Khemenger Glacier Trek: जानिए क्यों बेहद खतरनाक है खमिंगर ग्लेशियर ट्रैक, 1959 में गया था एकमात्र विदेशी दल
Khemenger Glacier Trek हिमाचल प्रदेश में जनजातीय जिला लाहुल-स्पीति की पिन वैली में खमिंगर ग्लेशियर में फंसे लोगों को निकालना आसान नहीं है। इन्होंने जो ट्रैक चुना है वह बेहद खतरनाक है। यहां के स्थानीय लोग भी इस तरफ जाने से कतराते हैं।
काजा, जसवंत ठाकुर। Khemenger Glacier Trek, हिमाचल प्रदेश में जनजातीय जिला लाहुल-स्पीति की पिन वैली में खमिंगर ग्लेशियर में फंसे लोगों को निकालना आसान नहीं है। इन्होंने जो ट्रैक चुना है वह बेहद खतरनाक है। यहां के स्थानीय लोग भी इस तरफ जाने से कतराते हैं। यहां तक की लोकल ट्रैकर ने भी इस ओर रुख नहीं किया। भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन बंगाल की ओर से ट्रैकिंग पर निकले दल ने प्रदेश के सबसे जोखिमभरे बातल खमिंगर ट्रैक को चयनित कर आफत मोड़ ली। ट्रैकिंग से जुड़े बहुत से लोगों व अधिकतर स्थानीय लोगों को इस ट्रैक का नाम तक पता नहीं है।
जानकारी के अनुसार 1959 में अंग्रेज दल ने इस ट्रैक पर सफल ट्रैकिंग की थी। हालांकि भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन बंगाल ने अपनी ओर से पूरी सावधानी व आधुनिक उपकरणों व गाइडों की मदद से ट्रैक को फतह करने के प्रयास किए हैं। लेकिन चोटी पर पहुंचने के बाद दो ट्रैकर की तबीयत खराब हो जाने और मौसम के तेबर बदलने के कारण यह दल दिक्कत में फंसा है।
हालांकि लाहुल स्पीति प्रशासन ने ट्रैकरों की मौत होने व कुछ के फंसे होने की जानकारी मिलते ही राहत व बचाव कार्य के लिए 32 सदस्यों का दल गठित कर खमिंगर ग्लेशियर के लिए भेज दिया है। लेकिन अधिक ऊंचाई होने के कारण राहत कार्य भी चुनौती से कम नहीं है।
स्थानीय ट्रैकरों की माने तो खमिंगर ग्लेशियर के पास चारों तरह खाई है और यहां हेलिकाप्टर सेवा लेना भी आसान नहीं है। बचाव दल की राह इसलिए भी आसान नहीं है, क्योंकि ट्रैकरों को लाने से पहले उनका स्वास्थ्य चेकअप होगा और चलने की सूरत में ही उन्हें रेस्क्यू किया जा सकेगा। रेस्क्यू दल को घटनास्थल पर पहुंचने के लिए तीन दिन का समय लगेगा। यह दल 15 सितंबर को बातल से खमिंगर ग्लेशियर के लिए निकला था। अब जहां यह दल रुका हुआ है वहां से मात्र पिन वैली की ओर निकलना ही सुरक्षित है।
उपायुक्त लाहुल स्पीति नीरज कुमार ने बताया कि 32 सदस्यों का दल आज पिन वैली से खमिंगर ग्लेशियर के लिए निकल गया है। उन्होंने बताया इस रेस्क्यू अभियान को सफल बनाने के लिए सेना की भी मदद मांगी गई है।
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