धर्मशाला विधानसभा आ सकते हैं लोकसभा अध्‍यक्ष ओम बिड़ला, ई-विधान अकादमी स्‍थापित करने की तैयारी

Himachal Vidhan Sabha हिमाचल प्रदेश विधानसभा सचिवालय लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला की ओर से सहमति मिलने का इंतजार कर रहा है ताकि प्रदेश विधानसभा ई-विधान में नंबर वन होने के बाद ई-विधान अकादमी स्थापित करने के मामले में भी पहले स्थान पर रहे।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 08:39 AM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 08:39 AM (IST)
धर्मशाला विधानसभा आ सकते हैं लोकसभा अध्‍यक्ष ओम बिड़ला, ई-विधान अकादमी स्‍थापित करने की तैयारी
हिमाचल प्रदेश विधानसभा सचिवालय लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला की ओर से सहमति मिलने का इंतजार कर रहा है

शिमला, राज्य ब्यूरो। Himachal Vidhan Sabha, हिमाचल प्रदेश विधानसभा सचिवालय लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला की ओर से सहमति मिलने का इंतजार कर रहा है ताकि प्रदेश विधानसभा ई-विधान में नंबर वन होने के बाद ई-विधान अकादमी स्थापित करने के मामले में भी पहले स्थान पर रहे। विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार प्रदेश के पूर्ण राज्यत्व के स्वर्णिम वर्ष समारोह के तहत पिछले दिनों राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द को न्यौता देने के लिए दिल्ली दौरे पर गए थे। उस दौरान परमार ने लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात कर उन्हें प्रदेश के दौरे पर आने का न्यौता दिया था और तपोवन स्थित शीतकालीन विधानसभा परिसर में ई-विधान अकादमी स्थापित करने का प्रस्ताव भी सौंपा था। अब लोकसभा सचिवालय से सहमति मिलने का इंतजार हो रहा है।

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि मैं लोकसभा अध्यक्ष से मिलकर आया हूं। उनसे धर्मशाला स्थित तपोवन में ई-विधान अकादमी स्थापित करने का मामला उठाया है। विधानसभा सचिव यशपाल शर्मा का कहना है कि हम इंतजार कर रहे हैं कि तपोवन को ई-विधान अकादमी बनाने का आग्रह स्वीकार हो और स्वयं लोकसभा अध्यक्ष वहां पर पधारें।

प्रशिक्षण का पहला संस्थान होगा

ई-विधान प्रणाली का देश के सभी राज्यों ने अनुसरण किया। यदि ई-विधान अकादमी धर्मशाला में स्थापित करने का निर्णय लिया जाता है तो उत्तर भारत में हिमाचल में अकादमी स्थापित होने का पहला प्रोजेक्ट होगा। धर्मशाला स्थित तपोवन विधानसभा में पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर व चंडीगढ़ के अधिकारी प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए आ सकेंगे।

2014 में हिमाचल विधानसभा पहली ई-विधान

वर्ष 2014 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा ई-विधान होने वाली देश की पहली विधानसभा थी। विधानसभा में पूरा कामकाज आनलाइन प्रणाली से होना शुरू हुआ। विधानसभा पेपरलेस हुई और उसके बाद डिजिटाइजेशन में भी अग्रणी रही। अब तो विधानसभा क्षेत्र भी सीधे तौर पर आनलाइन हुए हैं, यानी अधिकारियों की जबावदेही सुनिश्चित हुई है।

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