हिमाचल उपचुनाव में सबसे हाट सीट बनी जुब्बल कोटखाई, भाजपा व कांग्रेस में वर्चस्व की जंग, पढ़ें खबर
Jubbal Kotkhai Seat जुब्बल कोटखाई विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में सियासी माहौल पूरी तरह गरमा गया है। 15 दिन में बदले समीकरणों से यह सबसे हाट सीट बन गई है। कांग्रेस और भाजपा इस सीट पर वर्चस्व की जंग लड़ रही हैं।
शिमला, जागरण संवाददाता। Jubbal Kotkhai Seat, जुब्बल कोटखाई विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में सियासी माहौल पूरी तरह गरमा गया है। 15 दिन में बदले समीकरणों से यह सबसे हाट सीट बन गई है। कांग्रेस और भाजपा इस सीट पर वर्चस्व की जंग लड़ रही हैं। कांग्रेस ने रोहित ठाकुर को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा है। रोहित पहले भी विधायक रह चुके हैं। पूर्व कांग्रेस सरकार में वह मुख्य संसदीय सचिव थे। 2017 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। चार साल बाद हो रहे उपचुनाव में उनकी जीत और हार काफी मायने रखती है। दूसरी तरफ भाजपा ने महिला प्रत्याशी को चुनावी मैदान में उतारा है। भाजपा विधायक नरेंद्र बरागटा के निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है। ऐसे में भाजपा किसी भी कीमत पर इस चुनाव को जीतना चाहती है।
पूर्व मंत्री स्वर्गीय नरेंद्र बरागटा के बेटे चेतन बरागटा भाजपा से बगावत कर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे हैं। उनका पूरा राजनीतिक भविष्य इस चुनाव पर निर्भर करता है। भाजपा ने उन्हें पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। यदि वह चुनाव हार जाते हैं तो उनका राजनीतिक भविष्य भी दांव पर लग सकता है।
विपक्ष में बैठने का नहीं दिया जनादेश
जुब्बल कोटखाई विधानसभा क्षेत्र की जनता ने कभी भी विपक्ष में बैठने के लिए जनादेश नहीं दिया। 1977 में प्रदेश में जनता पार्टी की सरकार बनी, लेकिन जुब्बल कोटखाई की किस्मत ऐसी थी कि तीन साल बाद बिना चुनाव हुए ही जुब्बल कोटखाई के विधायक ठाकुर रामलाल मुख्यमंत्री बन गए। 1990 में भी एक वक्त ऐसा आया कि जुब्बल कोटखाई से दो बार मुख्यमंत्री रहे ठाकुर रामलाल कांग्रेस से अलग होकर जनता दल से चुनाव लड़े। जनता दल बहुत ही कम सीट पर चुनाव लड़ रहा था तो प्रदेश में तय था कि कांग्रेस या भाजपा की सरकार बनेगी, लेकिन जुब्बल कोटखाई से लड़ रहे ठाकुर रामलाल ने न सिर्फ वीरभद्र सिंह को चुनाव में पहली बार हराया, बल्कि भाजपा के सत्ता में आने पर उसमें शामिल हो गए।
अभी तक ये रहे हैं विधायक 1952, बाला नंद, कांग्रेस 1963, रामलाल, कांग्रेस 1972, रामलाल, कांग्रेस 1980, रामलाल, कांग्रेस 1985, वीरभद्र सिंह, कांग्रेस 1990, रामलाल, जनता दल 1993, रामलाल, कांग्रेस 1998, रामलाल, भाजपा 2003, रोहित ठाकुर, कांग्रेस 2007, नरेंद्र बरागटा, भाजपा 2012, रोहित ठाकुर, कांग्रेस 2017, नरेंद्र बरागटा, भाजपा