HRTC Strike: हाई वोल्टेज ड्रामा के बाद परिवहन कर्मियों ने स्थगित की हड़ताल
हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) के कर्मचारी अब हड़ताल पर नहीं जाएंगे। सोमवार को दिनभर हड़ताल पर हाई वोल्टेज ड्रामा हुआ। हड़ताल पर जाने से तीन घंटे पहले हिमाचल परिवहन कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति (जेसीसी) ने वार्ता का न्योता मिलने पर फैसला बदल दिया।
शिमला,राज्य ब्यूरो। हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) के कर्मचारी अब हड़ताल पर नहीं जाएंगे। सोमवार को दिनभर हड़ताल पर हाई वोल्टेज ड्रामा हुआ। हड़ताल पर जाने से तीन घंटे पहले हिमाचल परिवहन कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति (जेसीसी) ने वार्ता का न्योता मिलने पर फैसला बदल दिया। रविवार करीब नौ बजे अतिरिक्त प्रधान सचिव (परिवहन) जेसी शर्मा ने कर्मचारी नेताओं को सरकार का संदेश दिया कि सोमवार सायं चार बजे निगम के प्रबंध निदेशक के साथ जेसीसी के पदाधिकारियों की बैठक होगी। इसमें कर्मचारियों की मांगों पर गहनता से विचार किया जाएगा। इसके बाद कर्मचारियों ने हड़ताल स्थगित करने का फैसला लिया। जेसीसी के उपाध्यक्ष मान सिंह ने हड़ताल स्थगित करने की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि एसीएस ने वार्ता का लिखित न्योता दिया है। उम्मीद है कि सरकार मांगें मान लेगी। अगर नहीं मानी तो फिर कर्मचारी एक दिन की हड़ताल पर जाएंगे।
इससे पहले एचआरटीसी कर्मचारियों ने रविवार रात 12 बजे से सोमवार रात 12 बजे तक एक दिन की हड़ताल पर जाने की तैयारी की थी। समिति के अनुसार कर्मचारी एक दिन के काम छोड़ो आंदोलन करने की योजना थी। इसके लिए कर्मचारियों को पेंशनर्स का भी साथ मिल गया था। प्रदेश में सेवारत कर्मचारियों और पेंशनर्स की संख्या 12 हजार के आसपास हैं। समिति अध्यक्ष प्यार सिंह ठाकुर ने बताया कि वित्तीय लाभों की अदायगी करने के लिए परिवहन कर्मचारी दो माह से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।
582 करोड़ की देनदारी है लंबित
परिवहन निगम के कर्मचारियों एवं पेंशनर्स की लगभग 582 करोड़ रुपये की देनदारी निगम के पास लंबे समय से लंबित हैं। यह लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन भुगतान नहीं किया जा रहा।
ये हैं मांगें
एचआरटीसी कर्मचारी जनवरी 2016 से 13 फीसद अंतरिम राहत, कुल 15 फीसद डीए, 35 माह का रात्रि ओवरटाइम जारी करने, पेंशन, ग्रेच्युटी, लीव इनकैशमेंट आदि के एरियर जारी करने की मांग कर रहे हैं।
एचआरटीसी की 2200 बसें चल रही
हिमाचल प्रदेश में अभी एचआरटीसी की 2200 बसें सेवाएं दे रही हैं, जबकि करीब 1100 निजी बसें ही चल रही हैैंं। एचआरटीसी को कोरोना काल से 800 करोड़ का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है।