आइआइटी शोधार्थी का दावा, दुबई, इंग्लैंड से आए लोगों ने देश में बढ़ाया कोरोना संक्रमण

IIT Researcher भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी द्वारा किए विश्लेषणात्मक अध्ययन के अनुसार दुबई और इंग्लैंड से आए यात्रियों ने भारत में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमण फैलाया। अंतरराष्ट्रीय यात्रा के कारण देश के कई राज्यों में कोरोना संक्रमण फैला।

By Rajesh SharmaEdited By: Publish:Mon, 28 Sep 2020 11:09 AM (IST) Updated:Mon, 28 Sep 2020 11:09 AM (IST)
आइआइटी शोधार्थी का दावा, दुबई, इंग्लैंड से आए लोगों ने देश में बढ़ाया कोरोना संक्रमण
आइआइटी के शोधार्थी ने दावा किया है कि दुबई और इंगलैंड से लौटे लोगों के कारण संक्रमण बढ़ा है।

मंडी, जेएनएन। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी द्वारा किए विश्लेषणात्मक अध्ययन के अनुसार दुबई और इंग्लैंड से आए यात्रियों ने भारत में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमण फैलाया। अंतरराष्ट्रीय यात्रा के कारण देश के कई राज्यों में कोरोना संक्रमण फैला। अध्ययन में यह भी पाया गया है कि तमिलनाडु, दिल्ली और आंध्र प्रदेश से संक्रमित मामलों ने अपने समुदायों के बाहर बीमारी फैलाने में कम भूमिका निभाई। गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, केरल, जम्मू-कश्मीर और कर्नाटक में संक्रमित लोगों ने स्थानीय प्रसारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनमें से कुछ ने अंतरराज्यीय स्थानांतरण भी किया।

अध्ययनकर्ताओं ने कोविड-19 के प्रसार और वैश्विक से राष्ट्रीय स्तर तक इसके प्रसार को ट्रैक किया। भारत में बीमारी के संचरण में केंद्रीय भूमिका निभाने वाले कुछ सुपर स्प्रेडरों की पहचान की। चरण एक में फैले कोविड-19 का उपयोग कर रहा था। मरीजों का यात्रा इतिहास के अध्ययन में यह पाया गया कि अधिकांश प्रसारण स्थानीय थे।

आइआइटी मंडी की सहायक प्रोफेसर डा. सरिता आजाद ने बताया अनुसंधान दल ने जनवरी से अप्रैल तक संक्रमित रोगियों के यात्रा इतिहास का उपयोग प्राथमिक डाटा स्रोत के रूप में किया है। इसमें प्रसार को दर्शाते हुए एक सामाजिक नेटवर्क बनाया था। शोध में पाया गया कि दुबई के 144 और इंग्लैंड से 64 यात्रियों से अधिकतम संख्या में कनेक्शन स्थापित किए गए थे। आंकड़ों से गणना किए गए सांख्यिकीय मैट्रिक्स ने खुलासा किया कि दुबई और इंग्लैंड ने भारतीय राज्यों में इस बीमारी को फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारत में कोविड -19 आयात के प्राथमिक स्रोत थे।

उनके मुताबिक दुबई की आइजन्वेक्टर केंद्रीयता सबसे अधिक थी, जिसने इसे सबसे प्रभावशाली नोड बना दिया। प्रतिरूपकता वर्ग के आधार पर, भारतीय राज्यों में विभिन्न समूहों को बनाने के लिए दिखाया गया, जिसने बहुस्तरीय सामाजिक नेटवर्क संरचना के गठन का प्रदर्शन किया। तमिलनाडु, दिल्ली और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में पुष्टि किए गए मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई।

अध्ययन के अनुसार राष्ट्रव्यापी तालाबंदी का प्रथम चरण, जो 25 मार्च से 14 अप्रैल तक था, में तमिलनाडु, दिल्ली, और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों का प्रतिरूप वर्ग निम्न था इसलिए यह संभावना है कि इन राज्यों से संक्रमित मामलों ने उनके समुदायों के बाहर बीमारी फैलाने में कम भूमिका निभाई। जबकि गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, केरल, जम्मू-कश्मीर और कर्नाटक ने स्थानीय प्रसारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और उनमें से कुछ ने अंतरराज्यीय हस्तांतरण भी किया है।

प्रशिक्षु छात्रा सुषमा देवी के साथ विश्लेषणात्मक अध्ययन करने वाली डा. सरिता आजाद ने बताया कि जब कोविड-19 जैसी महामारी का निर्वाह होता है तो एक अच्छा शोध कार्य भविष्य के लिए एक रिकार्ड के रूप में कार्य करता है। इस कार्य में बहुत अधिक समय डाटा का उपयोग किया है। इससे यह दर्शाता है कि 30 जनवरी से 6 अप्रैल तक वैश्विक स्तर पर यह बीमारी राष्ट्रीय स्तर पर कैसे फैल गई। यह महामारी के शुरुआती चरण के दौरान भारत में बीमारी के संचरण को समझने में एक महत्वपूर्ण योगदान होगा।

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