ब्रांड बनेगी मंडयाली धाम, होगी जीआइ टैगिंग
अब मंडयाली धाम देश व विदेश में हिमाचल की पहचान बनेगी। धाम को ब्रांड बनाने के लिए इसकी जीआइ (ज्योग्राफिकल इंडीकेशन) टैगिंग व पेटेंट होगा। जिला प्रशासन ने इसके लिए अतिरिक्त उपायुक्त जतिन लाल को जिम्मेदारी सौंपी है।
मंडी, मुकेश मेहरा। अब मंडयाली धाम देश व विदेश में हिमाचल की पहचान बनेगी। धाम को ब्रांड बनाने के लिए इसकी जीआइ (ज्योग्राफिकल इंडीकेशन) टैगिंग व पेटेंट होगा। जिला प्रशासन ने इसके लिए अतिरिक्त उपायुक्त जतिन लाल को जिम्मेदारी सौंपी है। छह सितंबर को वैक्सीन संवाद में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंडयाली धाम को याद करते हुए पूछा था, क्या इसका स्वाद वैसा ही है। इसके बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इसे पहचान दिलाने के लिए प्रशासन को निर्देश दिए थे।
अतिरिक्त उपायुक्त ने दो सदस्यीय टीम के साथ आइपीआर (इंटलेक्चुअल प्रापर्टी राइट) के लिए कंट्रोलर जनरल पेटेंट डिजाइनन एंड ट्रेड मार्क से संपर्क किया है। पत्राचार कर जीआइ टैङ्क्षगग की पूरी प्रक्रिया की जानकारी ली जाएगी। इसके बाद मंडयाली धाम कैसे बनती है, इसके गुण क्या हैं, स्वास्थ्य के लिए यह कितनी लाभदायक है और इसके व्यंजनों की पहचान किस तरह से अलग है, इसके बारे में आइपीआर की टीम मंडी आकर जानकारी एकत्रित करेगी। प्रशासन धाम बनाने में माहिर लोगों की तलाश करेगा। धाम पर शोध कर चुके विद्वानों से इसके गुणों को लेकर जानकारी एकत्रित कर दस्तावेज बनाए जाएंगे। दो साल पहले भी इसे पेटेंट करवाने के लिए कोशिश की थी, लेकिन प्रक्रिया लंबी होने से मामला लटक गया था।
मीठे से होती है धाम की शुरुआत
आमतौर पर मीठा खाना खाने के बाद परोसा जाता है, लेकिन मंडयाली धाम की शुरुआत मीठे बदाणा से होती है। सेपू बड़ी धाम की खासियत है। इसके बाद मीठा कद्दू, कोहल का खट्टा, दाल व झोल (कड़ी) दिया जाता है।
आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर है धाम
धाम पर शोध करने वाले आयुष मंत्रालय के पूर्व सहायक निदेशक डा. ओमराज शर्मा बताते हैैं कि आयुर्वेद की दृष्टि से मधु, अमख, लवण, कटू, तिकत व कसाय जिस भोजन में यह रस हों, वह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। मंडयाली धाम में यह गुण मौजूद हैैं। मीठा पहले खाने से यह हमारे अमल में तीव्रता लाता है। जलन (एसिडिटी) की दिक्कत भी नहीं होती है। सेपू बड़ी पाचन को मजबूत करती है, जबकि कोहल का खट्टा व दाल प्रोटीन युक्त होते हैैं। अंत में दी जाने वाली झोल (कड़ी) खाने को पचाने में मदद करती है। हरे पत्ते पर इसे परोसने और काफी देर तक आंच में रखने से प्रोटीन व आयरन भी भरपूर होते हैं। यह सात्विक भोजन है।
जीआइ टैगिंग से होगा यह लाभ
मंडयाली धाम के जीआइ टैङ्क्षगग होने से देशभर में हिमाचल की अलग पहचान होगी। इससे धाम बनाने वालों को भी लाभ मिलेगा।
मंडयाली धाम को पेटेंट करवाया जा रहा है। इसके लिए टीम गठित कर दी है। आइपीआर से संपर्क किया है और जल्द इस प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा।
-जतिन लाल, अतिरिक्त उपायुक्त मंडी।