जागरण ने निभाया सरोकार, रीता को मिला सहारा

संवाद सूत्र ज्वालामुखी बेशक वह साधन संपन्न नहीं थी लेकिन परिवार के साथ खुशनुमा जिंदगी जी रह

By JagranEdited By: Publish:Thu, 03 Jun 2021 05:00 AM (IST) Updated:Thu, 03 Jun 2021 05:00 AM (IST)
जागरण ने निभाया सरोकार, रीता को मिला सहारा
जागरण ने निभाया सरोकार, रीता को मिला सहारा

संवाद सूत्र, ज्वालामुखी : बेशक वह साधन संपन्न नहीं थी लेकिन परिवार के साथ खुशनुमा जिंदगी जी रही थी। पता नहीं किसकी नजर लगी कि मजदूरी कर परिवार पाल रहा उसका पति एकदम से दिव्यांग हो गया और बाद में मौत के मुंह में चला गया। बदनसीब पत्नी दुखों के पहाड़ के नीचे आती गई। यहां बात हो रही है ज्वालामुखी हलके के तहत पंचायत सिहोरपाई के गांव पंदेहड़ निवासी रीता देवी की। रीता की दुखभरी दास्तां को दैनिक जागरण ने प्रमुखता से उठाकर उसके दोनों दिव्यांग बच्चों की पेंशन का मामला जिला प्रशासन के ध्यान में लाया था। जागरण की पहल के बाद ज्वालामुखी लिव फार आल संस्था ने रीता के दो बच्चों की मेडिकल औपचारिकताएं पूरी करवाकर पेंशन के लिए कदम बढ़ाए थे। अब रीता के दोनों बेटों नरेश और विपिन को तहसील कल्याण विभाग के माध्यम से 1500-1500 रुपये की पेंशन स्वीकृत हुई है।

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बीमारी से पति, बाद में बेटे को खोया था

बीमारी के कारण रीता ने पहले पति और बाद में एक बेटे को खोया था। तीन बेटों में सबसे बड़ा 12 साल की उम्र तक स्वस्थ था। जैसे ही वह 13 साल का हुआ तो उसे दिव्यांगता ने घेर लिया और 25 साल की उम्र में उसका देहांत हो गया। अब उसके पास दो बेटे नरेश और विपन बचे थे। सोचा था कि दोनों बढ़ापे का सहारा बनेंगे, लेकिन दोनों ने जैसे ही 10 साल की उम्र पार की तो दिव्यांगता का शिकार हो गए। दोनों उठ नहीं सकते, चल नहीं सकते और बोल नहीं पाते हैं। दैनिक जागरण ने पिछले साल लाकडाउन के दौरान सामाजिक सरोकार को निभाते हुए यह मामला प्रमुखता से उठाया था।

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दैनिक जागरण का जताया आभार

रीता ने दैनिक जागरण व लिव फार आल संस्था के अध्यक्ष ऋषि कुठियाला का आभार जताया है। अब स्वास्थ्य विभाग की सहारा योजना के तहत दस्तावेज मंजूरी के लिए भेजे हैं। सरकार से स्वीकृति मिलते ही दोनों बच्चों को तीन-तीन हजार रुपये की मासिक सहारा पेंशन भी लगेगी।

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मैंने ही दैनिक जागरण से रीता का घर दिखाने के लिए आग्रह किया था। मैं बरसात के मौसम में कीचड़नुमा रास्ते से दो किलोमीटर पैदल चलकर रीता के घर पहुंची थी। मौके पर ही दस्तावेज भरकर पेंशन के लिए मुहर लगा दी थी।

-आदर्श शर्मा, तहसील कल्याण अधिकारी ज्वालामुखी।

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दैनिक जागरण व लिव फार आल संस्था ने जो सहायता की है, उसके लिए मैं सदैव ऋणी रहूंगी। बच्चों की दवा, दूध व फल के लिए सरकारी सहायता मेरी चिंता दूर करेगी।

-रीता देवी।

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