10 दिन में मनोचिकित्सक की तैनाती करने का निर्देश

जिला मानसिक प्राधिकरण कमेटी के चेयरमैन डा. रमन कुमार शर्मा ने संतोषगढ़ में एक नशा निवारण केंद्र का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने खामियां पाए जाने पर निर्देश दिए कि यदि 10 दिन में मनोचिकित्सक की तैनाती नहीं की तो केंद्र को बंद करने का निर्णय ले सकती है।

By Neeraj Kumar AzadEdited By: Publish:Tue, 21 Sep 2021 11:03 PM (IST) Updated:Tue, 21 Sep 2021 11:03 PM (IST)
10 दिन में मनोचिकित्सक की तैनाती करने का निर्देश
10 दिन में मनोचिकित्सक की तैनाती करने का निर्देश। जागरण

ऊना, जागरण संवाददाता। जिला मानसिक प्राधिकरण कमेटी के चेयरमैन एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. रमन कुमार शर्मा ने संतोषगढ़ में एक नशा निवारण केंद्र का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने कई खामियां पाए जाने पर निर्देश दिए कि यदि 10 दिन में स्थाई मनोचिकित्सक की तैनाती नहीं की तो कमेटी केंद्र को बंद करने का निर्णय ले सकती है। यहां पर उपचार करवाने वाले लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा। मुख्य चिकित्सा अधिकारी, एसडीएम डा. निधि पटेल, एएसपी प्रवीण धीमान व मनोरोगी चिकित्सक ने संतोषगढ़ स्थित तीन नशा निवारण केंद्रों का औचक निरीक्षण किया और व्यवस्था का जायजा लिया।

संतोषगढ़ स्थित एक केंद्र में कमेटी ने निरीक्षण के दौरान दो रोगियों के ठहराव पर एतराज जताया। कमेटी ने संचालकों को रोगियों के लिए जल्द पुख्ता प्रबंध करने के निर्देश दिए। कमेटी ने केंद्र में आने वाले लोगों के नाम व पते की जांच भी की और केंद्र में उपचार करवा रहे रोगियों से यहां उपलब्ध करवाई जा रही सुविधाएं की जानकारी ली। कमेटी ने हाल ही में चर्चा में आए नशा निवारण केंद्र में भी व्यवस्था जांची। डा. रमन कुमार ने कहा कि नशा निवारण केंद्र में रोगियों की सुविधा के लिए रात को भी आपात स्थिति में मेल स्टाफ नर्स नियुक्त करने के निर्देश दिए।

सीएमओ की अगुवाई में कमेटी कर रही जांच

घालुवाल व संतोषगढ़ में नशा निवारण केंद्रों में अव्यवस्था के चलते पुलिस प्रशासन ने रिपोर्ट तैयार कर न्यायालय को दी थी। इसके बाद रिपोर्ट शिमला भेजी गई थी। वहां से प्रदेश मानसिक प्राधिकरण विभाग की ओर से सीएमओ ऊना की अगुवाई में एक कमेटी गठित की गई थी। कमेटी को निर्देश दिए गए कि जिले में नशा निवारण केंद्रों की गहनता से जांच की जाए। जो नशा निवारण केंद्र नियमों का उल्लंघन करता है तो उसके संचालकों को सचेत किया जाए। यदि बार-बार संचालक कमियों को दूर नहीं करेंगे तो कमेटी इन्हें बंद करने की सिफारिश कर सकती है।

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