शहीद राइफलमैन सुनील जंग ने दुश्मन पर फोड़े थे 25 बम, मां से जंग के बाद आने का किया था वादा

कारगिल युद्ध के बलिदानी फस्ट-इलेवन गोरखा राइफलस के राइफलमैन खनियारा के बेटे सुनील जंग महंत ने दुश्मन पर एक एक कर 25 बम फोड़े थे। सुनील के हौसले और जज्‍बे ने दुश्‍मनों के मनसूबों पर पानी फेर दिया था।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 11:22 AM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 11:22 AM (IST)
शहीद राइफलमैन सुनील जंग ने दुश्मन पर फोड़े थे 25 बम, मां से जंग के बाद आने का किया था वादा
कारगिल युद्ध के बलिदानी राइफलमैन खनियारा के बेटे सुनील जंग महंत

धर्मशाला, नीरज व्यास। Martyr Rifleman Sunil Jung, कारगिल युद्ध के बलिदानी फस्ट-इलेवन गोरखा राइफलस के राइफलमैन खनियारा के बेटे सुनील जंग महंत ने दुश्मन पर एक एक कर 25 बम फोड़े थे। सुनील के हौसले और जज्‍बे ने दुश्‍मनों के मनसूबों पर पानी फेर दिया था। सुनील जंग महंत ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए दुश्मन के हौसले पस्त कर दिए थे। दुर्भाग्य से दुश्मन की एक गोली उन्हें लग गई और वह 15 मई को शहीद हो गए। सुनील की रेजीमेंट को मई 1999 में कारगिल सेक्टर पहुंचने का आदेश मिला था। जब यह आदेश हुआ तो उस वक्त सुनील अपने घर आए थे और उन्‍हें तुरंत लौटना पड़ा। सुनील जंग महंत की माता बीना महंत ने जब बेटे को जल्दी न जाने को कहा तो सुनील ने जवाब दिया था मां अगली बार लंबी छुट्टी लेकर आऊंगा, लेकिन वह वक्त कभी नहीं आया।

बलिदानी सुनील जंग महंत 10 मई 1999 को 1-11 गोरखा राइफलस की एक टुकड़ी के साथ कारगिल पहुंचे। यहां पर यह सूचना थी कि कुछ घुसपैठिये भारतीय सीमा के भीतर प्रवेश कर गए हैं। तीन दिनों तक राइफलमैन सुनील जंग दुश्मनों का डटकर मुकाबला करता रहा। वह लगातार अपनी टुकड़ी के साथ आगे बढ़ रहा था कि 15 मई को एक भीषण गोलीबारी में कुछ गोलियां उनके सीने में जा लगीं। इस पर भी सुनील के हाथ से बंदूक नहीं छूटी और वह लगातार दुश्मनों पर प्रहार करते रहे। तब ही ऊंचाई पर बैठे दुश्मन की एक गोली सुनील के चेहरे पर लगी और सिर के पिछले हिस्से से बाहर निकल गई। सुनील वहीं पर शहीद हो गए।

परिवार से मिला सेना में जाने का साहस

बलिदानी सुनील के दादा मेजर नकुल जंग ब्रिटिश दौर में गोरखा राइफलस में शामिल हुए थे। जबकि पिता नर नारायण जंग महत भी सेना की गोरखा टुकड़ी में थे। पिता नर नारायण जंग के बाद बेटा सुनील भी उनके रास्ते पर चल पड़ा था। सुनील को घर में ही अपने जांबाज दादा और पिता से सेना में शामिल होने की प्रेरणा मिली। बचपन में ही सेना में जाने के लिए जोश था इसलिए 19 साल की उम्र में ही सेना में भर्ती हो गया था। अभी शादी भी नहीं हुई थी। परिवार में दो बहने व माता पिता हैं।

जागृति युवा मंच ने बनाई है खनियारा में वाटिका

खनियारा के इस बलिदानी की प्रेरणा अन्य युवाओं को मिलती रहे। इसके लिए जागृति युवा मंच खनियारा ने वाटिका का निर्माण किया है। खनियारा में एक सड़क का नाम भी सुनील जंग महत के नाम पर है। जागृति युवा मंच के तत्कालीन प्रधान नीरज कुमार ने बताया कि प्रेरणा स्थल सुनील जंग महत वाटिका का निर्माण किया था। इस बलिदानी के रूप में गांव ने बेटा खोया है और इस बेटे पर गर्व है।

खनियारा में सुनील जंग महंत वाटिका में दी श्रद्धांजलि

बलिदानी सुनील जंग को खनियारा में श्रद्धांजलि अर्पित की गई व अन्य कारगिल शहीदों को भी याद किया गया। कैंडल मार्च के साथ-साथ एक दीया शहीदों के नाम जलाया जाएगा।

chat bot
आपका साथी