक में कई विदेशी

By JagranEdited By: Publish:Sun, 30 May 2021 04:00 AM (IST) Updated:Sun, 30 May 2021 04:00 AM (IST)
रोमांच पर भारी लापरवाही की चुप्पी
रोमांच पर भारी लापरवाही की चुप्पी

मुनीष दीक्षित, बीड़

पैराग्लाइडिग के लिए विश्व प्रसिद्ध बीड़ बिलिग घाटी दो दशक में कई विदेशी पायलटों की जान पर भारी पड़ चुकी है। यहां हवा के रुख व भौगोलिक परिस्थितयों को आसान आंक लेना इसका एक बड़ा कारण बन चुका है। दुनियाभर में हवाबाजी के खेल में निपुण पायलट भी यहां जान गवां चुके हैं। यहां पैराग्लाइडिग के कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के मुकाबले हो चुके हैं। यह साइट जितनी खूबसूरत है उतनी ही खतरनाक भी है। 2003 से लेकर अब तक यहां से करीब 10 विदेशी पायलटों की मौत हो चुकी है। एक ब्रिटिश मूल के पायलट जियोल किचन का आजतक कोई पता नहीं चल पाया है। हालांकिप्रशासन ने उड़ान भरने के लिए स्थान चयनित किए हैं और पायलटों को निर्देश दिए जाते हैं कि वे निर्धारित जगह से ही उड़ान भरें। बावजूद इसके कई पायलट मनमर्जी से उड़ान भरते हैं और खराब परिस्थितियों में उलझकर हादसों का शिकार हो जाते हैं। स्थानीय पायलटों का पंजीकरण करते समय उन्हें निर्देश दिए जाते हैं कि अगर कोई बाहर का पायलट यहां से उड़ान भरता है तो उसे यहां की भौगोलिक परिस्थितियों से अवगत करवाएं, लेकिन यहां इतना स्टाफ ही नहीं है कि कोई किसी को जानकारी दे सके।

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क्या है पैराग्लाइडिंग

पैराग्लाइडिग दो प्रकार की होती है। एक टेंडम व दूसरी सोलो। टेंडम में एक प्रशिक्षित पायलट किसी भी अंजान व्यक्ति को अपने साथ उड़ा सकता है। सोलो पैराग्लाइडिग में केवल पायलट उड़ता है। प्रदेश में अधिकांश पर्यटक लाइसेंस व अनुभव न होने से केवल टेंडम पैराग्लाइडिग ही करते हैं। यह पूरी तरह से हवा पर निर्भर रहने वाला खेल है।

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छह बार प्री व एक दफा हो चुका है व‌र्ल्ड कप

बिलिग घाटी में छह बार पैराग्लाइडिग प्री व‌र्ल्ड कप का आयोजन हो चुका है। वर्ष 2015 में पहली दफा देश के पहले पैराग्लाइडिग व‌र्ल्ड कप का आयोजन यहां हुआ था। बिलिग बैजनाथ उपमंडल के बीड़ गांव से 14 किलोमीटर ऊपर धौलाधार की पहाड़ी पर स्थित है। यहां इटली के बाद विश्व की दूसरी बेहतरीन पैराग्लाइडिग साइट है। यहां से 200 किमी तक उड़ान की सुविधा है।

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1984 में अस्तित्व में आई थी साइट

बिलिग घाटी रोमांचक खेलों के लिए वर्ष 1984 में अस्तित्व में आई थी। उस समय घाटी से केवल हैंगग्लाइडिग शुरू हुई थी। उस दौरान यहां हैंगग्लाइडिग की अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता करवाई गई थी। वर्ष 1992 में पहली बार पैराग्लाइडिग की उड़ान भरी गई थी। विदेशी पायलट ब्रूस मिल्स ने यहां पैराग्लाइडिग का सिलसिला शुरू किया था तथा स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण दिया था।

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बिलिंग को संभाल रहा एक सुपरवाइजर

