गरीबी नहीं, संतुलित आहार की जानकारी न होने से कुपोषि‍त हो रहे बच्‍चे, जानिए विशेषज्ञों की राय

Malnourished बच्चे गरीबी के कारण नहीं बल्कि संतुलित आहार की जानकारी न होने के कारण कुपोषित हैं।

By Rajesh SharmaEdited By: Publish:Mon, 21 Sep 2020 09:33 AM (IST) Updated:Mon, 21 Sep 2020 09:33 AM (IST)
गरीबी नहीं, संतुलित आहार की जानकारी न होने से कुपोषि‍त हो रहे बच्‍चे, जानिए विशेषज्ञों की राय

शिमला, जेएनएन। हिमाचल प्रदेश में गरीबी के कारण नहीं बल्कि संतुलित आहार की जानकारी न होने के कारण बच्चे कुपोषित हैं। लोग बच्चों को दही के साथ चावल खिला देते हैं या रेडीमेड सेरलेक और फास्ट फूड दे रहे हैं जो पूर्ण पौष्टिक नहीं हैं। दही के साथ चावल लगातार न खिलाएं। सब्जियां, दालें, चावल व चपाती पौष्टिकता से भरपूर हैं। पोषण माह के दौरान पौष्टिकता से संबंधित जानकारी लोगों को दी जा रही है। पोषण माह में क्या होगा और प्रदेश में कितने बच्चे कुपोषण का शिकार हैं, इस संबंध में महिला एवं बाल विकास विभाग की निदेशक कृतिका कुल्हारी ने जानकारी दी। प्रस्तुत हैं उनसे बातचीत के मुख्य अंश :

हिमाचल में बच्चों में कुपोषण का मुख्य कारण क्या है और इनकी संख्या कितनी है?

प्रदेश में कुपोषण का मुख्य कारण गरीबी नहीं बल्कि लोगों में पौष्टिकता की उचित जानकारी का अभाव है। प्रदेश में साढ़े अठारह हजार आंगनबाड़ी केंद्रों में तीन लाख से अधिक बच्चे पंजीकृत हैं। इनमें से करीब तीन हजार बच्चे कुपोषण की श्रेणी में आते हैं। करीब ढाई हजार बच्चे कम वजन व कम लंबाई वाले हैं। इन बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। बच्चों को पौष्टिक खाना न देना, फास्ट फूड और बच्चों द्वारा खाना न खाना कुपोषण के मुख्य कारण हैं।

लोगों को जागरूक करने के लिए क्या प्रयास हो रहे हैं?

पोषण माह में लोगों को उन पोषक तत्वों की जानकारी दी जा रही है जो शरीर के लिए आवश्यक हैं। इसके लिए प्रचार प्रसार किया जा रहा है। लोगों को आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से भी जागरूक किया जा रहा है।

कुपोषण दूर करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से बच्चों के लिए दलिया, दालें, तेल आदि मुफ्त दिया जा रहा है। इस राशन को लेने आने वाली माताओं को जागरूक किया जा रहा है कि बच्चों को क्या खिलाएं और क्या सावधानी बरतें।

बच्चों को कुपोषण से दूर रखने के लिए क्या सावधानी जरूरी है?

गर्भावस्था के दौरान संपूर्ण आहार लेना जरूरी है जिससे जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ रहें। बच्चे के पैदा होते ही पहले एक घंटे के दौरान मां का गाढ़ा पीला दूध पिलाना जरूरी है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। बच्चे को छह माह तक केवल मां का दूध ही दिया जाना जरूरी है। छह माह के बाद कुछ लोग बच्चे को दही के साथ चावल या सेरलेक देते हैं जो पूर्ण पौष्टिकता प्रदान नहीं करते हैं। इसकी अपेक्षा रसोई में बनने वाली हर सब्जी, दाल, चावल और चपाती पौष्टिकता से भरपूर होते हैं जिन्हें बच्चे को मथकर दें तो वह स्वस्थ रहेगा। समय से पूर्व व जन्म के समय कम भार वाले बच्चों के स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है। उन्हें भरपूर पौष्टिक भोजन दें जिसमें दालें, फल व सब्जियां शामिल हों।

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