Kinnaur Landslide: किन्‍नौर में 37 किलोमीटर के सफर में छह खतरनाक स्पाट, घट सकती है निगुलसेरी जैसी घटना

Kinnaur Landslide रामपुर से किन्नौर के प्रवेश द्वार तक 37 किलोमीटर के सफर में छह प्वाइंट ऐसे हैं जहां निगुलसरी जैसा हादसा हो सकता है। रामपुर के आसपास ही कई ऐसे ब्लैक स्पाट बन चुके हैं जहां हल्का भूस्खलन होना तो आम हो गया है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Sun, 15 Aug 2021 06:32 AM (IST) Updated:Sun, 15 Aug 2021 07:51 AM (IST)
Kinnaur Landslide: किन्‍नौर में 37 किलोमीटर के सफर में छह खतरनाक स्पाट, घट सकती है निगुलसेरी जैसी घटना
रामपुर से किन्नौर प्रवेशद्वार तक 37 किलोमीटर सफर में छह प्वाइंट ऐसे हैं, जहां निगुलसरी जैसा हादसा हो सकता है।

रामपुर बुशहर, संजय भागड़ा। Kinnaur Landslide, रामपुर से किन्नौर के प्रवेश द्वार तक 37 किलोमीटर के सफर में छह प्वाइंट ऐसे हैं, जहां निगुलसरी जैसा हादसा हो सकता है। रामपुर के आसपास ही कई ऐसे ब्लैक स्पाट बन चुके हैं, जहां हल्का भूस्खलन होना तो आम हो गया है। अब नजारा ऐसा दिखता है कि बड़ी-बड़ी चट्टानेंं हवा में ही लटकी हों। नेशनल हाइवे अथारिटी आफ इंडिया (एनएचएआइ) को भी इस बारे में कई बार सूचित भी किया गया है, लेकिन कई साल बीत जाने के बावजूद इन ब्लैक स्पाट को ठीक नहीं किया जा रहा है और न ही हादसों से कोई सबक लिया जाता है।

एनएच पर लोग अपनी जान जोखिम में डाल कर यात्रा करने को मजबूर हैं, जबकि रामपुर से निगुलसरी तक करीब 15 ऐसे स्थान हैं, जहां वाहन चालकों को पहले पहाड़ी की ओर रुक कर ऊपर देखना पड़ता है और बाद में वाहन निकालते हैं। रामपुर में खोपड़ी माता मंदिर के साथ, जीरो प्वाइंट, सफेद ढांक, पछाडा खड्ड और मंगलाढ़ में पहाड़ी से पत्थर गिरना आम है। पछाडा खड्ड में पत्थर गिरने के कारण कई लोग चोटिल भी हो चुके हैं। हालांकि कुछ एक स्पाट में पुल बनाने का विकल्प भी है। निगुलसरी में भी हादसे से पहले पत्थरों का गिरना जारी था, लेकिन किसी ने गौर नहीं किया, जिसका नतीजा यह हुआ कि कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। रामपुर शहर के समीप सफेद ढांक में पिछले माह एक गाड़ी पर भारी चट्टान आ गिरी। गनीमत रही कि किसी को जान नही गंवानी पड़ी, लेकिन बार-बार हो रहे हादसों से सबक लेना जरूरी है।

लोग पुल निर्माण की कर रहे मांग

स्थानीय लोग अब ब्लैक स्पाट के आसपास पहाड़ी पर अटके पत्थरों को गिराने की मांग कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि जहां संभव हो वहां पर पुलों का निर्माण किया जाए। हालांकि, प्राधिकरण पछाडा में पुल बनाने की तैयारी कर रहा है।

क्‍या कहते हैं एनएचएआइ अधिकारी

अधिशाषी अभियंता एनएचएआइ केएल सुमन का कहना है सभी ब्लैक स्पाट का समय-समय पर केंद्र की टीम की ओर से सर्वे किया जाता है। कई स्पाट को टीम ने देखा है और इस पर जल्द कोई काम किए जाने का प्रयास जारी है। पहाड़ी को दोबारा से सीधा काटने में कई दिक्कतें आ सकती हैं। पछाड़ा में पुल बनाने के लिए टीम को अवगत करवाया जा सकता है। निगुलसरी हादसे का सर्वे करने के लिए टीम आ रही है, उनसे सभी स्पाट के बारे में चर्चा कर कोई हल निकाला जाएगा।

पहाडिय़ों के दरकने का परियोजनाओं के निर्माण से संबंध

पहाडिय़ां दरकने को लोग परियोजनाओं के निर्माण से लेकर भी जोड़ रहे हैं और अब जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण कार्य पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। रामपुर से चौबीस किलोमीटर दूर लुहरी जलविद्युत परियोजना के पहले चरण का निर्माण कार्य शुरू किया गया है। जिसे जनता के विरोध के कारण ओपन परियोजना में तबदील किया गया है। परियोजना का पहला प्रारूप भूमिगत था। जिसका आसपास के लोगों ने जमकर विरोध किया और इसका असर परियोजना निर्माण में पड़ा व निर्माण कार्य देरी से शुरू किया गया।

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