बीड़ बिलिग का नाम बेशक दुनिया में बहुत छा गया हो लेकिन यहां की जमीनी हकीकत भी जान लीजिए। यहां पैराग्लाइडिग गतिविधियों को संभालने के लिए केवल एक ही कर्मचारी है। उसके कंधों पर साडा यानी स्पेशल एरिया डेवलेपमेंट अथारिटी की भी जिम्मेदारी है तथा पैराग्लाइडिग सुपरवाइजर की भी है। हालांकि वह काम अच्छा कर रहे हैं लेकिन एक बड़े क्षेत्र के लिए अब और कर्मचारियों की भी जरूरत आन पड़ी है।

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बिलिंग पैराग्लाइडिग एसोसिएशन यहां जरूरत पर रेस्क्यू करती है। कई पायलटों को अब तक बचाया जा चुका है। सुरक्षा पर यहां और ध्यान देने की जरूरत है। वर्ष 2013 व 2015 में यहां व‌र्ल्ड कप के दौरान भी कोई बड़ा हादसा नहीं होने दिया गया था।

-सुधीर शर्मा, अध्यक्ष, बिलिग पैराग्लाइडिग एसोसिएशन।

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बिलिंग घाटी को सरकार ने प्राथमिकता पर लिया है। यहां विकास के कई कार्य शुरू हो रहे हैं। पायलटों की सुरक्षा पर भी काफी काम करवाया जा रहा है। टेक आफ प्वाइंट में पहली बार रबड़ मेट बिछाई गई है।

-मुल्ख राज प्रेमी, विधायक, बैजनाथ। ...........

घाटी में अब तक हुए हादसे

2003 : ब्रिटिश पायलट जियोल किचन उड़ान के बाद लापता, आज तक कोई पता नहीं।

2004 : चंडीगढ़ के एक पर्यटक की टेंडम फ्लाइंग के दौरान गिरने से मौत।

2009 : रूस के डेनिस व फायल ने उड़ान भरी थी और आदि हिमानी चामुंडा की पहाड़ियों में फंसकर घायल हुए थे।

2009 : रूस के फ्री फ्लायर उड़ान के बाद लापता, एक साल बाद उसका शव पहाड़ियों में भेड़पालकों को मिला था।

2012 : अमेरिका के 75 वर्षीय पैराग्लाइडर पायलट रोन व्हाइट की उतराला की पहाड़ियों में मौत।

2015 : उज्बेकिस्तान के पायलट कोनस्टेनटिन की लैंडिग के दौरान गिरने से हुई थी मौत।

2015 : यूनाइटेड किग्डम की रूथ फ्री फ्लाइंग के दौरान गिरने से घायल हो गई थी।

2016 : पद्धर की घोघरधार की पहाड़ी पर 11केवी एचटी लाइन से टकराने के बाद रूस के पायलट युडिन निकोलेय की मौत।

2018 : सिंगापुर में कई साल तक एक कमांडो के रूप में सेवाएं देने वाले 53 साल के एनजी कोक चूंग की मौत।

2018 : ब्रिटिश पायलट मैथ्यू का 12 घंटे के बाद पालमपुर की धौलाधार रेंज में 3650 मीटर की ऊंचाई से रेस्क्यू।

2018 : ऑस्ट्रेलिया के 50 वर्षीय पायलट संजय कुमार रामदास की जोगेंद्रनगर के डुगली गांव के समीप क्रैश लैंडिंग से मौत।

2020 : फरवरी में टेंडम फ्लाइंग का प्रशिक्षण लेते समय छोटा भंगाल के 24 साल के युवक की मौत।

2020 : फ्रांस के एक पायलट की प्रशिक्षण के दौरान मौत। इसके अलावा भी यहां कई हादसे हो चुके हैं।

2021 : जनवरी में नई दिल्ली से संबंधित एक पायलट रोहित भदोरिया लापता।

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