Lahaul: सर्च अभियान में जुटे जवानों के खानपान की व्‍यवस्‍था कर रहे ग्रामीण, पर्यटकों को भी दी शरण, मंत्री भी डटे

बादल फटने से नाले में बह गए लोगों की तलाश को सर्च अभियान जारी है। सुबह से पुलिस जवानों सहित एनडीआरएफ और आईटीबीपी के जवान सर्च अभियान में जुटे हुए हैं। तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉक्टर रामलाल मार्कंडेय भी समस्त प्रशासनिक अधिकारियों के साथ घटनास्थल पर डटे हुए हैं

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Thu, 29 Jul 2021 01:59 PM (IST) Updated:Thu, 29 Jul 2021 01:59 PM (IST)
Lahaul: सर्च अभियान में जुटे जवानों के खानपान की व्‍यवस्‍था कर रहे ग्रामीण, पर्यटकों को भी दी शरण, मंत्री भी डटे
बादल फटने से नाले में बह गए लोगों की तलाश को सर्च अभियान जारी है।

केलंग, जागरण संवाददाता। बादल फटने से नाले में बह गए लोगों की तलाश को सर्च अभियान जारी है। सुबह से पुलिस जवानों सहित एनडीआरएफ और आईटीबीपी के जवान सर्च अभियान में जुटे हुए हैं। तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉक्टर रामलाल मार्कंडेय भी समस्त प्रशासनिक अधिकारियों के साथ घटनास्थल पर डटे हुए हैं और जवानों का हौसला बढ़ा रहे हैं। स्थानीय महिलाएं भी सर्च ऑपरेशन में जुटे हुए जवानों को चाय व खाना खिलाकर अपना योगदान दे रही हैं। लाहुल घाटी में जगह जगह फंसे लोगों को ग्रामीणों ने शरण दी हुई है।

धार्मिक पर्यटन स्थल त्रिलोकीनाथ में पंजाब व हरियाणा के 50 से अधिक श्रद्धालु फंसे हुए हैं। इन श्रद्धालुओं को  त्रिलोकीनाथ मंदिर कमेटी ने शरण दी है तथा भोजन की व्यवस्था भी की गई है। पुजारी बीर सिंह ठाकुर ने बताया कि सभी सुरक्षित हैं और मंदिर सराय में शरण लिए हुए हैं।

तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉक्टर रामलाल मार्कंडेय ने बताया कि सुबह से सर्च अभियान जारी है। भारी बारिश के कारण अस्त व्यस्त हुए जनजीवन को पटरी पर लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। विपदा की इस घड़ी में सभी लोग एकजुटता से एक दूसरे की मदद कर करे हैं।

हर बार की तरह इस बार भी चट्टान की तरह खड़ा रहा शांशा पुल

केलंग। तांदी संसारी मार्ग 51 साल पहले बना  शांशा पुल आज भी बाढ़ आने से चट्टान की तरह खड़ा रहा। यह पुल चंबा को लाहुल से जोड़ता है। ग्रामीणों की माने तो यह पुल 1970 से पहले बना है और कई बाढ़ का सामना कर चुका है। मंगलवार को बादल फटने से इस नाले में भी भयंकर बाढ़ आई। हर कोई यही सोच रहा था कि आज पुल बह जाएगा। रौचक बात यह है कि तंग पुल से हर कोई परेशान है तथा इस जगह नए पुल की उम्मीद लगाए बैठ है। भयंकर बाढ़ का पानी डंगे को तोड़कर इधर उधर से निकल गया लेकिन पुल का बाल भी बांका नही कर पाई है। ग्रामीण चाहते है कि इस पुल की जगह बड़ा पुल बने ताकि ट्रेफिक जाम से छुटकारा मिल सके। बुजुर्ग टशी दवा व अंगरूप ने बताया कि शांशा पुल  करीब 51 साल पहले  बना है। उन्होंने बताया कि उस समय का यह एक मात्र पुल बचा है। उन्होंने बताया की इससे पहले भी भयंकर बाढ़ आई लेकिन पुल को कुछ नहीं हुआ।

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