Manikaran Fire Incident: मणिकर्ण के कालगा गांव में भड़की आग, तीन मकान जलकर राख, पांच परिवार हुए बेघर

Manikaran Fire Incident जिला कुल्लू के मणिकर्ण घाटी के बरशैणी पंचायत के कालगा गांव में सोमवार देर रात भयंकर अग्निकांड हुआ। इस आग लगने की घटना में तीन मकान जलकर राख हो गए घटना उस वक्त हुई जब गांव में बिजली गुल थी

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 09:05 AM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 09:19 AM (IST)
Manikaran Fire Incident: मणिकर्ण के कालगा गांव में भड़की आग, तीन मकान जलकर राख, पांच परिवार हुए बेघर
जिला कुल्लू के मणिकर्ण घाटी के बरशैणी पंचायत के कालगा गांव में सोमवार देर रात भयंकर अग्निकांड हुआ।

कुल्लू, संवाद सहयोगी। Manikaran Fire Incident, जिला कुल्लू के मणिकर्ण घाटी के बरशैणी पंचायत के कालगा गांव में सोमवार देर रात भयंकर अग्निकांड हुआ। इस आग लगने की घटना में तीन मकान जलकर राख हो गए घटना उस वक्त हुई जब गांव में बिजली गुल थी, इस कारण आग को बुझाने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा। दमकल विभाग की टीम व गाड़ी भी मौके पर नहीं पहुंच पाई। ऐसे में ग्रामीणों ने आग को बुझाने की कोशिश की लेकिन आग इतनी तेजी से बढ़ रही थी कि देखते ही देखते तीनों मकान जलकर राख हो गए। इस कारण पांच परिवार बेघर हो गए हैं।

ग्रामीणों ने बताया बरशैणी पंचयात के कालगा गांव में करीब 1: 45 बजे केसर सिंह पुत्र देवी सिंह के लकड़ी का ढाई मंजिला चादर पोश छत वाले मकान में आग लग गई। इसमें 10 कमरे थे सभी जल गए। इस मकान की चपेट में आने से दो मकानों में आग लग गई व वे भी जल गए। इसमें टिक्‍कम दासी पत्नी स्वर्गीय खेवा राम का चादर पोश ढाई मंजिला मकान जिसमें कुल छह कमरे थे वह भी पूरा जल गया है और तीसरा मकान प्यारे सिंह, बौधराज व हरदेव पुत्र गण चंद्र सिंह का भी ढाई मंजिला मकान जल गया है।

गांव में रात से बिजली न होने के कारण आग लगने के कारण का अभी तक कोई पता नहीं चल पाया। मौका पर स्थानीय लोग सुबह तक आग बुझाने में जुटे रहे। घटना की सूचना मिलते ही प्रशासन की ओर से टीम मौके पर रवाना कर दी गई। प्रशासन की ओर से नुकसान का आकलन किया जाएगा।

यह रहता है आग लगने का कारण

पहाड़ी इलाकों में लोग अपने घरों में ही लकड़ी और घास का भंडारण करते हैं। बर्फबारी होने के दौरान आवाजाही ठप हो जाती है व इससे पहले सर्दियों के लिए पर्याप्‍त भंडारण कर लिया जाता है। इस कारण काष्‍ठकुणी शैली से बने मकान में आग लगने से लकड़ी और घास उसमें घी का काम करते हैं और आग तेजी से भड़क जाती है। इसके अलावा लोग ठंड से बचने के लिए कमरों में भी अलाव जलाते हैं। जरा सी चूक भारी पड़ जाती है।

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