यहां धरोहर को चट कर रही लापरवाही की दीमक

Lack of facility at dadaseeba ऐतिहासिक नगरी डाडा सीबा में समस्याओं का अंबार है । लापरवाही की दीमक धरोहर को चट कर रही है।

By Edited By: Publish:Sat, 20 Apr 2019 10:04 PM (IST) Updated:Sun, 21 Apr 2019 10:04 AM (IST)
यहां धरोहर को चट कर रही लापरवाही की दीमक
यहां धरोहर को चट कर रही लापरवाही की दीमक

जसवां परागपुर, जेएनएन। ऐतिहासिक नगरी डाडासीबा में समस्याओं का अंबार है। जिला मुख्यालय से 72 किलोमीटर  दूरी पर स्थित डाडासीबा पंचायत के तहत डाडासीबा, बतबाड और कलेहड़ गांव हैं और इनकी आबादी 1954 है। कोई समय था जब डाडासीबा को राजाओं की नगरी कहा जाता था और तमाम निर्णय राजाओं के दरबार में होते थे, लेकिन वक्त गुजरने के साथ-साथ सिस्टम भी बदलता गया। डाडासीबा रियासत के राजा राम ¨सह ने 1830 से 1835 के बीच डाडासीबा में राधाकृष्णन का मंदिर हरियाणा मूंगा के कारीगरों से तैयार करवाया था। मंदिर की बात हम इसलिए कर रहे हैं कि इस ऐतिहासिक मंदिर का जीर्णोद्धार आवश्यक है , जो कि सही दिशा में नहीं हो सका है।

मंदिर के भीतर चित्रकारी को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजा राम ¨सह ने निर्माण कार्य में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। आज भी मंदिर में प्रतिष्ठा के समय के चित्र मौजूद हैं लेकिन भाषा एवं संस्कृति विभाग की लापरवाही से चित्रकारी धीरे-धीरे नष्ट हो रही है। ऐसा भी नहीं है कि संबंधित विभाग ने इस ओर कोई काम नहीं किया है लेकिन इसे पर्याप्त नहीं कहा जा सकता है। समस्याओं की बात करें तो डाडासीबा बाजार के बीचोंबीच भव्य तालाब का निर्माण भी उसी समय का है लेकिन वर्तमान में यह प्लेग्राउंड बनकर रह गया है। किसी भी सरकार ने तालाब को संवारने करने की हिम्मत नहीं जुटाई  है।

बाजार के चारों ओर गंदगी का साम्राज्य है। शौचालय के इर्द-गिर्द गंदगी पसरी है। बाजार में 100 से भी ऊपर दुकानें हैं  लेकिन सफाई के लिए कर्मी ही नहीं हैं। पानी निकासी के लिए बनाई गई नालियों के ऊपर से लोहे के जाले या तो टूट गए हैं या फिर गाड़ियों का वजन सहन करने में सक्षम  नहीं हैं। आइटीआइ और डाडासीबा हॉस्पिटल को जाने वाली सड़क उबड़ खाबड़ है। तहसील के लिए सरकारी भवन ढूंढने में विभाग नाकाम रहा है और वर्तमान में तहसील को किसी के घर में चलाया जा रहा है। तहसील के साथ ट्रेजरी कार्यालय न होना बड़ी समस्या है। लोगों को 23 किलोमीटर दूर जसवां तहसील की ट्रेजरी में जाना पड़ता है।

इन समस्याओं को लेकर उद्योग मंत्री बिक्रम ठाकुर का कहना है कि डाडासीबा में मिनी सचिवालय खोलने की मंजूरी मिल चुकी है। अस्पताल का दर्जा बढ़ाकर सिविल कर दिया है। बस अड्डे के निर्माण पर  50 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। वन विभाग  विश्राम गृह  डाडासीबा के मरम्मत के लिए  25 लाख रुपये दिए गए हैं । कॉलेज भवन का कार्य प्रगति पर है। उधर, प्राचीन राधाकृष्ण मंदिर के संबंध में डीएलओ सुरेश राणा ने बताया कि उन्होंने हाल ही में ज्वाइन किया है लेकिन तीन चार वर्ष पूर्व इस मंदिर का कार्य इनटेक ने किया है।

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