महिलाओं की तर्ज पर बुजुर्गाें की प्रताड़ना पर भी बने कानून, स्वतंत्रता सेनानी को बहू द्वारा पीटने पर जताया रोष

Harassment of Aged Person कहते हैं कि किस्मत वालाें के सिर पर ही बुजुर्गों का हाथ होता है। भारतीय समाज में बुजुर्गों का हमेशा सम्मानीय स्थान रहा है। लेकिन वर्तमान युवा पीढ़ी अपने भौतिक सुख सुविधाओं को ही अधिक महत्व दे रही है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Wed, 12 May 2021 08:33 AM (IST) Updated:Wed, 12 May 2021 08:33 AM (IST)
महिलाओं की तर्ज पर बुजुर्गाें की प्रताड़ना पर भी बने कानून, स्वतंत्रता सेनानी को बहू द्वारा पीटने पर जताया रोष
बुजुर्गों को प्रताड़ना से बचाने के लिए भी कानून बनाने की मांग उठी है।

पालमपुर, संवाद सहयोगी। Harassment of Aged Person, कहते हैं कि किस्मत वालाें के सिर पर ही बुजुर्गों का हाथ होता है। भारतीय समाज में बुजुर्गों का हमेशा सम्मानीय स्थान रहा है। लेकिन वर्तमान युवा पीढ़ी अपने भौतिक सुख सुविधाओं को ही अधिक महत्व दे रही है। वह भूल चुकी है कि उनका पालन पोषण किन कष्टों काे सहन करके बुजुर्गों ने किया था। भवारना निवासी पूर्व पैरामिलिट्री सदस्य मनवीर चंद कटाेच ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि हमारी पुरानी परंपराओं का लगातार पतन होता जा रहा है। समाज में नैतिक मूल्यों में धीरे-धीरे गिरावट आती जा रही है और सभी अपनी भौतिक सुख सुविधाओं को ही अधिक महत्व दे रहे हैं। इसी कारण बुजुर्गों को मानसिक व शारीरिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है।

हाल में ही पंचायत मझेड़ा में 101 वर्षीय बुजुर्ग के साथ उनकी बहू की ओर से मारपीट व दुर्व्यवहार शर्मनाक है। हालांकि मारपीट के दाैरान उनका बेटा भी वहां मौजूद था। लेकिन चुपचाप तमाशा देखता रहा। बताया जा रहा है कि उक्त व्यक्ति शिमला सचिवालय में श्रेणी-एक अधिकारी के ताैर पर कार्यरत है। उन्हाेंने मानवता काे शर्मशार करने वाली इस घटना की भरपूर निंदा की।

उन्हाेंने बताया स्वतंत्रता सेनानी सुख राम ने मातृभूमि को गुलामी की जंजीरों से छुड़ाने के लिए अपनी जान पर खेलकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ निस्वार्थ सेवाएं दी हैं। ऐसे में वीर शूरवीरों के साथ ऐसा होना दुर्भाग्य की बात है। सरकार इसकी छानबीन करके दोषियों काे कठोर से कठोर सजा दे।

बुजुर्गों के संरक्षण को उठाने होंगे कदम

बुजुर्गों के साथ लगातार दुर्व्यवहार, भावनात्मक, ब्लैकमेल, धमकाना, चीखना, गालियां देना व पीटने के मामले सुनने को मिल रहे हैं। जरूरत है बुजुर्गों के कल्याण और सशक्तिकरण के लिए कदम उठाए जाएं और बुजुर्गों के अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाते हुए उनके हितों के संरक्षण में नीतियां बनाने की जरूरत है। कटाेच ने कहा कि जब बुजुर्गों को सेवा की जरूरत होती है, तब कुछ लोग सामने नहीं आते। लेकिन जब स्वर्ग सिधार जाते हैं, तो उनका हिस्सा लेने के लिए कई रिश्तेदार इकट्ठे हो जाते हैं। सरकार को इस बात पर भी कानून बनाने चाहिए।

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