सरकार ! यज्ञशाला में कुत्ते, दीवारों पर गंदगी

प्रवीण शर्मा ज्वालामुखी केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने कालीनाथ कालेश्वर महादेव मंदिर के जीर्णोद्धार की घोषणा की है लेकिन सच यह है कि सरकार व प्रशासनिक लापरवाही के कारण यह वर्तमान में खंडहर बनता जा रहा है। कालेश्वर महादेव मंदिर के साथ लगते छोटे मंदिरों का निर्माण पांडवों ने करवाया था लेकिन धीरे-धीरे ये अपना मूल स्वरूप गंवा रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 10 Sep 2021 04:31 AM (IST) Updated:Fri, 10 Sep 2021 04:31 AM (IST)
सरकार ! यज्ञशाला में कुत्ते, दीवारों पर गंदगी
सरकार ! यज्ञशाला में कुत्ते, दीवारों पर गंदगी

प्रवीण शर्मा, ज्वालामुखी

केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने कालीनाथ कालेश्वर महादेव मंदिर के जीर्णोद्धार की घोषणा की है लेकिन सच यह है कि सरकार व प्रशासनिक लापरवाही के कारण यह वर्तमान में खंडहर बनता जा रहा है। कालेश्वर महादेव मंदिर के साथ लगते छोटे मंदिरों का निर्माण पांडवों ने करवाया था लेकिन धीरे-धीरे ये अपना मूल स्वरूप गंवा रहे हैं। कई स्थान ऐसे हैं जो बिना देखरेख के तहस-नहस हो चुके हैं। गंदगी के अंबार राष्ट्रीय महत्व के इस स्थान के माथे पर कलंकबनकर उभर रहे हैं। मंदिर के संत समाज व सरकार की खींचातानी के बीच महादेव की यज्ञशाला में लावारिस कुत्ते राख स्नान करते देखे जा सकते हैं। साधुओं की गुफाओं में समाज के ही बिगड़ैल लोग नशे के केंद्र बनाए हुए हैं।

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मंदिर की जमीन पर कब्जे

कालीनाथ कालेश्वर मंदिर की दुर्गति देखिए कि सैकड़ों कनाल जमीन के मालिक इस मंदिर की कई कनाल भूमि पर भूमाफिया ने कब्जा कर रखा है। कालेश्वर मंदिर का 2017 में सरकार ने अधिग्रहण किया है लेकिन विकास कुछ भी नहीं हो सका है।

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मंदिर का इतिहास

कालीनाथ कालेश्वर महादेव का वर्णन पुराणों में भी मिलता है। जालंधर दैत्य व अन्य आसुरी शक्तियों के उत्पात से रक्षा की खातिर ऋषि-मुनियों व देवताओं के आग्रह पर मां काली ने यहां दैत्यों का वध किया था। मां काली का गुस्सा शांत नहीं हुआ तो भगवान शिव ने उनके आगे लेटकर उन्हें शांत करने की कोशिश की थी। मां का पांव भगवान शिव से लग जाने पर काली शांत तो हुई पर उन्होंने प्रायश्चित के तौर पर सैकड़ों वर्ष इसी स्थान पर शिव की आराधना की थी।

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निरंजनी अखाड़े के संत हैं साधु

कालेश्वर महादेव के संत निरंजनी अखाड़े के साधु हैं। यहां पर 150 संतों की समाधियां प्रत्यक्ष प्रमाण हैं कि निरंजनी अखाड़ा डेढ़ सदी से प्रत्यक्ष तौर पर मंदिर की पूजा पद्धति को संभाले हुए है। अखाड़े के पास कालेश्वर में अपनी 120 कनाल भूमि है।

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प्राचीन धरोहरों के रखरखाव का जिम्मा सरकार का बनता है। अधिग्रहण के बाद भी मंदिर से संत समाज का माकूल हिस्सा नहीं दिया जाता रहा है। पूजा पद्धति के लिए भी उच्चतम न्यायालय का दरवा•ा खटखटाया जहां से मंदिर की आय से जितना बना सामाजिक उत्थान के लिए कार्य किया है।

-स्वामी विश्वानंद, संत

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मंदिर में सफाई के लिए हम सजग हैं। जहां पर कुत्ते लेट रहे हैं वह यज्ञशाला मंदिर की है। यज्ञशाला में गेट न होने से ऐसा हुआ होगा। बहुत जल्द गेट लगवाया जाएगा। कुछ मामले न्यायालय में हैं। हम अभी ढांचे से हाथ भी नहीं लगा सकते। -अमित शर्मा, तहसीलदार एवं मंदिर अधिकारी रक्कड़।

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