कुल्लू में नदी-नालों के किनारे अवैध कब्जा करने से नहीं आ रहे बाज, देते हैं खतरों को बुलावा
जिला कुल्लू में नदी-नालों के किनारों पर अवैध कब्जा जमाने का खेल भी कई सालों से जोरों-शोरों से चल रहा है। हर साल जिला में बरसात व बारिश के दौरान नदी व नालों में बाढ़ व बादल फटने की घटनाएं सामने आतीहैं।
कुल्लू, कमलेश वर्मा। जिला कुल्लू में नदी-नालों के किनारों पर भू माफियाओं की गिद्ध नजरें लगी हैं। यही नहीं जिलेभर में नदी-नालों की जमीनों पर अवैध कब्जा जमाने का खेल भी कई सालों से जोरों-शोरों से चल रहा है। हर साल जिला में बरसात व बारिश के दौरान नदी व नालों में बाढ़ व बादल फटने के कारण नदी-नालों के किनारे अवैध रूप से बने घर, होटल, झुग्गी-झोपडिय़ां व पर्यटन गतिविधियों से संबंधित कैंङ्क्षपग साइटों के बह जाने या स्थानीय लोगों व पर्यटकों को नुकसान होता है, बावजूद इसके न तो लोग कब्जा करने से परहेज करते हैं और न ही सरकार व प्रशासन इस ओर ध्यान दे रही है।
मनाली से लेकर औट तक जगह-जगह पर ब्यास के अलावा अन्य नदी-नालों पर अतिक्रमण बढ़ा है। ब्यास व पार्वती के दोनों छोर पर घरों व होटलों के निर्माण की बाढ़ सी आ गई है। नालों व ब्यास-पार्वती में जब थोड़ा सा भी पानी बढ़ता है, वह कहर बरपा देता है। कुछ जगहों पर नालों पर ही पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कारोबारियों ने टेंट या फिर काटेज बनाए गए हैं। कुछ सालों से फोरलेन का कार्य भी यहां तेजी से चला हुआ है। पहाड़ों से निकलने वाले मलबे को सीधे ब्यास में डंप किया जा रहा है, जिससे दरिया रुख बदलने लगा है। जिला मुख्यालय कुल्लू के रामशिला, अखाड़ा बाजार में ब्यास नदी के दोनों किनारों पर बड़े-बड़े भवन बनाए गए हैं। इसी तरह मणिकर्ण घाटी, सैंज, बंजार व आनी में भी कई स्थानों पर नदी व नालों के किनारों पर गांव बस गए हैं। बारिश के बाद जिला में नदी नालों का जलस्तर बढऩे से इन सभी घरों, होटलों, मंदिर सहित अन्य भवन खतरे की जद में आ जाते हैं।
जिलाभर में नदी नाले किनारे किए गए अवैध कब्जाधारियों पर शिकंजा कसा जाएगा। इसके अलावा बारिश के मद्देनजर नदी-नालों के किनारे बसे झुग्गी-झोंपड़ी वालों को भी सुरक्षित स्थान पर भेजा जा रहा है।
आशुतोष गर्ग, उपायुक्त कुल्लू