हार के बाद गुटबाजी की ज्वाला शांत

प्रवीण कुमार शर्मा ज्वालामुखी नगर परिषद ज्वालामुखी में भाजपा समर्थित उम्मीदवारों की हार के

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Jan 2021 05:59 AM (IST) Updated:Wed, 13 Jan 2021 05:59 AM (IST)
हार के बाद गुटबाजी की ज्वाला शांत
हार के बाद गुटबाजी की ज्वाला शांत

प्रवीण कुमार शर्मा, ज्वालामुखी

नगर परिषद ज्वालामुखी में भाजपा समर्थित उम्मीदवारों की हार के बाद भाजपा नेता खामोश हैं। तर्क दिया जा रहा है कि हार के कारणों पर मंथन के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।

हालांकि पिछले ढाई साल से गुटबाजी को ही पार्टी की हार का कारण माना जा रहा है। निकाय चुनाव में गुटबाजी किस स्तर पर हुई इसका अब भी किसी को पता नहीं है। ज्वालामुखी में भाजपा के पुराने कार्यकत्र्ता भी यह मानकर चल रहे है कि विधायक रमेश धवाला व संगठन मंत्री पवन राणा की लड़ाई से न केवल हलके का विकास कार्य प्रभावित हो रहा है अपितु कार्यकत्र्ताओं का मनोबल भी गिरा है। बेशक कुछ समय से दोनों धड़ों में छिड़ा शीतयुद्ध अभी शांत हो, लेकिन भीतर सुलग रही चिंगारी कब भड़क जाए, कहा नहीं जा सकता। अब मंथन होगा कि किन कारणों से हार नगर परिषद चुनाव में हुई है।

माना जा रहा है कि चुनाव को गंभीरता से न लेकर भाजपा की रणनीति विश्राम गृहों तक सिमटकर रह गई थी। यहां तक कि दो वार्डों से तो पार्टी उम्मीदवार तक नहीं उतार सकी थी। विधायक को भरोसा दिलवाया गया कि किसी भी हालत में सीट जीतकर देंगे, लेकिन हुआ इसके विपरीत। ज्वालामुखी नगर निकाय चुनाव में पार्टी के एक पदाधिकारी की जरूरत से ज्यादा सक्रियता को भी हार का कारण माना जा रहा है। वहीं पार्टी के अनुमोदन पर बने मंदिर ट्रस्ट की भूमिका को भी निकाय चुनाव में अपेक्षा के अनुरूप पार्टी उम्मीदवारों के लिए काम नहीं करने की नजर से देखा जा रहा है। बीते तीन साल में शहर में रुके विकास कार्यों से भी जनता त्रस्त थी तथा भाजपा को सबक सिखाने का मन बना चुकी थी। हालांकि पिछली नगर परिषद कांग्रेस समर्थित ही थी लेकिन कांग्रेस ने बड़े ही सही ढंग लोगों को यह समझाने में कामयाबी हासिल कर ली कि प्रदेश में भाजपा तीन साल से सत्तासीन है और सरकार विकास को तवज्जो नहीं देना चाहती। रणनीतिक तरी़के से कांग्रेस के चुनावी प्रबंधन ने जनता तक यह बात पहुंचाई कि धवाला-राणा का युद्ध थमेगा नहीं, अत: निकाय में विकास भी नहीं होगा।

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नगर निकाय चुनाव में हार के कई कारण हैं और इनका हम विश्लेषण करेंगे। कहां गलती हुई तथा क्या कमी रही, आत्ममंथन करेंगे। गुटबाजी या भितरघात का भी आकलन करने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।

-रमेश धवाला, ज्वालामुखी

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भाजपा की पूरे राज्य में बड़ी जीत हुई है। कहीं हारे हैं तो विश्लेषण होगा। जवालामुखी में ही इतनी बुरी हालत से क्यों हारे हैं, इस पर मैं टिप्पणी नहीं करूंगा।

-पवन राणा, प्रदेश संगठन महामंत्री भाजपा

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