तमगा प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े अस्‍पताल का और दो साल से नहीं हो रहे डायलिसिस, पढ़ें पूरा मामला

Tanda Medical College तमगा प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल का लेकिन सुविधाएं क्षेत्रीय अस्पताल जैसी भी नहीं। डा. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल कांगड़ा स्थित टांडा में स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल कुछ ऐसा ही है। दो साल से यहां डायलिसिस नहीं हो रहे हैं।

By Rajesh SharmaEdited By: Publish:Wed, 07 Oct 2020 08:56 AM (IST) Updated:Wed, 07 Oct 2020 08:56 AM (IST)
तमगा प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े अस्‍पताल का और दो साल से नहीं हो रहे डायलिसिस, पढ़ें पूरा मामला
टांडा मेडिकल कॉलेज में विशेषज्ञों सहित सुव‍िधाओं की भारी खामी है।

टांडा, जागरण संवाददाता। तमगा प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल का, लेकिन सुविधाएं क्षेत्रीय अस्पताल जैसी भी नहीं। डा. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल कांगड़ा स्थित टांडा में स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल कुछ ऐसा ही है। दो साल से यहां डायलिसिस नहीं हो रहे हैं। किडनी रोगियों को आइजीएमसी शिमला या पीजीआइ चंडीगढ़ में धक्के खाने पड़ते हैं। टांडा मेडिकल कालेज से रेफर होने वाले किडनी रोगियों की जांच से निजी अस्पताल पहले ही किनारा कर लेते हैं।

हिमाचल में सत्ता में कौन विराजमान है इसका टांडा मेडिकल कालेज की स्वास्थ्य सुविधाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। पूर्व कांग्रेस सरकार के समय टांडा में नेफ्रोलाजी विशेषज्ञ डा. अजय जरियाल की तैनाती कमीशन के माध्यम से हुई थी। करीब दो माह तक उन्होंने कार्य किया, इससे किडनी रोगियों को राहत मिलने ही लगी थी कि डा. अजय को हाईकोर्ट के आदेश की आड़ में आइजीएमसी शिमला ट्रांसफर कर दिया गया। तत्कालीन सरकार का तर्क था कि शिमला में ट्रामा सेंटर जल्द शुरू करने के हाई कोर्ट के आदेश हैं।

इसके बाद मेडिसिन विशेषज्ञ डा. पंकज गुप्ता ने टांडा मेडिकल कॉलेज में डायलिसिस की कमान संभाली। दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल से तीन माह का प्रशिक्षण प्राप्त किया। इससे टांडा पहुंचने वाले किडनी रोगियों को कुछ राहत मिलनी शुरू हुई। डा. पंकज गुप्ता हालांकि इमरजेंसी डायलिसिस नहीं करते थे, लेकिन जो मरीज पहले आइजीएमसी या पीजीआइ से इलाज करवा रहे होते थे उन्हें दोबारा वहां नहीं जाना पड़ता था उनका डायलिसिस टांडा में ही हो जाता था। करीब दो साल पहले डा. पंकज गुप्ता का भी चंबा मेडिकल कालेज तबादला कर दिया गया। अब टांडा में डायलिसिस सुविधा बंद हो गई है। किडनी रोगियों को आइजीएमसी शिमला या पीजीआइ चंडीगढ़ ही रेफर किया जा रहा है।

प्रदेश में हालांकि सत्ता परिवर्तन के साथ ही स्वास्थ्य मंत्री कांगड़ा जिले से संबंधित होने के कारण उम्मीद जगी थी कि टांडा मेडिकल कालेज में स्वास्थ्य सुविधाएं सुदृढ़ होंगी, परंतु लोगों को निराशा ही मिली। अब स्वास्थ्य विभाग राजीव सैजल के पास है व लोगों को उम्मीद है कि टांडा मेडिकल कालेज का जरूर भला करेंगे।

केस स्टडी

नगरोटा बगवां निवासी हरीश कुल्हे में फ्रेक्चर के कारण टांडा मेडिकल कालेज में भर्ती थे। उनका आपरेशन होना था। जांच के दौरान आर्थो विशेषज्ञों को पता चला कि उनकी किडनी में भी दिक्कत है। नेफ्रोलाजी विशेषज्ञ के बिना उनका आपरेशन संभव नहीं था। इस कारण उन्हें रेफर कर दिया गया। स्वजन हरीश को लेकर पीजीआइ चंडीगढ़ पहुंचे। वहां इमरजेंसी से ही उन्हें आइजीएमसी शिमला जाने की सलाह दी गई। रात को ही स्वजन चंडीगढ़ से आइजीएमसी के लिए चल दिए और सुबह चार बजे शिमला पहुंचे। वहां कुल्हे का आपरेशन हुआ। अगर टांडा मेडिकल कालेज में नेफ्रोलॉजी विशेषज्ञ होता तो स्वजनों व हरीश को पीजीआइ और आइजीएमसी में न भटकना पड़ता।

आइजीएमसी में तीन नेफ्रोलाजी विशेषज्ञ

इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज एवं अस्पताल (आइजीएमसी) शिमला में तीन नेफ्रोलाजी विशेषज्ञ हैं। इनमें से एक टांडा मेडिकल कालेज से ही भेजे गए हैं, जबकि एक विशेषज्ञ ने हाल ही में ज्वाइन किया है। टांडा मेडिकल कालेज में एक भी विशेषज्ञ नहीं है। ऐसे में आइजीएमसी से एक विशेषज्ञ को टांडा मेडिकल कालेज भेजा जा सकता है, ताकि दोनों कालेजों में किडनी मरीजों को सुविधा मिलती रहे।

मेडिकल कालेज प्रशासन से जवाब मांगा जाएगा : अमिताभ अवस्‍थी

अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) अमिताभ अवस्थी का कहना है टांडा मेडिकल कालेज में दो साल से डायलिसिस न होना हैरान करने वाला है। मुझे हाल ही में स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा मिला है। इस संबंध में मेडिकल कालेज प्रशासन से जवाब मांगा जाएगा। प्रयास रहेगा टांडा मेडिकल कालेज में नेफ्रोलाजी विशेषज्ञ की जल्द तैनाती हो।

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