ऐतिहासिक टेढ़ा मंदिर ज्‍वालामुखी के भवन का छज्जा गिरा, 1905 के भूकंप में टेढ़ा हो गया था मंदिर, जानिए इतिहास

Jwalamukhi Historical Temple विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्रीज्वालामुखी मंदिर के अधीन प्राचीन एवं ऐतिहासिक रघुनाथ ईश्वर टेढ़ा मंदिर आज दयनीय हालत में है। सदियों पुराने इस मंदिर में भगवान श्री रामचंद्र सीता माता लक्ष्मण व हनुमान जी विराजमान हैं जो ज्वालामुखी के काली धार के जंगलों में स्थित है

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Thu, 15 Jul 2021 09:25 AM (IST) Updated:Thu, 15 Jul 2021 09:25 AM (IST)
ऐतिहासिक टेढ़ा मंदिर ज्‍वालामुखी के भवन का छज्जा गिरा, 1905 के भूकंप में टेढ़ा हो गया था मंदिर, जानिए इतिहास
विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्रीज्वालामुखी मंदिर के अधीन प्राचीन एवं ऐतिहासिक रघुनाथ ईश्वर टेढ़ा मंदिर आज दयनीय हालत में है।

ज्वालामुखी, संवाद सहयोगी। Jwalamukhi Historical Temple, विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्रीज्वालामुखी मंदिर के अधीन प्राचीन एवं ऐतिहासिक रघुनाथ ईश्वर टेढ़ा मंदिर आज दयनीय हालत में है। सदियों पुराने इस मंदिर में भगवान श्री रामचंद्र, सीता माता, लक्ष्मण व हनुमान जी विराजमान हैं, जो ज्वालामुखी के काली धार के जंगलों में स्थित है और ज्वालामुखी मंदिर आने वाले भक्तों की आस्था और श्रद्धा का केंद्र है। 1905 में हुए भीषण भूकंप में यह मंदिर टेढ़ा हो गया था। परंतु गिरा नहीं था यहां पर हर साल हजारों की संख्या में भक्तों का आना जाना लगा रहता है।

करीब पांच साल पहले इस मंदिर के महंत व संचालक बाबा रामदास ने इसे मंदिर न्यास ज्वालामुखी को सुपुर्द कर दिया था। इस मंदिर की सैकड़ों कनाल भूमि करोड़ों रुपये की है और इस ऐतिहासिक व प्राचीन मंदिर की करोड़ों रुपये की मूर्तियां जिला कोषागार धर्मशाला में जमा हैं। लेकिन न तो कोई उन मूर्तियों को वापस इस मंदिर में ला सका है और न ही इस प्राचीन एवं ऐतिहासिक धरोहर को जिंदा रखने के लिए यहां का सौंदर्य करण किया जा सका है।

भाजपा की सरकार बनते ही स्थानीय विधायक एवं राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रमेश धवाला ने इस मंदिर का कई बार दौरा किया और मंदिर के अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किए कि इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाए। लेकिन सरकार को चार साल होने जा रहे हैं पर आज दिन तक इस मंदिर की किसी ने कोई सुध नहीं ली है।

आज भी यहां पर बैठने के लिए कोई विशेष प्रबंध नहीं है जो मंदिर के पुराने भवन हैं उनकी हालत बद से बदतर होती जा रही है मंदिर व अन्य भवन की छतें में से पानी टपक रहा है। यहां पर यात्रियों के लिए ना कोई सराय है ना बैठने के लिए कोई कमरे हैं। यहां तक की यहां पर स्नानागार और शौचालय भी नहीं है। यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। हैरानी इस बात की है कि यहां पर पानी के अथाह भंडार हैं। यहां पर पानी कभी नहीं सूखता है। बावजूद इसके यहां पर पानी के रखरखाव के लिए कोई प्रबंध नहीं है। सदियों पुराने इस मंदिर की अनदेखी हो रही है।

मंदिर की छत का सरिया बाहर निकला

मंदिर के भवन का छज्जा गिर जाने की वजह से सरिया बाहर निकल आया है जो देखने में बहुत बुरा लग रहा है। मंदिर की रसोई और कर्मचारियों के रहने के कमरे दयनीय अवस्था में हैं। विधायक रमेश धवाला ने मंदिर न्यास की बजट बैठक में 60 लाख रुपये टेढ़ा मंदिर के सौंदर्य करण इसके सभी रास्तों के निर्माण कार्य और यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा पर खर्च करने के लिए प्रावधान किया था। लेकिन मंदिर न्यास ज्वालामुखी के सभी सदस्य की स्वीकृति के बाद भी मंदिर प्रशासन यहां पर कुछ नहीं कर पाया है।

यह बोले तहसीलदार

मंदिर अधिकारी तहसीलदार निर्मल सिंह ठाकुर से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा लॉकडाउन में टेढ़ा मंदिर की सीढ़ियाें की मरम्मत उन्होंने मंदिर के कर्मचारियों से करवाई है। लेकिन काफी काम शेष रह गया है उसे शीघ्र करवाया जाएगा। मुख्य मंदिर के अंदर जो छज्जा गिरा है या जो भी निर्माण कार्य होने हैं, उन्हें शीघ्र करवाया जाएगा।

यह बोले विधायक

ज्वालामुखी के विधायक एवं राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रमेश धवाला ने कहा कि उन्होंने कई बार मंदिर के अधिकारियों कर्मचारियों को निर्देश दिए कि टेढ़ा मंदिर भैरव मंदिर तारादेवी मंदिर छोटे छोटे मंदिरों का जीर्णोद्धार किया जाए। इस संदर्भ में अधिकारियों से पूछेंगे कि उन्होंने आज तक वहां पर क्या किया है। उसके बाद अगला कदम उठाया जाएगाl।

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