बीस साल से पंचायत चुनाव की राजनीति में यह निर्दलीय दंपती, हर बार बिगाड़ता रहा है विरोधियों के समीकरण

Panchayat Chunav पंचायती राज चुनाव में जहां एक तरफ राजनेताओं के सगे संबंधियों तथा पारिवारिक सदस्यों ने राजनीतिक पृष्ठ भूमि के सहारे खुद की नैया पार लगाई है। वहीं कुछ हस्तियां ऐसी भी हैं जो गैर राजनीतिक बैकग्राउंड होने के बाबजूद राजनीति में अपना बजूद बनाए हुए हैं।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Sun, 24 Jan 2021 11:49 AM (IST) Updated:Sun, 24 Jan 2021 11:49 AM (IST)
बीस साल से पंचायत चुनाव की राजनीति में यह निर्दलीय दंपती, हर बार बिगाड़ता रहा है विरोधियों के समीकरण
ज्‍वालामुखी विधानसभा क्षेत्र के चंगर से तालुक रखने वाले सुदेश कुमारी व विजेंद्र कुमार।

ज्वालामुखी, प्रवीण कुमार शर्मा। पंचायती राज चुनाव में जहां एक तरफ राजनेताओं के सगे संबंधियों तथा पारिवारिक सदस्यों ने राजनीतिक पृष्ठ भूमि के सहारे खुद की नैया पार लगाई है। वहीं कुछ हस्तियां ऐसी भी हैं जो गैर राजनीतिक बैकग्राउंड होने के बाबजूद राजनीति में अपना बजूद बनाए हुए हैं। इन्हें जनता ने मानों दिलो दिमाग में बसा रखा है। शायद यही कारण है कि कभी न कभी किसी न किसी रूप में लोग इन्हें नेतृत्व के लिए चुन ही लेते हैं। हम बात कर रहे हैं ज्‍वालामुखी विधानसभा क्षेत्र के चंगर से तालुक रखने वाले सुदेश कुमारी व विजेंद्र कुमार की। यह दंपती पिछले 20 साल से पंचायत राजनीति की धूरि बना हुआ है। शनिवार को संपन्न हुए चुनाव  परिणामों में 14 पंचायतों के लोगों ने एक बार फिर ज्‍वालमुखी के टिहरी वार्ड से सुदेश कुमारी को निर्दलीय जिला परिषद सदस्‍य चुना है। कांग्रेस और भाजपा की तमाम रणनीतियों व चक्रव्यूहों को भेदते हुए चुनाव परिणाम खुद के पक्ष में किए हैं। इस चुनाव में इस दंपती को घेरने के लिए कुल पांच उम्मीदवारों ने मोर्चा खोल रखा था। लेकिन हर व्यूह को छकाते हुए आगे निकल गए।

बता दें कि नवनिर्वाचित जिला पार्षद  सुदेश कुमारी ने वर्ष 2000 में पंचायत राजनीति में कदम रखा था। इस चुनाव में सुदेश निर्विरोध बीडीसी चुनी गई थीं। 2000 से शुरू हुआ सिलसिला अभी तक रुका नहीं है। इससे अगले चुनाव में वर्ष 2005 में सुदेश के पति विजेंद्र कुमार बीडीसी चुने गए थे। 2010 में एक बार फिर बेहद कठिन चुनाव में विजेंद्र कुमार ने न केवल बीडीसी का चुनाव जीता, बल्कि भाजपा और कांग्रेस को आईना दिखाते हुए बीडीसी के वाइस चेयरमैन बनने में कामयाबी हासिल कर ली थी। इस चुनाव में भाजपा विचारधारा के अधिकतर सदस्य मनोनीत होने के बावजूद विजेंद्र के रुतबे से सब धराशायी हुए थे।

वर्ष 2015 में एक बार फिर कांग्रेस व भाजपा के अधिकृत उम्मीदवारों को हार का स्वाद चखाते हुए विजेंद्र कुमार को यहां की जनता ने जिला पार्षद चुना तब भी पूरे जिला में उस जीत की तारीफ हुई थी। अब इस साल 17, 19, 21 जनवरी को संपन्‍न हुए चुनाव के बाद विजेंद्र की पत्नी त्रिकोणीय मुकाबले से निकलकर जीत पाने में कामयाब हुई हैं।

सुदेश ने बेहद रोमांचक मुकाबले में भजपा की मीना राणा व कांग्रेस की आशा राणा को शिकस्त देते हए 60 वोट से अपना अपराजय अभियान जारी रखने में सफलता पाई है। ज्वालामुखी विधानसभा में 20 साल से लगातार पंचायत राजनीति में टिका यह दंपती खूब चर्चा में है।

विजेंद्र कुमार और उनकी पत्‍नी सुदेश कुमारी ने कहा राजनीति उनका सेवा धर्म है, उनसे जो सही बनता है जनता जनार्दन के लिए करते हैं। लोगों से वोटर और नेता का नहीं अपनेपन का रिश्ता है जो हमारी सांसों से जुड़ा है। जब तक लोग चाहेंगे सेवा में लगें रहेंगे।

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