हिमाचल सरकार ने तोड़ा बिल्डरों का मायाजाल, सस्ती हुई जमीन; पहली जुलाई से नए सर्कल रेट तय

हिमाचल सरकार ने प्रदेश में जमीन के नए सर्कल रेट तय किए हैं। इससे जमीन का भाव बहुत नीचे आ गया है।

By Rajesh SharmaEdited By: Publish:Mon, 06 Jul 2020 08:41 AM (IST) Updated:Mon, 06 Jul 2020 08:41 AM (IST)
हिमाचल सरकार ने तोड़ा बिल्डरों का मायाजाल, सस्ती हुई जमीन; पहली जुलाई से नए सर्कल रेट तय
हिमाचल सरकार ने तोड़ा बिल्डरों का मायाजाल, सस्ती हुई जमीन; पहली जुलाई से नए सर्कल रेट तय

शिमला, प्रकाश भारद्वाज। हिमाचल सरकार ने प्रदेश में जमीन के नए सर्कल रेट तय किए हैं। इससे जमीन का भाव बहुत नीचे आ गया है। बिल्डरों के बनाए मायाजाल को तोड़ते हुए जमीनों का आकलन कररेट जारी किया है। अब पहली जुलाई से आसमान छूने वाले एक बीघा जमीन के भाव पांच लाख से अधिकतम पचास लाख तक रह गए हैं।

इससे पहले ऊना जिला में जमीन के सर्कल रेट प्रति बीघा 10 से 14 करोड़ रुपये के बीच थे। शिमला शहर के साथ दो से तीन करोड़ के बीच में था। बिल्डर जमीन का एक टुकड़ा 50 लाख का खरीद कर उसी व्यक्ति से शेष पांच बीघा जमीन सस्ते रेट पर ले लेते थे। परिणामस्वरूप सर्कल रेट पचास लाख से तय होता था और बिल्डर पांच बीघा जमीन का मुंह मांगा दाम वसूलते थे।

ऐसी थी पहली व्यवस्था

बिल्डर चाहे तो जमीन का भाव आसमान पर चढ़ा दे या फिर धूल में गिरा दे। अभी तक पूरे प्रदेश में ऐसा ही हो रहा था। किसी भी क्षेत्र में अधिकतम मूल्य पर हुई जमीन की रजिस्ट्री के आधार पर सर्कल रेट तय होता था, जबकि जमीन के दाम कम थे। स्टॉप ड्यूटी सर्कल रेट के आधार पर चुकानी पड़ती थी। साधारण भाषा में किसी ने पांच बिस्वा प्लॉट दो दो लाख रुपये के हिसाब से खरीदा, लेकिन सर्कल रेट पचास लाख था तो स्टॉप ड्यूटी उसी हिसाब से चुकानी पड़ती थी।

अब यह फार्मूला रहेगा

शहरी क्षेत्रों में पांच बिस्वा से अधिक जमीन की खरीद का सर्कल रेट के तय होगा। इससे कम जमीन की खरीद-फरोख्त को शामिल नहीं किया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में दस बिस्वा से अधिक की जमीन की खरीद को सर्कल रेट में शामिल किया जाएगा।

केंद्र ने योजनाओं से खींचे लिए हाथ

हिमाचल में जमीन की खरीद फरोख्त में बिल्डरों के कारण आसमान छूते सर्कल रेट से केंद्र सरकार ने केंद्रीय योजनाओं के तहत परियोजना निर्माण से हाथ पीछे खींच लिए थे। राज्य के सामने शर्त रखी थी कि प्रदेश सरकार जमीन उपलब्ध करवाए, तभी परियोजना निर्माण होगा। उदारहण के तौर पर बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ फोरलेन निर्माण की लागत 200 करोड़ थी, जबकि भूमि अधिग्रहण का खर्च 650 करोड़ आ रहा था। 2012 से 19 के बीच में 40 फीसद तक बढ़ गए थे सर्कल रेट। ऐसे भी क्षेत्र थे जहां पर बरसों से जमीन की बिक्री नहीं हुई। पहले जिला उपायुक्त सर्कल रेट अधिसूचित करते थे, अब प्रदेश सरकार सर्कल रेट का निर्धारण करेगी।

तारादेवी में ऐसे घटेगा रेट

शिमला ग्रामीण क्षेत्र के तहत आने वाले आनंदपुर क्षेत्र छड़ोली में निजी भूमि 563 रुपये प्रति वर्ग मीटर है। यानी 423373 रुपये में एक बीघा जमीन का मूल्य रहेगा। सौ मीटर से दूरी पर 3.85 लाख प्रति बीघा जमीन का रेट है। जोकि पुराने सर्कल रेट के तहत डेढ़ से दो करोड़ रुपये बीघा थी।

छोटा शिमला में निजी जमीन का सर्कल रेट

छोटा शिमला के साथ लगते नेशनल हाईवे पर पांच हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर मूल्य है। यानी शहर के इस क्षेत्र में 37.60 लाख में एक बीघा जमीन का रेट रहेगा। सौ मीटर दूर पर एक बीघा जमीन 21 लाख रुपये में होगी। पहले शहर के इस क्षेत्र में दो से तीन करोड़ मूल्य था।

सरकार ने सर्कल रेट तर्कसंगत किए हैं। पहले कई क्षेत्रों में एक बीघा जमीन का सर्कल रेट एक करोड़ से 14 करोड़ तक था। कई जगह तो सर्कल रेट 279 फीसद तक चढ़ चुके थे। लेकिन अब सर्कल रेट का फार्मूला निकाला गया है, जिसके चलते केंद्रीय परियोजनाओं का निर्माण करना और भूमि अधिग्रहण करना संभव होगा। -ओंकार शर्मा, प्रधान सचिव राजस्व।

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