अतिक्रमण का परिणाम; करोड़ों का नुकसान, आफत में जान
मुनीष गारिया धर्मशाला प्रकृति से छेड़छाड़ अच्छी बात नहीं है। यदि हम अपने हित के लिए
मुनीष गारिया, धर्मशाला
प्रकृति से छेड़छाड़ अच्छी बात नहीं है। यदि हम अपने हित के लिए प्रकृति से छेड़छाड़ करेंगे और उसका स्वरूप बदलेंगे तो परिणाम भी घातक ही होगा। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है मैक्लोडगंज के भागसूनाग और मांझी खड्ड के किनारे चैतडू क्षेत्र में हुआ जलप्रलय।
भागसूनाग नाले का पानी पार्किंग की ओर आने की कोई और वजह नहीं रही, बल्कि नाले में लोगों की ओर से किया गया अतिक्रमण है। यहां लोगों ने होटल बनाने के लिए नाले की दोनों ओर कंकरीट के डंगे लगा दिए हैं और उस पर पुलिया डालकर निर्माण कर दिया है। भागसूनाग नाले का आकार कूहल से भी छोटा हो गया है। ऐसे में सोमवार सुबह जैसे ही बारिश हुई तो पानी बढ़ने लगा और पार्किंग से सीधे करीब 500 मीटर ऊपर स्थित वैष्णो माता मंदिर के पास नाला संकरा होने के कारण वहां गाद भर गई। नाला अवरुद्ध हुआ तो बहाव ही बदल गया और सारा पानी भागसूनाग हाई स्कूल से होते हुए पार्किंग की ओर गया। बहाव इतना था कि पार्किंग से चार कारें और कई मोटरसाइकिल बह गई। इसके अलावा भागसूनाग स्कूल को भी नुकसान हुआ है। अतिक्रमण से ही चैतडू में लोगों के मकान व दुकानें बही हैं। जो दुकानें व मकान बहे हैं, उनके पिलर मांझी खड्ड के आकार से छेड़छाड़ कर बनाए थे। अब जब मांझी खड्ड ने प्रकृति के हिसाब से रौद्र रूप लिया तो सब बह गया।
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ऐसे हो रही प्रकृति से छेड़छाड़
नदी-नालों में अतिक्रमण के अलावा लोगों ने पिछले कुछ साल से प्रकृति से छेड़छाड़ का नया तरीका ईजाद कर लिया है। लोगों ने निर्माण कार्य की एवज में पेड़ों को धीमी मौत देना शुरू कर दिया है। पेड़ों को काटने पर प्रतिबंध लगाया है तो लोग निर्माण कार्य के दौरान बीच में आने वाले पेड़ों को चारों ओर कंकरीट से जड़ दे रहे हैं। कंकरीट की जद में आने से कुछ साल में पेड़ सूख जा रहे हैं।
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इन बातों का रखना होगा ध्यान
-खड्डों व नदियों से बिल्कुल साथ लगते किनारों में निर्माण कार्य न करें।
-नदी-नालों के आकार व प्रकृति से छेड़छाड़ न करें।
-अगर नदी-नाले संकरे होंगे तो उनका पानी निश्चित ही आवासीय क्षेत्रों में आएगा।
-समय-समय पर और खासतौर पर बरसात से पहले नदी-नालों को साफ कर लें।
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सोमवार को जिला कांगड़ा में जो जलप्रलय हुआ है वह दुखद है। मुख्य रूप से जो भागसूनाग में हुआ, उसका कारण अतिक्रमण ही है। अतिक्रमण व कंकरीटीकरण को लेकर मैं प्रशासन को पिछले लंबे समय से लिखित रूप से अवगत करवाई रही हूं, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। ऐसे में अतिक्रमण करने वालों के हौसले बढ़ रहे हैं। इस कारण ही भागसूनाग नाले का पानी डाइवर्ट हुआ है।
-गजाला अब्दुल्ला, पर्यावरणविद