नौकरी पक्की पर वेतन अधूरा

हिमाचल में पुलिस विभाग के कांस्टेबल पर अनोखी शर्त लागू है। नौकरी पक्की पर वेतन आधा अधूरा मिलता है। आठ साल से कांस्टेबल आठ साल की शर्त के फेर में फंसे हुए हैं। कांस्टेबल की भर्ती तो नियमित आधार पर होती है लेेकिन वेतनमान अनुबंध कर्मी के बराबर मिलता है।

By Neeraj Kumar AzadEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 07:30 PM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 07:30 PM (IST)
नौकरी पक्की पर वेतन अधूरा
पुलिस कर्मचारियों की नौकरी पक्की पर वेतन अधूरा। जागरण आर्काइव

रमेश सिंगटा, शिमला। हिमाचल प्रदेश में पुलिस विभाग के कांस्टेबल पर अनोखी शर्त लागू है। नौकरी पक्की पर वेतन आधा अधूरा मिलता है। आठ साल से कांस्टेबल आठ साल की शर्त के फेर में फंसे हुए हैं। कांस्टेबल की भर्ती तो नियमित आधार पर होती है, लेेकिन वेतनमान अनुबंध कर्मी के बराबर मिलता है। प्रदेश का यह इकलौता ऐसा विभाग है, जहां नियमित के बराबर वेतनमान आठ साल के सेवाकाल के बाद मिलता है।

पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में लागू हुई इस शर्त का खामियाजा हजारों पुलिस कर्मी भुगत रहे हैं। अफसरशाही इनकी बात सुनने को तैयार नहीं है। गृह विभाग से लेकर वित्त विभाग तक इनके साथ अनुबंध कर्मी की तरह ही व्यवहार करते रहे। अब प्रभावितों ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मुद्दा उठाया है। मुख्यमंत्री ने भी माना कि आज तक इनके मामले की पैरवी सही नहीं हुई। 27 नवंबर को सरकार के साथ हुई संयुक्त सलाहकार समिति की बैठक में भी यह मुद्दा उठा, लेकिन अफसरों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।

हाईकोर्ट से भी नहीं मिली राहत

प्रभावित पुलिस कर्मी हाइकोर्ट गए थे, पर उन्हें ङ्क्षसगल बैंच से राहत नहीं मिल पाई। अब पुलिस कल्याण संघ इनके हितों की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में लड़ेगा। पुलिस कल्याण संघ के अध्यक्ष रमेश चौहान ने कहा है कि हक के लिए लड़ाई लड़ी जाएगी।

पुलिस मुख्यालय का प्रस्ताव अस्वीकार

राज्य पुलिस मुख्यालय ने भी इनके हितों की जोरदार पैरवी की थी। कुछ महीने पहले डीजीपी संजय कुंडू ने प्रस्ताव सरकार को भेजा था। लेकिन सचिवालय में बैठे नौकरशाहों ने प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया था

2013 में लगाई अनोखी शर्त

प्रदेश में पहले कांस्टेबल को नियमित जैसा ही वेतनमान मिलता था। लेकिन 2012 में अनोखी शर्त जोड़ी गई। इस शर्त को कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में वित्त विभाग ने 2013 से लागू कर दिया। इसके अनुसार कांस्टेबल का पद तो नियमित होगा पर पूरे वेतनमान के लिए आठ साल तक इंतजार करना होगा। इसके बाद पुलिस कल्याण संघ ने गृह विभाग, डीजीपी को कानूनी नोटिस दिया। इस बीच, 2015 में तत्कालीन सरकार ने मंत्रिमंडल की बैठक में लिए फैसले के बाद 2013 के कांस्टेबल के बैच को तीन साल के सेवाकाल के बाद ही रेगुलर पे बैंड जारी कर दिया था। आदेश 2016 में जारी किए। इसके बाद के सभी बैच के लिए आठ साल की ही शर्त लगा दी। यह अब तक जारी है।

अब 1334 पदों पर करना होगा आठ साल का इंतजार

पुलिस की 1334 पदों पर नई भर्ती भी नियमित आधार पर हुई है। लेेकिन नियमित के बराबर आर्थिक लाभ आठ साल बाद मिलेंगे। इससे प्रतिमाह एक कांस्टेबल को आठ साल में नौ लाख से अधिक का नुकसान झेलना पड़ेगा।

अन्य विभागों की व्यवस्था

वित्त विभाग ने दूसरे विभागों के लिए भी शर्त लगाई है। जैसे ही कोई कर्मी अनुबंध से नियमित होगा, उसे अगले दो साल तक प्रोबेशन पर रखा जाएगा, प्रोबेशन पीरियड पूरा होने के बाद ही पूरे वित्तीय लाभ मिलेंगे। अभी तक पांच साल के सेवाकाल के बाद ये लाभ जारी होते थे। अब अनुबंध कार्यकाल दो साल का कर दिया है। इससे इन्हें कुल चार साल के बाद नियमित वेतनमान मिलेगा। दिहाड़ीदार भी चार साल के सेवाकाल के बाद नियमित होंगे। अभी एक कांस्टेबल को करीब 20 हजार रुपये वेतन मिलता है। आठ साल के बाद यही दोगुना हो जाता है। कायदे से यही वेतन भर्ती के तत्काल बाद मिलना चाहिए।

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